
IPL में कहां से आता है इतना पैसा, जाने आईपीएल के बिजनेस मॉडल
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Ashish
- November 28, 2024
आईपीएल का नाम सुनते ही सबसे पहले हमारे दिमाग में ढेर सारा मनोरंजन, पैसा, क्रिकेट, एक्शन और ग्लैमर आता है। आज दुनिया का हर क्रिकेटर आईपीएल खेलना चाहता है। इसकी सबसे बड़ी वजह है पैसा। क्योंकि टीमें पानी की तरह पैसा बहाती हैं। टूर्नामेंट में खूब पैसे खर्च किये जाते है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्रिकेट के त्यौहार को मनाने के लिए पैसा कहां से आता है। फ्रेंचाइजी को कैसे फायदा होता है? बीसीसीआई आईपीएल के एक सीजन से कितना पैसा कमाता है? आईपीएल के बिजनेस मॉडल को आसान भाषा में समझें।
शुरू से शुरू करते हैं
आईपीएल में इनकम के एक-दो नहीं बल्कि इनकम के कई सोर्स हैं। इस गेम में कदम-कदम पर नेम औफ फेम है। बेसिकली सेंट्रल रेवेन्यू ही कमाई का सबसे बड़ा शेयर होता है, इसमें दो चीज होती है। पहला मीडिया राइट्स और दूसरा टाइटल स्पॉन्सरशिप राइट्स, जिससे बीसीसीआई और फ्रैंचाइजी अपने प्रॉफिट का 70 टका निकालती है।
मीडिया और डिजिटल राइट्स
यानी वो कीमत जिसे चुकाकर चैनल आईपीएल को टीवी पर लाइव दिखाते हैं। सैटेलाइट टीवी चैनल भारी भरकम रकम चुकाकर मीडिया अधिकार खरीदते हैं। इससे होने वाली कमाई का आधा हिस्सा बीसीसीआई अपने पास रखता है और बाकी आधा हिस्सा सभी टीमों में बांटा जाता है। 2008 में पहले सीजन के दौरान ही सोनी ने अगले 10 सालों के लिए टूर्नामेंट के टीवी राइट्स खरीद लिए थे। घाटे में चल रही सेट मैक्स के लिए यह बड़ा जुआ था, जो सही साबित हुआ। तब सोनी ने इसे 8,200 करोड़ रुपये में खरीदा था। इसके बाद 2018 से 2023 तक मीडिया राइट्स स्टार इंडिया के पास हैं।
टाइटल स्पॉन्सरशिप
डीएलएफ आईपीएल, वीवो आईपीएल, टाटा आईपीएल... यानी पैसे देकर आईपीएल से अपना नाम जोड़ने की स्कीम। जो कंपनी सबसे ऊंची बोली लगाएगी, उसे टाइटल स्पॉन्सरशिप मिल जाएगी। यानी क्रिकेट के जरिए अपने ब्रांड का प्रचार करना। आईपीएल की आय का यह दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है। फिलहाल टाटा आईपीएल का टाइटल स्पॉन्सर है। टाटा ग्रुप ने दो सीजन के राइट्स 670 करोड़ रुपये में खरीदे हैं।
कमर्शियल विज्ञापन और किट स्पॉन्सरशिप
जब मैच में एक ओवर खत्म होता है तो एक छोटा ब्रेक होता है और उस छोटे ब्रेक के दौरान टीवी पर विज्ञापन दिखाए जाते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक मैच के बीच में 10 सेकंड के विज्ञापन का स्लॉट करीब 15 लाख रुपये का होता है। चिप बनाने वाली कंपनी से लेकर कोल्ड ड्रिंक और कई अन्य छोटी-बड़ी चीजों की बिक्री बढ़ जाती है। बीसीसीआई की कुल आय का 20 फीसदी हिस्सा मैच के दौरान दिखाए जाने वाले इस विज्ञापन से आता है। इसके अलावा टी-शर्ट, कैप, हेलमेट, स्टंप और यहां तक कि अंपायर की ड्रेस पर लगे लोगो से भी फ्रेंचाइजी को अच्छी खासी कमाई होती है।
लोकल इनकम
आखिर में लोकल इनकम, जिसमें स्थानीय प्रायोजन और पुरस्कार राशि शामिल है। हर साल एक मैच में करीब पांच करोड़ रुपये मैच टिकटों की बिक्री से कमाए जाते हैं। अगर मैच किसी टीम के होम ग्राउंड में खेला जा रहा है तो फ्रेंचाइजी को 80 फीसदी कमाई होती है। इसके अलावा जो टीम स्थानीय स्तर पर जितनी लोकप्रिय होगी, उसे स्थानीय स्तर पर उतने ही ज्यादा प्रायोजक मिलेंगे, इसके साथ ही चैंपियनशिप पुरस्कार राशि से भी उसे कमाई होती है। इसका आधा हिस्सा टीम के खिलाड़ियों को जाता है और बाकी आधा हिस्सा कंपनी रखती है।
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