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शेख हसीना का बड़ा बयान: ‘मौत की सजा मिले तो भी डर नहीं’ — जानिए क्या है वजह

शेख हसीना का बड़ा बयान: ‘मौत की सजा मिले तो भी डर नहीं’ — जानिए क्या है वजह

शेख हसीना का खुलासा — देश छोड़ने के पीछे की सच्चाई

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बड़ा बयान देकर पूरे देश में हलचल मचा दी है। उन्होंने कहा कि “मुझे मौत की सजा मिले तो भी डर नहीं”, क्योंकि अब उन्हें अपने विरोधियों से किसी भी तरह की उम्मीद नहीं है। शेख हसीना ने बताया कि पिछले साल बांग्लादेश में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन और हिंसा के दौरान उनकी जान को खतरा था। इसलिए उन्हें मजबूरी में देश छोड़ना पड़ा। उनका कहना है कि यह फैसला उन्होंने अपनी सुरक्षा और अपने साथ काम करने वाले लोगों की जान बचाने के लिए लिया था। उन्होंने साफ कहा कि वे आज भी बांग्लादेश में लोकतंत्र बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

 

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना बयान में उन्होंने मो. यूनुस की अगुवाई वाली मौजूदा सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश राजनीतिक संकट की जड़ में वही लोग हैं जिन्होंने साजिश के तहत उन्हें सत्ता से हटाया। हसीना ने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने कभी भी प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश नहीं दिया था। उनका दावा है कि जमीन पर सुरक्षा बलों के अनुशासनहीन व्यवहार के कारण ही हिंसा बढ़ी और निर्दोष लोग मारे गए। उन्होंने यह भी बताया कि शुरुआती हत्याओं की जांच शुरू की गई थी, लेकिन यूनुस सरकार ने बाद में उस जांच को बंद करा दिया। उनके अनुसार यह सब एक सुनियोजित प्रयास था ताकि सच्चाई सामने न आ सके।

 

मौत की सजा से नहीं डरतीं शेख हसीना

शेख हसीना मौत की सजा को लेकर दिए गए अपने बयान में कहा कि अगर बांग्लादेश का अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) उन्हें मौत की सजा सुनाता है तो उन्हें न तो आश्चर्य होगा और न ही डर। उनका कहना है कि यह अदालत “एक दिखावटी मंच” है जिसे उनके राजनीतिक विरोधियों ने अपनी सुविधा के अनुसार नियंत्रित किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस अदालत की अध्यक्षता ऐसे लोग कर रहे हैं जो उन्हें किसी भी कीमत पर खत्म करना चाहते हैं। Sheikh Hasina death statement के अनुसार, उनके खिलाफ चल रही सभी कार्रवाइयाँ राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित हैं।

 

शेख हसीना ने दोहराया कि बांग्लादेश राजनीतिक संकट में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। उन्होंने कहा कि पिछले साल नौकरी में कोटा हटाने की मांग से शुरू हुआ आंदोलन धीरे-धीरे हिंसक रूप ले बैठा और फिर उसे तख्तापलट में बदल दिया गया। आंदोलन के दौरान हुई मौतों के लिए अंतरिम सरकार के मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने उन्हें दोषी ठहराया था, लेकिन हसीना का कहना है कि यह सब झूठा प्रचार है। उन्होंने कहा कि शेख हसीना बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है ताकि जनता के बीच भ्रम फैले। उनके अनुसार, सच्चाई यह है कि उन्होंने हमेशा बांग्लादेश के लोकतंत्र और विकास के लिए काम किया है और आगे भी करती रहेंगी, चाहे इसके लिए उन्हें शेख हसीना मौत की सजा ही क्यों न भुगतनी पड़े। उन्होंने कहा कि डर केवल उन लोगों को होता है जिनके इरादे साफ नहीं होते, जबकि उनके लिए देश और लोकतंत्र सबसे ऊपर है।

 

 

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