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आजम खान की रिहाई: यूपी की सियासत में बड़ा बदलाव, अखिलेश यादव के साथ रिश्तों पर नजर

आजम खान की रिहाई: यूपी की सियासत में बड़ा बदलाव, अखिलेश यादव के साथ रिश्तों पर नजर

उत्तर प्रदेश की राजनीति में लंबे समय से चर्चा में रहे समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान करीब 23 महीनों के बाद जेल से रिहा होने वाले हैं। मंगलवार (23 सितंबर 2025) को अदालत से जमानत मिलने के बाद उनकी आज़ादी का रास्ता साफ हो गया। आजम खान की रिहाई यूपी की सियासत में नई हलचल ला सकती है, खासकर जब उनके और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के रिश्तों पर सभी की नजरें लगी हैं।

 

आजम खान का रामपुर पर प्रभाव

आजम खान उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले की राजनीति में लंबे समय से अहम चेहरा रहे हैं। उनके जेल में जाने के बाद रामपुर में समीकरण बदल गए हैं। फिलहाल सपा का कब्जा कायम है, लेकिन आजम की गैर-मौजूदगी में उनके रंग फीके पड़ गए। अब यह देखना होगा कि आजम खान की वापसी रामपुर और यूपी की सियासत में क्या बदलाव ला सकती है।

 

रामपुर की सीट पर कई दिग्गज नेताओं की नजरें हैं, और आजम की रिहाई के बाद यह सीट फिर से राजनीतिक चर्चाओं में सबसे ऊपर होगी। उनके समर्थक सक्रिय हो जाएंगे और संगठन में उनकी पकड़ बढ़ सकती है।

 

आजम खान की रिहाई का कानूनी पृष्ठभूमि

आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला को दो जन्म प्रणाम पत्र मामलों में अदालत ने 7-7 साल की सजा सुनाई थी। उनके साथ उनकी पत्नी डॉ. तंजीन फातिमा भी शामिल थीं, जिन्हें 7 महीने और 11 दिन बाद जमानत मिल गई थी। अब्दुल्ला को 17 महीने और आजम खान को 23 महीनों बाद राहत मिली।इस रिहाई ने न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित किया, बल्कि यूपी की सियासत में भी कई बदलावों की संभावनाओं को जन्म दिया है।

 

यूपी की सियासत पर असर

आजम खान की रिहाई के बाद उनके समर्थक सक्रिय राजनीति में लौटेंगे। समाजवादी पार्टी में उनकी पकड़ और दबदबा बढ़ सकता है। रामपुर के सपा संगठन में उनके करीबी नेताओं की संख्या अधिक होने के कारण उनका प्रभाव मजबूत होगा।

 

इससे सपा में सांसद मोहिबुल्लाह नदवी का प्रभाव कम हो सकता है। इसके अलावा, यूपी की सियासत में नई रणनीतियों और सत्ता समीकरणों पर भी असर देखने को मिलेगा। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि आजम की वापसी से पार्टी में प्रेशर पॉलिटिक्स और लोक स्तर पर असर बढ़ सकता है।

 

अखिलेश यादव के साथ केमिस्ट्री

आजम खान पिछले 23 महीनों से सीतापुर जेल में थे। इस दौरान अखिलेश यादव उनसे केवल एक-दो बार मिले। उनकी रिहाई को लेकर कोई बड़ा प्रयास नहीं हुआ, जिससे उनके बीच थोड़ी दूरी दिखाई दे सकती है।

 

हालांकि, राजनीतिक संकेतों के अनुसार आजम खान फिलहाल समाजवादी पार्टी छोड़ने की योजना नहीं बना रहे हैं। उनके और अखिलेश यादव के बीच भविष्य में रणनीतिक समझौते और सहयोग पर सभी की नजर होगी। नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने हाल ही में आजम से मुलाकात की थी, जो इस संभावना को और मजबूत करती है कि वे सपा के भीतर ही सक्रिय राजनीति में लौटेंगे।


आजम खान की जेल से रिहाई के बाद यूपी की सियासत में हलचल निश्चित है। रामपुर की राजनीति, सपा संगठन की ताकत और उनके और अखिलेश यादव के रिश्तों का भविष्य इस बदलाव के केंद्र में रहेगा। आने वाले महीनों में राजनीतिक समीकरण और पार्टी की रणनीति में बड़ा असर देखने को मिल सकता है।

 

यह भी पढ़ें - विधान परिषद की 11 सीटों के लिए तैयारी, 30 सितंबर से शुरू होगा मतदाता सूची का संशोधन कार्य

 

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Frequently Asked Questions

 

Q1. आजम खान कब जेल से रिहा हो रहे हैं?
Ans. आजम खान मंगलवार, 23 सितंबर 2025 को 23 महीनों बाद जेल से रिहा हो रहे हैं।

 

Q2. आजम खान की रिहाई का यूपी की सियासत पर क्या असर होगा?
Ans. यूपी की सियासत में हलचल होगी। रामपुर में उनके समर्थकों का दबदबा बढ़ सकता है और सपा संगठन में बदलाव देखने को मिल सकता है।

 

Q3. आजम खान और अखिलेश यादव के रिश्तों की वर्तमान स्थिति क्या है?
Ans. जेल में रहते हुए आजम खान और अखिलेश यादव के बीच थोड़ी दूरी रही। रिहाई के बाद उनके बीच रणनीतिक समझौते और सहयोग पर सभी की नजर रहेगी।

 

Q4. रामपुर की राजनीति में आजम खान की वापसी का क्या प्रभाव होगा?
Ans. रामपुर की सीट पर उनकी गैर-मौजूदगी में सपा का कब्जा था, लेकिन रिहाई के बाद आजम खान के समर्थक सक्रिय होंगे और उनके प्रभाव से राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं।

 

Q5. क्या आजम खान सपा छोड़ सकते हैं?
Ans. फिलहाल यह संभावना बहुत कम है। राजनीतिक संकेतों के अनुसार आजम खान सपा के भीतर सक्रिय रहकर पार्टी की राजनीति को प्रभावित करेंगे।

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