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आज 75 साल के हुए RSS प्रमुख मोहन भागवत, क्या अब देंगे नेतृत्व किसी और को?

आज 75 साल के हुए RSS प्रमुख मोहन भागवत, क्या अब देंगे नेतृत्व किसी और को?

11 सितंबर 2025 आज RSS के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhgawat) 75 वर्ष के हो गए। वह करीब 16 वर्ष से अधिक समय से संघ की कमान संभाल रहे हैं। मोहन भागवत का जन्म 11 सितंबर, 1950 को महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में हुआ था। नरेंद्र मोदी जी से केवल 6 दिन बड़े हैं मोहन भगवत।

 

RSS के सरसंघचालक मोहन भागवत राष्ट्रीय स्वयं सेवक प्रमुख के कार्यकाल की अवधि के मामले में एम एस गोलवलकर और मधुकर दत्तात्रेय देवरस (बालासाहेब) के बाद तीसरे स्थान पर हैं। RSS के तीसरे प्रमुख रहे बालासाहेब 20 से अधिक वर्षों तक शीर्ष पद पर रहे, जबकि दूसरे सरसंघचालक गोलवलकर ने 32 वर्षों से अधिक समय तक संगठन का नेतृत्व किया।

 

RSS प्रमुख मोहन भागवत के जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लिखते हैं- आज 11 सितंबर है। यह दिन अलग-अलग स्मृतियों से जुड़ा है। एक स्मृति 1893 को है, जब स्वामी विवेकानंद ने शिकागों में विश्व बंधुत्य का संदेश दिया और दूसरी स्मृति है 9/11 का आतंकी हमला, जब विश्व बंधुत्व को सबसे बड़ी चोट पहुंचाई गई। 

 

PM नरेंद्र मोदी आगे लिखते हैं- आज के दिन की एक और विशेष बात है। आज एक ऐसे व्यक्तित्व का 75वां जन्मदिवस है, जिन्होंने वसुधैव कुटुंबकम के मंत्र पर चलकर समाज को संगठित करने, समता समरसता व बंधुत्व की भावना को सशक्त करने में पूरा जीवन समर्पित किया है। संघ परिवार में जिन्हें परम पूजनीय सरसंघचालक के रूप में बद्धाभाव से संबोधित किया जाता है, ऐसे आदरणीय मोहन भागवत का आज जन्मदिन है। यह एक सुखद संयोग है कि इसी साल राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। मैं मोहन भागवत जी को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं और प्रार्थना करता हूं कि ईश्वर उन्हें दीघांयु एवं उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करें।

 

RSS प्रमुख मोहन भागवत का पूरा जीवन सतत प्रेरणा देने वाला राहा है। वे 1970 के दशक के मध्य में प्रचारक बने। सामान्य जीवन में प्रचारक शब्द सुनकर यह भ्रम हो जाता है कि कोई प्रचार करने वाला व्यक्ति होगा, लेकिन जी संघ को जानते हैं, उन्हें पता है कि प्रचारक परंपरा संघ कार्य की विशेषता है।

 

भागवत भी उस महान परंपरा की मजबूत धुरी है। उन्होंने उस समय प्रचारक का दापित्य संभाला, जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने देश पर आपातकाल थोप दिया था। उस दौर में प्रचारक के रूप में भागवत ने आपातकाल विरोधी आंदोलन को निरंतर मजबूती दी। उन्होंने कई वर्षों तक महाराष्ट्र के ग्रामीण और पिछड़े इलाकों, विशेषकर विदर्भ में काम किया। 1990 के दशक में अखिल भारतीय शारीरिक प्रमुख के रूप में मोहन भागवत के कार्यों को आज भी कई स्वयंसेवक स्नेह पूर्वक याद करते हैं।

 

75 साल की उम्र में सार्वजनिक जीवन से मोहन भागवत के संन्यास लेने वाले बयान को लेकर पहले अटकलें लगीं थी, लेकिन बाद में नागपुर में एक कार्यक्रम में भागवत ने कहा, 'हम जिंदगी में कभी भी रिटायर होने के लिए तैयार रहते हैं और जब तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ चाहेगा, काम करते रहेंगे। ' उन्होंने स्पष्ट किया, 'मैंने कभी नहीं कहा कि मैं रिटायर हो जाऊंगा या कोई और रिटायर हो।

 

ऐसी ही जानकारी के लिए विजिट करे: The India Moves

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