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दिल्ली में है त्रिकोणीय मुकाबला, क्या हैं आप की मुश्किलें ? बीजेपी भी है तैयार

दिल्ली में है त्रिकोणीय मुकाबला, क्या हैं आप की मुश्किलें ? बीजेपी भी है तैयार

चुनाव आयोग ने दिल्ली के चुनावी रण का विगुल बजा दिया है। इससे पहले ही दिल्ली का चुनावी रण सजने लगा था। अभी इसमें और तेजी आना बाकि है। इस बार लोकसभा के मुकाबले दिल्ली का चुनावी परिदृश्य भी थोड़ा बदला हुआ है। लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने मिलकर बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। आप ने पहले ही चुनावी रण में अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं लेकिन इस चुनाव में दोनों एक दूसरे के खिलाफ खड़े हैं। ऐसे में इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद मानी जा रही है। आम आदमी पार्टी लगातार तीसरी बार सत्ता पाने के लिए चुनावी मैदान में है। उसने अपने सभी उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। कांग्रेस के भी 48 उम्मीदवार मैदान में हैं। इस मामले में बीजेपी अभी पीछे नजर आ रही है। अभी तक वह सिर्फ 29 उम्मीदवारों की घोषणा कर पाई है।

 

चौथी बार आप के सामने होगी चुनौतियां

आप के सामने चौथी बार सत्ता पाने की चुनौती है। 2012 में उभरी पार्टी ने 2013 के चुनाव में 28 सीटें जीतीं और कांग्रेस के समर्थन से सत्ता हासिल की। अरविंद केजरीवाल पहली बार मुख्यमंत्री बने। 48 दिन बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। उसके बाद 2015 में 70 में से 67 और 2020 में 63 सीटें जीतकर अपनी राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन किया। कई नेताओं को जेल जाना पड़ा। केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। अब सभी बड़े नेता जेल से बाहर आकर तीसरी बार सत्ता पाने की कोशिश कर रहे हैं। महिलाओं को 2100 रुपये प्रतिमाह और बुजुर्गों को मुफ्त इलाज समेत अन्य वादों के सहारे आप ने चुनाव प्रचार में भी बढ़त बना ली है।

 

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1998 से दिल्ली में सत्ता से बाहर है भाजपा

भारतीय जनता पार्टी 1998 से दिल्ली में सत्ता से बाहर है। तीन चुनावों में उसे आमने-सामने की टक्कर में कांग्रेस ने हराया था। 2013 में पार्टी 33 सीटें जीतने के बाद भी सत्ता से बाहर रही। 2014 और 2019 में सभी सातों लोकसभा सीटें जीतने के बावजूद पार्टी को कुछ महीने बाद हुए दो विधानसभा चुनावों में बड़ी हार का सामना करना पड़ा। इस बार भाजपा आप और कांग्रेस के गठबंधन को हराकर सभी सातों सीटें जीतने में सफल रही है। इसके चलते पार्टी नेता इस चुनाव को लेकर आशान्वित नजर आ रहे हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री के एक सरकारी कार्यक्रम और उसके बाद उनकी रैली ने कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार किया है।

 

खोई राजनीतिक जमीन फिर से हासिल करना चाहती है कांग्रेस

कांग्रेस अपनी राजनीतिक जमीन फिर से हासिल करने की कोशिश कर रही है। दिल्ली में आप के उदय के साथ ही कांग्रेस के बुरे दिन शुरू हो गए थे। लगातार 15 साल तक दिल्ली की सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस 2013 में आठ सीटों पर सिमट गई थी। उसके बाद हुए दो चुनावों में पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाई। माना जा रहा है कि कांग्रेस का वोट बैंक अब आप में शामिल हो गया है। इसे वापस पाने के लिए कांग्रेस पिछले दो विधानसभा चुनावों की तुलना में इस बार ज्यादा आक्रामक नजर आ रही है।

केजरीवाल के खिलाफ संदीप दीक्षित को उतारकर और तीखे बयान देकर उन्होंने अपने इरादे साफ कर दिए हैं। आप के जवाब में पार्टी ने महिलाओं को 2,500 रुपये प्रति माह देने की घोषणा की है।

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