
चीन को रोकने के लिए ट्रंप का नया खेल, पाकिस्तान-सऊदी अरब को मिली खुली छूट
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Chhavi
- September 24, 2025
पाकिस्तान-सऊदी अरब डिफेंस समझौता और ट्रंप की रणनीति
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अमेरिका ने एशिया और खाड़ी क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए नई चालें चलनी शुरू कर दी हैं। पाकिस्तान-सऊदी अरब डिफेंस समझौता इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अमेरिका की मौन स्वीकृति के बिना यह समझौता संभव नहीं था, क्योंकि सऊदी अरब और अमेरिका के बीच गहरे रणनीतिक और आर्थिक संबंध हैं। इस समझौते के तहत अगर एक देश पर हमला होता है तो इसे दूसरे देश पर भी हमला माना जाएगा, जिसे “इस्लामिक नाटो” के पहले कदम के रूप में देखा जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ 50 करोड़ डॉलर का खनिज निवेश समझौता किया है और टैरिफ में राहत देकर इसे चीन से अलग करने की रणनीति बनाई है। ट्रंप की चीन रोकने की अमेरिकी नीति का मुख्य उद्देश्य एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करना है। इसके अलावा, ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान, सऊदी अरब, तुर्की, कतर और अन्य मुस्लिम देशों के नेताओं के साथ बैठक करके अमेरिका और इस्लामिक देश के संबंधों को मजबूत किया। उनका मकसद केवल सुरक्षा नहीं, बल्कि चीन और रूस जैसी महाशक्तियों के प्रभाव को सीमित करना भी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान-सऊदी अरब डिफेंस समझौता अमेरिका की चीन रोकने की अमेरिकी नीति में एक अहम हिस्सेदार साबित होगा और खाड़ी देशों के भरोसे को भी मजबूत करेगा।
अमेरिका और इस्लामिक देशों के सहयोग का महत्व
ट्रंप की रणनीति में अमेरिका और इस्लामिक देश का सहयोग खाड़ी और एशिया में संतुलन बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। अमेरिका ने पाकिस्तान और सऊदी अरब को खुले हाथ से समर्थन दिया है ताकि चीन के प्रभाव को रोका जा सके। तुर्की और कतर जैसे देश भी इस रणनीति में शामिल हैं, जहाँ तुर्की की सीरिया में रणनीतिक भूमिका इसे महत्वपूर्ण बनाती है। ट्रंप की चीन रोकने की अमेरिकी नीति में ये कदम स्थानीय और क्षेत्रीय शक्तियों को मजबूत करने का प्रयास हैं। अमेरिका ने खाड़ी देशों के भरोसे को बहुपक्षीय बैठकों, रक्षा समझौतों और आर्थिक निवेश के माध्यम से सुनिश्चित किया है। डिफेंस एक्सपर्ट मानते हैं कि पाकिस्तान-सऊदी अरब डिफेंस समझौता केवल एक द्विपक्षीय समझौता नहीं है, बल्कि यह अमेरिका की व्यापक चीन रोकने की रणनीति का अहम हिस्सा है। इसके साथ ही, अमेरिका और इस्लामिक देश के सहयोग से अमेरिका खाड़ी क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति कम करते हुए स्थानीय देशों को भरोसेमंद बना रहा है, जिससे रूस और चीन जैसी महाशक्तियों के प्रभाव को संतुलित किया जा सके। ट्रंप की यह नीति साफ दिखाती है कि अमेरिका अपनी वैश्विक और क्षेत्रीय रणनीति में लचीलापन रखते हुए चीन के प्रभाव को सीमित करने के लिए सक्रिय है।
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