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थाईलैंड की महारानी सिरिकिट का 93 वर्ष की उम्र में निधन

थाईलैंड की महारानी सिरिकिट का 93 वर्ष की उम्र में निधन

थाईलैंड से दुखद खबर आई है, थाईलैंड की महारानी सिरिकिट अब इस दुनिया में नहीं रहीं। 93 वर्ष की आयु में उनका बैंकॉक के एक अस्पताल में निधन हो गया। बीते कुछ दिनों से उनकी तबीयत नाजुक चल रही थी और 17 अक्टूबर को ब्लड इंफेक्शन के कारण उनकी हालत बिगड़ गई थी। इलाज के बावजूद महारानी सिरिकिट का निधन हो गया। Thailand Queen Sirikit Death की पुष्टि रॉयल हाउसहोल्ड ब्यूरो ने की है। इस दुखद खबर के बाद पूरे थाईलैंड में शोक की लहर दौड़ गई है। प्रधानमंत्री अनुतिन चार्नवीराकुल ने आसियान सम्मेलन का अपना दौरा रद्द कर दिया है और राजपरिवार ने पूरे एक वर्ष के शोककाल की घोषणा की है।

 

थाईलैंड की महारानी सिरिकिट अपने जीवन में सिर्फ एक रानी नहीं, बल्कि थाई संस्कृति और आधुनिकता का प्रतीक थीं। उन्होंने थाई रेशम उद्योग को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई और देश के ग्रामीण विकास को नई दिशा दी। उनके निधन से देश ने एक ऐसी प्रेरणा को खो दिया है जिसने आधुनिक थाई पहचान गढ़ी। महारानी सिरिकिट का निधन के साथ ही थाईलैंड की उस सुनहरी विरासत का अध्याय खत्म हो गया, जिसने फैशन, कला और परंपरा को एक साथ जोड़ा। Thailand Queen Sirikit Death की खबर ने शाही परिवार के साथ पूरे देश को गहरे दुःख में डाल दिया है।

 

Queen Sirikit ने अपने पति, राजा भूमिबोल अदुल्यादेज के साथ 70 वर्षों तक राजशाही की गरिमा बनाए रखी। दोनों का साथ न केवल प्रेम का प्रतीक था, बल्कि देश की स्थिरता और प्रगति की पहचान भी था। 1960 के दशक में अमेरिका दौरे के दौरान थाईलैंड की महारानी सिरिकिट ने अपने आकर्षक व्यक्तित्व से दुनिया का ध्यान खींचा था। टाइम मैग्जीन ने उन्हें “स्लिम एंड आर्क-फेमिनिस्ट क्वीन” कहा, जबकि फ्रांसीसी अखबार L’Aurore ने उन्हें “रैविशिंग ब्यूटी” बताया। यह वही दौर था जब थाईलैंड की परंपरा और फैशन को उन्होंने एक नई पहचान दी।

 

1932 में जन्मीं Queen Sirikit का जीवन असाधारण रहा। बैंकॉक के कुलीन परिवार में जन्मी सिरिकिट के पिता फ्रांस में राजदूत थे। वहीं उनकी मुलाकात युवा भूमिबोल से हुई और यहीं से उनकी प्रेम कहानी की शुरुआत हुई। उन्होंने एक बार मजाक में कहा था, “पहली मुलाकात में नफरत हुई… क्योंकि वो देर से आए थे, लेकिन वही नफरत प्यार में बदल गई।” बाद में 1950 में, 17 साल की उम्र में उन्होंने विवाह किया और तब से थाईलैंड की महारानी सिरिकिट के रूप में पूरे देश के दिलों में बस गईं।

 

फैशन और कला की दुनिया में महारानी सिरिकिट का निधन एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने फ्रांसीसी डिजाइनर पियरे बालमैन के साथ मिलकर थाई सिल्क पर आधारित आधुनिक परिधान तैयार किए। इस प्रयास से थाईलैंड की महारानी सिरिकिट ने न केवल देश के परिधान उद्योग को ऊंचाई दी, बल्कि हजारों ग्रामीणों को रोजगार भी दिया। उनके प्रयासों से थाई सिल्क उद्योग को वैश्विक पहचान मिली और वे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर “फैशन क्वीन” कहलाईं। आज Thailand Queen Sirikit Death के बाद दुनिया उन्हें एक ऐसी शख्सियत के रूप में याद कर रही है जिन्होंने परंपरा में आधुनिकता की चमक जोड़ी।

 

Queen Sirikit ने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा ग्रामीण विकास को समर्पित किया। उन्होंने SUPPORT फाउंडेशन की स्थापना की जो गरीब परिवारों को पारंपरिक कला जैसे रेशम बुनाई, गहना निर्माण, पेंटिंग और मिट्टी के बर्तन बनाने की ट्रेनिंग देता था। इसी कारण उन्हें “ग्रीन क्वीन” कहा गया। थाईलैंड की महारानी सिरिकिट अक्सर राजा के साथ देश के दूरदराज़ इलाकों का दौरा करतीं और वहां के लोगों की समस्याओं को समझकर विकास योजनाओं की शुरुआत करतीं। उनके प्रयासों ने थाईलैंड के ग्रामीण जीवन में नई उम्मीद जगाई।

 

राजनीतिक और धार्मिक दृष्टि से भी महारानी सिरिकिट का निधन थाईलैंड के लिए एक बड़ा नुकसान है। जब राजा भूमिबोल ने 1956 में कुछ समय के लिए बौद्ध भिक्षु बनने का निर्णय लिया था, तब Queen Sirikit ने अस्थायी रीजेंट की भूमिका निभाई। यह पद थाई परंपरा में अत्यंत सम्मानजनक माना जाता है। 1976 में उनके जन्मदिन 12 अगस्त को थाईलैंड में मातृ दिवस घोषित किया गया, जो आज भी पूरे देश में मनाया जाता है।

 

2016 में राजा भूमिबोल के निधन के बाद से थाईलैंड की महारानी सिरिकिट सार्वजनिक जीवन से दूर रहीं। वे लंबे समय से बीमार थीं, लेकिन उनकी छवि देश के हर नागरिक के दिल में आज भी जीवित है। Thailand Queen Sirikit Death के बाद राजा महा वजिरालोंगकोर्न ने कहा कि “मां सिर्फ शाही परिवार की आत्मा नहीं थीं, बल्कि पूरे देश की आत्मा थीं।”

 

आज जब थाईलैंड की महारानी सिरिकिट हमारे बीच नहीं हैं, तो उनके योगदान, त्याग और प्रेम की कहानियां हर थाई नागरिक के दिल में गूंज रही हैं। उन्होंने थाई संस्कृति, कला और मानवीयता का जो उदाहरण पेश किया, वह पीढ़ियों तक प्रेरणा देता रहेगा। महारानी सिरिकिट का निधन सिर्फ एक युग का अंत नहीं, बल्कि उस मातृभाव का अंत है जिसने पूरे देश को एक परिवार की तरह जोड़े रखा। Thailand Queen Sirikit Death की खबर के साथ ही दुनिया भर से श्रद्धांजलि संदेश आ रहे हैं, क्योंकि “Queen Sirikit” अब भी सबके दिलों की रानी बनी रहेंगी।

 

ऐसी ही जानकारी के लिए विजिट करे: The India Moves

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