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ओसामा से लेकर PAK के परमाणु तक…CIA के पूर्व अधिकारी का खुलासा

ओसामा से लेकर PAK के परमाणु तक…CIA के पूर्व अधिकारी का खुलासा

पूर्व CIA अधिकारी और आतंकवाद विशेषज्ञ जॉन किरियाकू ने हाल ही में जानकारी के मुताबिक, बताया कि ओसामा बिन लादेन, जो 11 सितंबर 2001 के बाद अमेरिका के लिए सबसे खतरनाक आतंकवादी था, ने खुद को बचाने के लिए महिला के वेश में तोरा बोरा की पहाड़ियों से भागने का क़दम उठाया। जानकारी के मुताबिक, CIA पूर्व अधिकारी जॉन किरियाकू के अनुसार, अमेरिकी सेना ने सोचा कि ओसामा बिन लादेन घिर गया है, लेकिन अनुवादक के सहारे उन्होंने महिलाओं और बच्चों को निकालने का बहाना बनाया और अंधेरे में पिकअप ट्रक के पीछे बैठकर पाकिस्तान की तरफ भाग गए। ये सनसनीखेज खुलासे अमेरिकी खुफिया और आतंकवाद रोधी अभियानों के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण हैं।

 

सेंट्रल कमांड के कमांडर का अनुवादक था अल-कायदा का आतंकी

 

जानकारी के मुताबिक,जॉन किरियाकू, जो 15 साल तक CIA पूर्व अधिकारी के रूप में पाकिस्तान में आतंकवाद रोधी अभियानों के प्रमुख रहे, ने खुलासा किया कि उन्हें नहीं पता था कि सेंट्रल कमांड के कमांडर का ट्रांसलेटर असल में एक अल-कायदा ऑपरेटिव था। CIA पूर्व अधिकारी ने बताया कि इस कारण ओसामा बिन लादेन को पकड़ने का ऑपरेशन और भी चुनौतीपूर्ण बन गया। उन्होंने कहा, "हमने लादेन को पहाड़ से नीचे आने को कहा, लेकिन अनुवादक के ज़रिए कहा गया कि महिलाओं और बच्चों को निकालने का समय चाहिए। इस दौरान ओसामा बिन लादेन महिला के भेष में भाग गए।"

 

मुशर्रफ को अरबों में खरीदा और पाकिस्तान के परमाणु पर नियंत्रण

 

जानकारी के मुताबिक, अमेरिका के पूर्व सीआईए अधिकारी जॉन किरियाकू ने पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ के बारे में भी सनसनीखेज खुलासे किए। CIA पूर्व अधिकारी के अनुसार, अमेरिका ने मुशर्रफ को अरबों डॉलर की सैन्य और आर्थिक सहायता देकर essentially “खरीद लिया” और पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर नियंत्रण रखा। जॉन किरियाकू ने कहा, "मुशर्रफ दोहरा खेल खेल रहे थे – खुलेआम अमेरिका का समर्थन करते थे, लेकिन गुप्त रूप से पाकिस्तान की सेना और चरमपंथियों को भारत के खिलाफ सक्रिय रखते थे।" यह सनसनीखेज खुलासे दर्शाते हैं कि पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति और आतंकवाद में अमेरिका की गुप्त भूमिका कितनी जटिल थी।

 

अमेरिका की दोहरी नीति और सऊदी अरब का योगदान

 

जानकारी के अनुसार, CIA पूर्व अधिकारी ने बताया कि अमेरिका लोकतंत्र और मानवाधिकार की बातें करता है, लेकिन वास्तविकता में उसकी नीति स्वार्थ पर आधारित है। जॉन किरियाकू ने खुलासा किया कि सऊदी अरब ने पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान को बचाया, जिससे अमेरिका की कार्रवाई प्रभावित हुई। पूर्व CIA अधिकारी के अनुसार, अमेरिका और सऊदी अरब का रिश्ता हमेशा तेल और हथियार के लेन-देन पर आधारित रहा। ये सनसनीखेज खुलासे दिखाते हैं कि दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व में अमेरिका की रणनीति केवल आतंकवाद रोधी अभियान तक सीमित नहीं थी।

 

अल-कायदा पर अमेरिका का फोकस और भारत-पाक तनाव

 

जॉन किरियाकू ने बताया कि 9/11 के बाद अमेरिका केवल अल-कायदा और अफगानिस्तान पर फोकस्ड था। CIA पूर्व अधिकारी के अनुसार, इस दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ती तनावपूर्ण स्थिति और संसद हमले के बाद की स्थिति पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि 2008 के मुंबई हमलों में पाकिस्तान समर्थित ग्रुपों की भूमिका थी, जबकि अमेरिका अल-कायदा पर केंद्रित था। ये सनसनीखेज खुलासे अमेरिकी आतंकवाद रोधी रणनीति की सीमाओं को स्पष्ट करते हैं।

 

पाकिस्तान और अमेरिका के खुफिया ऑपरेशन का पर्दाफाश

 

जानकारी के मुताबिक, पूर्व CIA अधिकारी जॉन किरियाकू ने बताया कि अमेरिका ने पाकिस्तान में कई गुप्त ऑपरेशन किए ताकि आतंकवाद और परमाणु हथियारों पर नियंत्रण बना रहे। जॉन किरियाकू ने कहा, "हमने अमेरिकी परिवारों को सुरक्षित स्थान पर भेजा और पाकिस्तान में आतंकवाद रोधी ऑपरेशन चलाए। ओसामा बिन लादेन का भागना, मुशर्रफ की खरीद और आईएसआई को नकद देना, यह सब अमेरिका की रणनीति का हिस्सा था।"

 

दुनिया का बदलता पावर बैलेंस और भविष्य की चेतावनी

 

CIA पूर्व अधिकारी ने कहा कि अब दुनिया का पावर बैलेंस बदल रहा है। सऊदी अरब, चीन और भारत नई रणनीतियों के साथ अपनी जगह बना रहे हैं। जॉन किरियाकू ने चेताया कि पाकिस्तान किसी पारंपरिक युद्ध में भारत के सामने हार जाएगा। यह सनसनीखेज खुलासे दर्शाते हैं कि आतंकवाद, खुफिया और दक्षिण एशिया की रणनीति में अमेरिका की भूमिका और उसकी नीति कितनी जटिल है।

 

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