
अखिलेश यादव आजम खान से मिलने रामपुर पहुंचे, 23 महीने बाद हुई खास मुलाकात
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Anjali
- October 8, 2025
समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव बुधवार को रामपुर पहुंचे, जहां उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान से मुलाकात की। यह मुलाकात करीब 23 महीने बाद हुई है और इसे यूपी की सियासत में बेहद अहम माना जा रहा है। अखिलेश यादव रामपुर दौरा सुबह लखनऊ से शुरू हुआ और दोपहर तक वे आजम खान के निवास पर पहुंचे। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया और “अखिलेश जिंदाबाद, आजम जिंदाबाद” के नारे लगाए।
जानकारी के मुताबिक, अखिलेश यादव ने अपने इस रामपुर दौरे पर किसी अन्य नेता को शामिल नहीं किया। वे अकेले ही आजम खान से मिलने पहुंचे। इससे पहले अखिलेश यादव लखनऊ से चार्टर विमान से बरेली एयरपोर्ट पहुंचे, जहां से उन्हें सड़क मार्ग से रामपुर पहुंचना था, लेकिन प्रशासन से मंजूरी में देरी होने के कारण कार्यक्रम थोड़ा लेट हुआ। जब अखिलेश यादव रामपुर पहुंचे, तो वहां पहले से मौजूद समाजवादी पार्टी के समर्थकों ने फूल-मालाओं से उनका स्वागत किया।
इस दौरान सबसे खास बात रही कि आजम खान खुद अखिलेश यादव को रिसीव करने जौहर यूनिवर्सिटी पहुंचे थे। वहां से दोनों एक साथ आजम खान के घर गए। यह दृश्य सपा समर्थकों के लिए बेहद भावनात्मक रहा क्योंकि दोनों नेताओं की यह 23 महीने बाद मुलाकात थी। आजम खान के जेल से बाहर आने के बाद यह उनकी पहली आधिकारिक मीटिंग थी।
रामपुर में इस मीटिंग के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। पूरे इलाके में पुलिस बल तैनात था और समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में जमा हुए थे। सभी की निगाहें इस मुलाकात पर टिकी थीं क्योंकि इसे आगामी विधानसभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है। अखिलेश यादव के साथ लखनऊ से निकले सांसद मौलाना मोहिबुल्ला नदवी को बरेली में ही रोक दिया गया। बताया गया कि आजम खान ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वे केवल अखिलेश यादव से ही मुलाकात करेंगे। इसीलिए अखिलेश ने उन्हें साथ नहीं लिया। इस फैसले के बाद सपा कार्यकर्ताओं के बीच चर्चाएं तेज हो गईं कि आखिर इस मीटिंग के मायने क्या हैं।
जानकारी के मुताबिक आजम खान, जो रामपुर से दस बार विधायक, लोकसभा और राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं, करीब 23 महीने तक सीतापुर जेल में रहे। उन पर कई आपराधिक मामले दर्ज थे, जिनमें जमानत मिलने के बाद हाल ही में उनकी रिहाई हुई है। हालांकि उनकी रिहाई के समय समाजवादी पार्टी का कोई बड़ा नेता उनसे मिलने नहीं गया था, जिससे उनके और पार्टी नेतृत्व के बीच दूरी की अटकलें तेज हो गई थीं।
जानकारी के मुताबिक इस मुलाकात से पहले आजम खान ने कहा था कि वे सिर्फ अखिलेश यादव से ही मिलेंगे और किसी अन्य नेता से नहीं। उनके इस बयान के बाद से ही यह मुलाकात सियासी चर्चाओं का केंद्र बन गई थी। उन्होंने कहा था, “वो आएंगे, यह मेरे लिए सम्मान की बात है। उनका मेरी आत्मा पर हक है। लेकिन मैं चाहता हूं कि केवल वही आएं।” अखिलेश यादव रामपुर दौरा सिर्फ शिष्टाचार भेंट नहीं मानी जा रही। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह मुलाकात सपा के अंदरूनी समीकरणों को फिर से मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। UP Politics में इसे पार्टी की रणनीति को एक नई दिशा देने वाला कदम माना जा रहा है।
समाजवादी पार्टी फिलहाल उत्तर प्रदेश में 37 सांसद और 107 विधायक रखती है, जिनमें 34 मुस्लिम विधायक और चार मुस्लिम सांसद शामिल हैं। ऐसे में आजम खान जैसी प्रभावशाली मुस्लिम नेता से अखिलेश यादव की यह मुलाकात पार्टी के मुस्लिम वोटबैंक को फिर से एकजुट करने के संकेत दे रही है।
सूत्रों के मुताबिक ,अखिलेश यादव इस मुलाकात में आजम खान को संयमित भूमिका निभाने की सलाह दे सकते हैं ताकि पार्टी के भीतर एकजुटता और रणनीतिक संतुलन बना रहे। वहीं आजम खान की मौजूदगी से सपा के पुराने समर्थकों को भी संदेश देने की कोशिश हो सकती है कि पार्टी अब एकजुट होकर आने वाले चुनाव की तैयारी कर रही है। इस मुलाकात को लेकर रामपुर में पूरे दिन हलचल बनी रही। स्थानीय लोग और कार्यकर्ता अपने नेता की एक झलक पाने के लिए घंटों इंतजार करते रहे। जब दोनों नेता आमने-सामने आए तो माहौल पूरी तरह से सियासी रंग में रंग गया।
UP Politics के जानकार मानते हैं कि इस मुलाकात का असर केवल रामपुर ही नहीं, बल्कि पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति पर दिख सकता है। लंबे समय से पार्टी से दूरी बना चुके आजम खान को फिर से सक्रिय भूमिका में लाने की कोशिश पार्टी के लिए 2027 विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा सियासी दांव हो सकती है। कुल मिलाकर, अखिलेश यादव रामपुर दौरा और आजम खान से उनकी 23 महीने बाद मुलाकात यूपी की राजनीति में नई चर्चा को जन्म दे रही है। यह मुलाकात सपा के भविष्य की रणनीति, मुस्लिम वोट बैंक और पार्टी एकजुटता के लिहाज से बेहद अहम मानी जा रही है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस मुलाकात से समाजवादी पार्टी की सियासी तस्वीर में कोई नया अध्याय जुड़ता है या नहीं।
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