
बगराम एयरबेस पर ट्रंप की नजर, अमेरिका के लिए फायदा या नुकसान?
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Chhavi
- September 20, 2025
बगराम एयरबेस: अमेरिका की वापसी का सपना या चुनौती
अफगानिस्तान में अमेरिकी वापसी की चर्चाएँ फिर से सुर्खियों में हैं, क्योंकि अमेरिका काबुल के पास स्थित बगराम एयरबेस पर दोबारा कब्जा करने की योजना बना रहा है। बगराम एयरबेस अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना का सबसे बड़ा और प्रमुख ठिकाना माना जाता था, जो करीब 3300 एकड़ में फैला हुआ है और इसका मुख्य रनवे 7 किलोमीटर लंबा है। एक समय पर यहाँ 40,000 से ज्यादा सैनिक और नागरिक कॉन्ट्रैक्टर तैनात थे। यह वही एयरबेस था, जहाँ से तालिबान और अन्य आतंकी संगठनों के खिलाफ बड़े पैमाने पर ऑपरेशन चलाए जाते थे। जुलाई 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान की तेजी से बढ़ती ताकत के चलते अमेरिकी सेना को बेस खाली करना पड़ा और 15 अगस्त 2021 को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया। अब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि बगराम एयरबेस पर दोबारा कब्जा जमाकर अमेरिका चीन पर नजर रख सकता है। हालांकि अमेरिकी अधिकारी इसे व्यावहारिक रूप से मुश्किल मानते हैं, क्योंकि इतने बड़े बेस को सुरक्षित रखना आसान नहीं होगा। इसके लिए हजारों सैनिकों की जरूरत होगी, भारी आर्थिक खर्च आएगा और रसद की आपूर्ति भी बड़ी चुनौती बनेगी। अफगानिस्तान एक लैंडलॉक्ड देश है और यहां तक सप्लाई पहुंचाना कठिन होगा।
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तालिबान का खंडन और अमेरिका के लिए सीमित लाभ
हालांकि ट्रंप इसे चीन पर दबाव बनाने की रणनीति बता रहे हैं, अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी मानते हैं कि इस कदम से सैन्य लाभ सीमित होगा और जोखिम ज्यादा है। अगर बगराम एयरबेस पर कब्जा हो भी गया, तो उसके आसपास फैले इलाके को साफ और सुरक्षित रखना पड़ेगा, वरना आतंकी संगठन जैसे इस्लामिक स्टेट और अल-कायदा रॉकेट हमलों के लिए इसे निशाना बना सकते हैं। अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज तालिबान ने भी स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिका की सैन्य मौजूदगी स्वीकार्य नहीं है। तालिबानी अधिकारियों का कहना है कि अमेरिका और अफगानिस्तान आपसी आर्थिक और राजनीतिक रिश्ते बना सकते हैं, लेकिन बिना किसी विदेशी सेना की मौजूदगी। इसका मतलब साफ है कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की वापसी मुश्किल और महंगी साबित होगी। कुल मिलाकर देखा जाए तो बगराम एयरबेस पर दोबारा कब्जा जमाना अमेरिका के लिए रणनीतिक रूप से ज्यादा फायदेमंद नहीं बल्कि जोखिम भरा साबित हो सकता है। अफगानिस्तान में अमेरिकी वापसी की यह योजना जितनी सुर्खियों में है, वास्तविकता में उतनी व्यावहारिक नहीं लगती। अमेरिका और तालिबान के बीच कोई समझौता नहीं होने पर, बगराम एयरबेस की वापसी केवल राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित रह सकती है।
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