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नेपाल की वो जीवित कन्या, जिसे राजा से लेकर राष्ट्रपति तक करते हैं पूजा

नेपाल की वो जीवित कन्या, जिसे राजा से लेकर राष्ट्रपति तक करते हैं पूजा

भारत के पड़ोसी देश नेपाल (Nepal) में एक ऐसी ही परंपरा है, जो बहुत प्रसिद्ध है। वो है नेपाल की कुमारी देवी परंपरा जो विश्व की सबसे अनोखी और रहस्यमयी सांस्कृतिक परंपराओं में से एक है। नेपाल में एक कन्या की जीवित देवी के रूप में पूजा की जाती है, जिसे ‘कुमारी’ कहा जाता है। जीवित देवी कन्या को जमीन पर पैर रखने की भी अनुमति नहीं होती है।

 

नेपाल का इंद्र यात्रा उत्सव

पड़ोसी देश नेपाल में हर साल आठ दिनों तक इंद्र यात्रा उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है और इस उत्सव के दौरान काठमांडू की जीवित देवी यानी कुमारी देवी की पूजा की जाती है। यह प्रथा नेपाल के नेवारी समुदाय, विशेष रूप से शाक्य और वज्राचार्य जातियों से जुड़ी है, जो हिंदू और बौद्ध धर्म के मिश्रण को दर्शाती है। कुमारी देवी को महाकाली या तालेजू भवानी का जीवित अवतार माना जाता है, जो नेपाल के लोगों के लिए शक्ति और रक्षा का प्रतीक हैं।

 

रथ यात्रा में जीवित देवी

नेपाल में इंद्र यात्रा उत्सव में एक लड़की के सामने भगवान विष्णु के दस अवतारों को प्रदर्शन किया जाता है। इस प्रथा में एक लड़की को देवी चुनकर नेपाल के लोग उनका पूजन करते हैं। इस उत्‍सव में यूं तो कई बातें होती हैं जो काफी खास होती है लेकिन सबसे अहम होती है वह कुमारी यानी एक जीवित देवी जिन्‍हें एक रथ पर बिठाकर काठमांडू में जुलूस के तौर पर निकाला जाता है। जब कोई उत्सव नहीं होता है, तो लोग सामान्य तरीके से देवी की पूजा करते हैं।

 

नेपाल की सदियों पुरानी कुमारी प्रथा

बताया जाता है कि नेपाल में इंद्र यात्रा वह उत्सव जो उस समय की याद में मनाया जाता है जब भगवान इंद्र स्वर्ग से मानव रूप में जड़ी-बूटी की तलाश में धरती पर आए थे। यह त्‍यौहार मॉनसून के मौसम के खत्‍म होने और धान की खेती से भी खास नाता है। नेपाल में कुमारी प्रथा कई सदी पुरानी है। एक छोटी, सुंदर और शालीन, ऐसा माना जाता है कि अगर ऐसी कुमारी के दर्शन भी किसी को हो जाएं तो वह भी सौभाग्य लेकर आ सकती है।

 

जमीन छूने की मनाही

जानकारी के मुताबिक, जीवित देवी कन्या चुने जाने के बाद उनके लिए कई नियम होते हैं जिनका उन्‍हें हर हाल में पालन करना होता है। जैसे कुमारी चुने जाने के बाद कुमारी देवी जमीन के छूने की भी अनुमति नहीं होती है। वह हमेशा अपने सिंहासन या पालकी में ही रहती हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि लोग उन्हें देवी मानते हैं और जमीन को देवता। ऐसे में जीवित देवी कन्या को किसी और देवता को छूने की अनुमति नहीं होती और न ही उन्‍हें किसी तरह की कोई बलि को देखने की मंजूरी है।

 

कुमारी का चयन

जीवित देवी कन्या का चयन बौद्ध शाक्य समुदाय की एक युवा कन्या में से किया जाता है। कन्या में शारीरिक दोष नहीं होने चाहिए और उसके शारीरिक लक्षण देवी दुर्गा से मिलते-जुलते होने चाहिए। फिर उसे कुमारी घर के अंधेरे कमरे में भयावह चीजों के बीच बैठाया जाता है और अगर वह निडर रहती है तो उसे चुना जाता है। उसे एक गंभीर दिखने वाली लड़की की तरह बर्ताव करना है जिसके शरीर में बहुत कम हलचल हो। वह घर के अंदर एकांत और गुप्त जीवन जीती है और बहुत कम नजर आती हैं। एक जीवित देवी के तौर पर शाक्‍य खास मौकों पर अपने घर से साल में 13 बार ही निकल सकती हैं।

 

कुमारी: शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक

जीवित देवी कन्या को देश की शक्ति और सुरक्षा का इंसानी प्रतीक माना जाता है. हिंदू और बौद्ध समुदायों में उन्हें पवित्रता का एकमात्र प्रतीक माना जाता है. क्‍योंकि कुमार को किसी भी तरह की ब्‍लीडिंग की मंजूरी नहीं है तो पीरियड्स या मासिक धर्म शुरू होते ही उन्हें जीवित देवी नहीं माना जाता. ऐसा कहा जाता है कि रक्तस्त्राव के बाद देवी कुमारी का शरीर त्याग देती हैं और ब्लीडिंग उनके अंदर की देवी की पवित्रता को नष्ट कर देती है. ऐसे में वह जीवित देवी की सारी दिव्य शक्ति खो देती हैं।

 

वर्तमान कुमारी: तृष्णा शाक्य

वर्तमान समय में जीवित देवी कन्या तृष्‍णा शाक्‍य रॉयल कुमारी हैं और 27 सितंबर 2017 में उन्‍हें चुना गया था। उनकी उम्र 3 साल थी जब उन्‍हें कुमारी के तौर पर घोषित किया गया। नेपाल में पूजी जाने वाली कई लड़कियों में कुमारी सबसे खास होती हैं और उन्‍हें कई लोग पूजते हैं। नेपाल में यह प्रथा मल्ल वंश के समय शुरू हुई थी और आज भी काठमांडू, पाटन, भक्तपुर जैसे शहरों में प्रचलित है।

 

ऐसी ही जानकारी के लिए विजिट करें: The India Moves

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