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Nobel Awards : किसी भारतीय साइंटिस्ट को क्यों नहीं मिला नोबेल पुरस्कार, जानें कहां हो रही चूक?

Nobel Awards : किसी भारतीय साइंटिस्ट को क्यों नहीं मिला नोबेल पुरस्कार, जानें कहां हो रही चूक?

Nobel Awards : नोबेल प्राइज दुनिया का सबसे बड़ा पुरस्कार है जो अलग-अलग फील्ड में अच्छा काम करने वालों को दिया जाता है। 1901 से लेकर अब तक दुनियाभर में 1000 से ज्यादा लोगों को नोबेल प्राइज मिल चुका है। लेकिन सवाल ये उठता है कि अब तक कितने भारतीय वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार मिला है? अब तक केवल एक ही भारतीय नागरिक को बतौर वैज्ञानिक नोबेल पुरस्कार मिला है। वो हैं सीवी रमन, बाकी ने तो विदेश में अध्ययन किया और जब उन्हें नोबेल पुरुस्कार मिला तब वे भारतीय नागरिक भी नहीं थे। तो फिर आखिर ऐसा क्यों है कि 94 सालों में इतनी तरक्की करने के बाद भी हमारे किसी वैज्ञानिक को नोबेल पुरस्कार नहीं मिला है?

 

कम भारतीय क्यों?
यह सवाल कई मुद्दों से जुड़ा हुआ है। इंडियन एक्सप्रेस के लेख में इसके कारणों पर विचार किया गया है, जिसमें भारती की सीमाओं के अलावा पश्चिमी वर्चस्व, विज्ञान में भारत का निवेश आदि सहित इस बात पर भी गौर किया गया है कि कई भारतीय वैज्ञानिक नोबेल पुरस्कार के लिए नामित भी हुए हैं, इस तथ्य पर गौर किया गया है। पर इनमें सबसे अहम सवाल है, क्या नोबेल पुरस्कार वाकई किसी देश की वैज्ञानिक तरक्की का पैमाना होना चहिए?

 

विज्ञान के क्षेत्र में हुआ बहुत ही कम निवेश
यह सच है कि भारत में विज्ञान के क्षेत्र में बहुत ही कम निवेश किया गया है। मूल शोध पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है। पब्लिक फंडिंग की उम्मीद के बारे में तो बात ही क्या की जाए? यहां तक कि निजी क्षेत्र में भी उत्साह की भारी कमी दिखेगी। आलम ये है कि कई विश्वविद्यालय जो कभी शोधकार्यों में बढ़िया हुआ करते थे, वे लगातार अपनी साख गंवाते रहे है. अवसर एक जटिल सवाल हमेशा ही बने रहे।

 

94 साल से नहीं मिला नोबेल
रमन की उपलब्धि के बाद से 94 साल का अंतर चिंता का विषय है, खासकर तब जब कई भारतीय वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण खोजें की हैं जिन्हें पहचान नहीं मिली। भविष्य में भारतीय वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार के लिए तैयार करने के लिए, हमें ऐसा माहौल बनाने के लिए अभी से कदम उठाने होंगे जहां अभूतपूर्व रिसर्च को बढ़ावा मिले।

 

कितने लोग नामित हुए?
नामित वैज्ञानिकों के नामों का खुलासा भी 50 साल बाद किया जाता है। और ये आंकड़े समय समय पर अपडेट होते रहते हैं। दुनिया के फिजिक्स और कैमिस्ट्री में नाम नोबेल उम्मीदवारों के केवल 1970 की सूची उपलब्ध है। वहीं चिकित्सा में यह आंकड़ा केवल 1953 तक का है। भारत के 35 ज्ञात नामित लोगों में केवल 6 वैज्ञानिक थे। इसमें मेघनाथ साहा और सत्येंद्र नाथ बोस भौतिकी के लिए, दीएन रामचंद्रन और टी शेषाद्री कैमिस्ट्री के लिए, और मेडिसिन के लिए उपेंद्रनाथ ब्रह्मचारी का नाम शामिल है। इन्हें अलग-अलग समय पर एक से अधिक बार नामित किया गया था।

 

नोबेल पुरस्कार न मिलने में कहां और क्या-क्या रहीं चूक?
कुछ वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार न मिलना भारतीय विज्ञान के लिए बेहद निराशाजनक रहा है। जगदीश चंद्र बोस का नाम इस सूची में सबसे ऊपर आता है। उन्होंने, वायरलेस संचार के क्षेत्र में 1895 में पहली बार शोध प्रस्तुत किया, लेकिन उन्हें इस कार्य के लिए कभी नोबेल पुरस्कार नहीं मिला। 1909 में उसी क्षेत्र में गुग्लिल्मो मार्कोनी और फर्डिनेंड ब्राउन को नोबेल दिया गया, लेकिन बोस को दरकिनार कर दिया गया।


केएस कृष्णन, जिन्होंने सीवी रमन के साथ मिलकर "रमन प्रभाव" की खोज की, उन्हें भी नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित नहीं किया गया। रमन को 1930 में अकेले ही यह सम्मान मिला। ईसीजी सुदर्शन का मामला भी विवादित रहा है। 1979 और 2005 में जिन कार्यों के लिए भौतिकी में नोबेल दिया गया, उनमें सुदर्शन का महत्वपूर्ण योगदान था, लेकिन उन्हें यह सम्मान नहीं मिला।

 

पश्चिमी देशों का दबदबा
लेकिन यह सच है कि नोबेल पुरस्कार पर पश्चिमी देशों का वर्चस्व रहा है। यहां तक कि विज्ञान में उल्लेखनीय योगदान देने वाले इजरायल और चीन के वैज्ञानिकों की भी संख्या खासी कम है। अधिकांश यहूदी वैज्ञानिकों को नोबेल मिलने के बावजूद इजराइल के केवल चार ही वैज्ञानिक नोबेल हासिल कर सके। वहीं चीन के केवल तीन वैज्ञानिक नोबेल हासिल कर सके हैं। सच तो ये है कि यूरोप और अमेरिका से बाहर केवल 9 देश के वैज्ञानिकों को ही नोबेल मिल सका है।

 

लेकिन इसमें एक बहुत ही बड़ा पहलू भी है. जिस तरह की सुविधाएं और माहौल यूरोप और अमेरिका में वैज्ञानिकों के लिए है, वह दुनिया में कहीं नहीं है. हां ये सच है कि इजरायल, दक्षिण कोरिया और चीन ने इस दिशा में काफी तरक्की की है. भारत अभी काफी पीछे है, लेकिन जीरो भी नहीं है. स्पेस रिसर्च में भारत यूरोप तक को टक्कर दे रहा है. लेकिन अगर भारत नोबेल पुरस्कारों में अपना नाम अधिक लिखवाना चाहता है तो हमें अपनी वैज्ञानिक क्षमताओं के साथ साइंस रिसर्च के लिए बहुत ही मजबूत माहौल विकसित करना होगा.

 

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