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शशि थरूर का तीखा हमला, ‘अब ये 1975 का भारत नहीं, आपातकाल था काला अध्याय’

शशि थरूर का तीखा हमला, ‘अब ये 1975 का भारत नहीं, आपातकाल था काला अध्याय’

तिरुवंतपुरम कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने एक बार फिर अपनी ही पार्टी के खिलाफ खड़े होते नजर आएं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने एक फिर ऐसा बयान दिया है, जो उनकी पार्टी कांग्रेस को निराश कर सकती है। उन्होंने आपातकाल (Emergency) को लेकर अनुशासन और व्यवस्था के नाम पर क्रूरता का नाम दिया और आपातकाल को एक काला अध्याय बताया।

 

विपक्षी वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा है कि आपातकाल को भारत के इतिहास के एक काले अध्याय के रूप में ही नहीं, बल्कि उससे मिले सबक को पूरी गंभीरता से समझने की ज़रूरत है। लोकतंत्र के प्रहरियों को हमेशा सजग और सतर्क रहना चाहिए ताकि ऐसी स्थिति दोबारा न आए। इस संदर्भ में उन्होंने आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी और संजय गांधी की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने यह भी कहा कि इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के बेटे संजय गांधी (Sanjay Gandhi) ने जबरन नसबंदी अभियान चलाया था।

 

गुरुवार को मलयालम अखबार प्रकाशित लेख में कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद शशि थरूर ने 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के द्वारा घोषित आपातकाल के काले दौर को याद किया। कांग्रेस वरिष्ठ नेता ने कहा कि अनुशासन और व्यवस्था के लिए किए गए प्रयास क्रूरता में बदल दिए जाते है, जिन्हें सही नहीं ठहराया जा सकता।

 

कांग्रेस सांसद थरूर ने लिखा, "इंदिरा गांधी के बड़े बेटे संजय गांधी ने जबरन नसबंदी अभियान चलाया। गरीब ग्रामीण इलाकों में मनमाने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हिंसा और जबरदस्ती का इस्तेमाल किया गया। जो आपातकाल का गलत उदाहरण बना। नई दिल्ली जैसे शहरों में झुग्गियों को बेरहमी से ध्वस्त कर दिया गया और उन्हें साफ कर दिया गया। हजारों लोग बेघर हो गए। उनके कल्याण पर ध्यान नहीं दिया गया।

 

आगे शशि थरूर ने कहा कि हमारे देश का लोकतंत्र कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे हल्के में लिया जाए, यह एक अनमोल विरासत है जिसे निरंतर पोषित और संरक्षित किया जाना चाहिए। थरूर ने कहा, ‘यह सभी को हमेशा याद दिलाता रहे। ’ शशि थरूर के अनुसार, आज का भारत 1975 का भारत नहीं है। उन्होंने कहा कि हम ज्यादा आत्मविश्वासी, ज्यादा विकसित और कई मायनों में ज्यादा मजबूत लोकतंत्र हैं। फिर भी, आपातकाल के सबक चिंताजनक रूप से प्रासंगिक बने हुए हैं।

 

तिरुवंतपुरम सांसद शशि थरूर ने चेतावनी दी कि सत्ता को केंद्रीयकृत करने, असहमति को दबाने और संवैधानिक सुरक्षा उपायों को दरकिनार करने का लालच कई रूपों में सामने आ सकता है। अक्सर ऐसी प्रवृत्तियों को राष्ट्रीय हित या स्थिरता के नाम पर उचित ठहराया जा सकता है। इस लिहाज से आपातकाल एक कड़ी चेतावनी है। लोकतंत्र के रक्षकों को हमेशा अलर्ट रहना चाहिए।

 

ऐसी ही जानकारी के लिए विजिट करें: The India Moves

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