 
                        
        DevUthani Ekadashi 2025: 1 या 2 नवंबर देवउठनी एकादशी कब है? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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                       Anjali Anjali
- October 31, 2025
चार महीने बाद जागेंगे श्रीहरि विष्णु, गूंजेगा -“उठो देव, जागो देव”, शुरू होंगे सभी शुभ कार्य
Dev Uthani Ekadashi 2025 का हिंदू धर्म में बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं और सृष्टि में पुनः शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। देवउठनी एकादशी 2025 इस साल 1 नवंबर (शनिवार) को मनाई जाएगी। माना जाता है कि इस दिन से विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन और अन्य मंगल कार्यों का शुभारंभ होता है। देवउठनी एकादशी व्रत 1 और 2 नवंबर को है. गृहस्थ लोग 1 नवंबर को और वैष्णव लोग 2 नवंबर को व्रत रखेंगे. देवउठनी एकादशी पर व्रत और विष्णु पूजा से पाप मिटेंगे और स्वर्ग की प्राप्ति होगी ।
देवउठनी एकादशी 2025 का महत्व
देवउठनी एकादशी 2025 जिसे देवोत्थान एकादशी और प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, भगवान विष्णु की नींद से जागरण का प्रतीक पर्व है। इस दिन भक्त “उठो देव, जागो देव” के जयकारों से श्रीहरि का स्वागत करते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह दिन धर्म, भक्ति और संकल्प का प्रतीक माना जाता है।
Dev Uthani Ekadashi 2025 Date और शुभ मुहूर्त
इस साल Dev Uthani Ekadashi 2025 की तिथि 1 नवंबर 2025, शनिवार को है।
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 31 अक्टूबर की रात 10:02 बजे
- एकादशी तिथि समाप्त: 1 नवंबर की रात 11:55 बजे
- पारण का समय: 2 नवंबर को दोपहर 01:11 से 03:23 बजे तक
देवउठनी एकादशी का शुभ मुहूर्त इस अवधि में माना गया है। इस समय भगवान विष्णु की पूजा करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है और परिवार में समृद्धि आती है।
देवउठनी एकादशी का पूजा विधि (Dev Uthani Ekadashi Puja Vidhi)
देवउठनी एकादशी का पूजा विधि अत्यंत सरल और फलदायी मानी गई है। इस दिन प्रातःकाल स्नान करके व्रत का संकल्प लें। घर के आंगन में भगवान विष्णु के चरणों का चित्र बनाएं और पीत वस्त्र धारण करें।
- तुलसी चौरा को सजाएं और दीप जलाएं।
- फल, सिंघाड़ा, गन्ना, ऋतुफल और मिठाई अर्पित करें।
- रात में शंख, घंटा और मृदंग बजाकर भगवान को जगाएं।
- "उठो देवा, बैठा देवा, आंगुरिया चटकाओ देवा" का जाप करें।
- इसके बाद देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करें और आरती कर प्रसाद वितरित करें।
देवउठनी एकादशी का पूजा विधि पालन करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों की कृपा प्राप्त होती है।
तुलसी पूजन और तुलसी विवाह का महत्व
Dev Uthani Ekadashi 2025 के अगले दिन यानी 2 नवंबर 2025 को तुलसी विवाह मनाया जाएगा। तुलसी और शालिग्राम (भगवान विष्णु) का विवाह इस दिन कराया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा के साथ तुलसी माता का पूजन करने से जीवन में सुख-शांति और सौभाग्य आता है।
तुलसी को कलावा बांधना और लाल चुनरी अर्पित करना विशेष शुभ माना गया है। ऐसा करने से लक्ष्मी-नारायण दोनों प्रसन्न होते हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
श्रीहरि के जागरण का आध्यात्मिक महत्व (Dev Uthani Ekadashi 2025 Significance)
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, देवउठनी एकादशी 2025 के दिन भगवान विष्णु का जागरण आत्मा के जागरण का प्रतीक है। यह दिन चार महीने के चातुर्मास के अंत का संकेत देता है। इन चार महीनों में जब श्रीहरि योगनिद्रा में रहते हैं, तब विवाह, गृहप्रवेश और यज्ञोपवित जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। देवउठनी एकादशी का शुभ मुहूर्त से इन सभी कार्यों की पुनः शुरुआत होती है।
देवउठनी एकादशी का पौराणिक प्रसंग
धर्मशास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को क्षीरसागर में शयन करते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। इसीलिए इसे देवोत्थान कहा जाता है। कहते हैं कि इस दिन देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने से हजारों एकादशी व्रतों के समान फल मिलता है।
सामाजिक और धार्मिक उत्सव का वातावरण
Dev Uthani Ekadashi 2025 के अवसर पर देशभर के मंदिरों में भजन-कीर्तन, दीपदान और आरती का आयोजन किया जाएगा। गंगा घाटों पर दीपदान और भक्तों द्वारा दान-पुण्य किया जाएगा। महिलाएं विशेष रूप से तुलसी विवाह 2025 की तैयारी में जुटी हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक एकता का भी प्रतीक है।
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