
औरंगजेब की कब्र पर कारसेवा का ऐलान : हिंदू संगठनों के बयान से मची हलचल
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Shweta
- March 17, 2025
महाराष्ट्र के औरंगाबाद (अब संभाजीनगर) में स्थित मुगल शासक औरंगजेब की कब्र एक बार फिर सुर्खियों में है। कुछ हिंदू संगठनों ने ऐलान किया है कि वे यहां अयोध्या की तरह 'कारसेवा' करेंगे। इस घोषणा के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है और प्रशासन ने भी स्थिति पर नजर बनाए रखी है।
क्या है पूरा मामला?
औरंगजेब की कब्र महाराष्ट्र के खुल्दाबाद में स्थित है। हिंदू संगठनों का कहना है कि मुगल शासक औरंगजेब ने अपने शासनकाल में हिंदुओं पर अत्याचार किए, मंदिरों को तोड़ा और जबरन धर्म परिवर्तन करवाया। इन संगठनों का मानना है कि औरंगजेब की कब्र को एक 'अपमानजनक प्रतीक' के रूप में देखा जाना चाहिए और इसे हटाने की मांग की जानी चाहिए। कुछ नेताओं ने यहां 'कारसेवा' करने और इस स्थल को 'हिंदू धरोहर स्थल' में बदलने की बात कही है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

इस बयान के बाद महाराष्ट्र की राजनीति गरमा गई है। कई मुस्लिम संगठनों और राजनीतिक दलों ने इस ऐलान की निंदा की है। उनका कहना है कि यह देश की गंगा-जमुनी तहजीब को चोट पहुंचाने की कोशिश है। महाराष्ट्र सरकार और पुलिस प्रशासन ने भी इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए किसी भी तरह की अनहोनी को रोकने के लिए सुरक्षा बढ़ा दी है।
वहीं, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और शिवसेना (शिंदे गुट) के कुछ नेताओं ने इस मुद्दे पर खुलकर बयान नहीं दिया, लेकिन कई हिंदू संगठनों के नेताओं ने इसे 'इतिहास सुधारने की मुहिम' बताया है। दूसरी ओर, एनसीपी और कांग्रेस जैसे दलों ने इस बयान की आलोचना की और कहा कि यह सांप्रदायिक तनाव भड़काने की साजिश है।
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ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर बयानबाजी से समाज में सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है। इतिहास से जुड़े विवादों को उठाकर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिशें पहले भी देखी गई हैं, और इस तरह के मामलों से समाज में विभाजन की आशंका बढ़ जाती है।
प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि कानून हाथ में लेने की इजाजत किसी को नहीं दी जाएगी। यदि हिंदू संगठनों द्वारा कोई उग्र कदम उठाया जाता है, तो पुलिस कार्रवाई के लिए तैयार है।
औरंगजेब की कब्र पर कारसेवा करने का ऐलान सिर्फ एक धार्मिक या ऐतिहासिक मुद्दा नहीं बल्कि एक राजनीतिक एजेंडा भी हो सकता है। देश की धर्मनिरपेक्ष छवि बनाए रखने के लिए सभी समुदायों को संयम और समझदारी से काम लेना होगा। प्रशासन को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि इस तरह के संवेदनशील मुद्दे पर कोई अनहोनी न हो और देश में शांति बनी रहे।
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