
भारत-रूस के बीच $248 मिलियन का रक्षा समझौता – टैंक इंजन अपग्रेड होगा
-
Chhavi
- March 8, 2025
भारत ने रूस के साथ एक महत्वपूर्ण रक्षा समझौता किया है, जिसमें भारतीय सेना के टी-72 टैंकों के लिए उन्नत इंजन खरीदे जाएंगे। इस समझौते से भारतीय सेना की ताकत को बढ़ावा मिलेगा और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को मजबूत किया जाएगा। आइए जानते हैं इस समझौते के बारे में आसान और SEO फ्रेंडली तरीके से।
क्या है यह रक्षा समझौता?
भारत सरकार ने रूस की सरकारी रक्षा कंपनी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के साथ $248 मिलियन (लगभग ₹1,800 करोड़) का एक बड़ा रक्षा करार किया है। इस करार के तहत भारतीय सेना के पुराने टी-72 टैंक को नई और शक्तिशाली इंजन से लैस किया जाएगा। इससे इन टैंकों की गति, ताकत और युद्ध प्रदर्शन में सुधार होगा। यह भारतीय सेना के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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टी-72 टैंक क्यों हैं महत्वपूर्ण?
टी-72 टैंक भारतीय सेना के मुख्य युद्धक टैंक रहे हैं, जो 1970 के दशक से सेवा में हैं। ये टैंक कई युद्धों में हिस्सा ले चुके हैं और अभी भी 2,500 से अधिक टी-72 टैंक सेना में सक्रिय हैं। हालांकि, इन टैंकों के पुराने इंजन अब युद्ध के हिसाब से प्रभावी नहीं रहे हैं। वर्तमान में इन टैंकों में 780 हॉर्सपावर (एचपी) के इंजन हैं, जिन्हें 1,000 एचपी के नए इंजन से अपग्रेड किया जाएगा। इससे इनकी रफ्तार, पावर और युद्ध में उपयोगिता में सुधार होगा।
नए इंजन से क्या फायदे होंगे?
- ज्यादा पावर: 1,000 एचपी के इंजन से टैंक ज्यादा ताकतवर होंगे, जिससे वे तेजी से आगे बढ़ सकेंगे और दुश्मन पर भारी पड़ेंगे।
- बेहतर गतिशीलता: नए इंजन की मदद से टैंक कठिन इलाकों में भी आसानी से चल सकेंगे।
- कम ईंधन खपत: आधुनिक इंजन होने के कारण इन टैंकों की ईंधन खपत कम होगी, जिससे लॉजिस्टिक सपोर्ट में सुधार होगा।
- लंबी उम्र: नए इंजन के साथ इन टैंकों की आयु भी बढ़ जाएगी, जिससे ये कई सालों तक प्रभावी रहेंगे।
क्या भारत में भी इन इंजन का निर्माण होगा?
इस समझौते में एक और महत्वपूर्ण पहलू है - प्रौद्योगिकी हस्तांतरण। इसका मतलब है कि रूस भारतीय कंपनी आर्मर्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड (AVNL) को यह नई इंजन तकनीक सिखाएगा। इससे भविष्य में भारत में ही इन इंजनों का उत्पादन किया जा सकेगा, जिससे मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी मजबूती मिलेगी।
रूस पर निर्भरता और नए विकल्प
भारत दशकों से अपनी रक्षा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर रहा है। वर्तमान में भारत का 70% से ज्यादा रक्षा उपकरण रूस से आता है। लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण रूस की आपूर्ति क्षमता पर असर पड़ा है। ऐसे में भारत अब फ्रांस, अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों से भी रक्षा उपकरणों की खरीदारी पर विचार कर रहा है, ताकि रक्षा क्षेत्र में विविधता लाई जा सके।
सेना की ताकत बढ़ाने के लिए अहम कदम
यह रक्षा सौदा सिर्फ टैंकों को अपग्रेड करने का नहीं, बल्कि भारतीय सेना को तकनीकी दृष्टि से सक्षम बनाने का भी है। इस उन्नत टैंक इंजन के साथ, भारतीय सेना को आधुनिक युद्ध के लिए तैयार किया जा सकेगा। इसके अलावा, यह भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को बढ़ाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।
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