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Subhash Chandra Bose : नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती आज, एकमात्र ऐसे नेता जिन्हें भारत रत्न देने की घोषणा हुई, लेकिन मिला नहीं

Subhash Chandra Bose : नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती आज, एकमात्र ऐसे नेता जिन्हें भारत रत्न देने की घोषणा हुई, लेकिन मिला नहीं

Subhash Chandra Bose : 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' जैसा ओजस्वी नारा देकर देशवासियों में आजादी को लेकर क्रांति की लहर जगाने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज 128वीं जयंती है। इस मौके पर संसद भवन स्थित संविधान परिसर में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। संसद भवन के सेंट्रल हॉल में इस मौके पर विशेष आयोजन हुआ। इसमें पीएम मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बि़ड़ला, कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य मौजूद रहे। इस दौरान पीएम मोदी ने वहां मौजूद बच्चों से भी संवाद किया। पीएम ने बच्चों के साथ मिलकर जय हिंद के नारे भी लगाए।

 

पीएम मोदी ने लिखा- हमें हमेशा प्रेरित करता है उनका विजन

इससे पहले एक सोशल मीडिया पोस्ट में पीएम मोदी ने लिखा कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनका योगदान अद्वितीय है। वे साहस और धैर्य के प्रतीक थे। उनका विजन हमें प्रेरित करता रहता है क्योंकि हम उनके सपनों के भारत के निर्माण की दिशा में काम करते हैं।

 

स्वतंत्रता हासिल करने के तरीके को लेकर महात्मा गांधी से रहा विरोधाभास

बता दें देश के कई स्वतंत्रता सेनानियों की तरह ही सुभाष चंद्र बोस का नाम भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। 23 जनवरी 1897 को कटक, ओडिशा में एक संपन्न बंगाली परिवार में जन्मे बोस हर कीमत पर अपने देश के लिए आजादी चाहते थे। उस समय महात्मा गांधी जहां अहिंसा के रास्ते पर चलकर स्वतंत्रता हासिल करने में लगे हुए थे, वहीं सुभाष चंद्र बोस का तर्क था कि जब अंग्रेज स्वतंत्रता सेनानियों का मुकाबला बंदूकों और तोपों से करते हैं, तो स्वतंत्रता सेनानी उन्हें उन्हीं की भाषा में जवाब क्यों न दें। इसी को लेकर उनका महात्मा गांधी से विरोधाभास रहा। इसके बावजूद उन्होंने अपना पूरा जीवन देश को समर्पित कर दिया और अपनी आखिरी सांस तक देश की आजादी के लिए लड़ते रहे।

 

बोस को मरणोपरांत भारत रत्न देने की हुई थी घोषणा

इसके अलावा नेताजी एक ऐसी शख्सियत रहे जिन्हें भारत रत्न देने की घोषणा तो हुई, लेकिन उन्हें भारत रत्न कभी मिला ही नहीं। दरअसल 1992 में बोस को मरणोपरांत भारत रत्न देने की घोषणा की गई। लेकिन इस समय उनके परिवार ने यह कहते हुए आपत्ति दर्ज करवाई कि जब उनके मरने को लेकर कोई आधिकारिक तिथि ही नहीं है, तो उन्हें मरणोपरांत ये सम्मान कैसे दिया जा सकता है। ऐसे में नेताजी को भारत रत्न देने का फैसला रद्द कर दिया गया।

 

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1945 में एक विमान हादसे हुआ निधन !

वहीं नेताजी की मृत्यु कब हुई, इसे लेकर संदेह की स्थिति बनी हुई है। कहा जाता है कि 18 अगस्त 1945 को हुए एक विमान हादसे में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का निधन हो गया था। बताया जाता है कि हादसे के वक्त बोस इस विमान में बैठकर मंचुरिया जा रहे थे। लेकिन रास्ते में ही ये विमान लापता हो गया। हालांकि कुछ ही समय के बाद जापान सरकार ने ही इस बात की पुष्टि की कि ताइवान में उस दिन कोई विमान हादसा हुआ ही नहीं था। ऐसे में अभी तक भी इस बात को लेकर सवाल उठते हैं कि ये महज एक हादसा था या किसी विरोधी की साजिश थी।

 

समर्थकों का दावा- देश को जब आजादी मिली, तब जीवित थे नेताजी

यही नहीं नेताजी के समर्थक यह भी दावा करते हैं कि देश को जब 1947 में आजादी मिली, उस वक्त वे जीवित थे। हालांकि अभी तक इस बात का कोई सबूत सामने नहीं आया है।

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