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R. Ashwin on Hindi : आर. अश्विन के एक बयान ने हिंदी भाषा से जुड़े विवाद को फिर दे दी हवा, जानिए क्या बोले पूर्व ऑफ स्पिनर

R. Ashwin on Hindi : आर. अश्विन के एक बयान ने हिंदी भाषा से जुड़े विवाद को फिर दे दी हवा, जानिए क्या बोले पूर्व ऑफ स्पिनर

R. Ashwin on Hindi : भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी है या नहीं, ये विवाद कोई आज की बात नहीं है। दक्षिण भारत के राज्य आज भी हिंदी का विरोध करते हैं। करीब 3 साल पहले जब देश में नई शिक्षा नीति (New Education Policy) को लागू करने की बात आई, तो इसमें 3 भाषा नीति को लागू करने की बात की गई। यानि छात्र 3 भाषाओं में पढ़ाई करेंगे। इसमें अंग्रेजी, हिंदी (Hindi) और एक स्थानीय भाषा शामिल होगी। इसे लेकर भी दक्षिण भारत (South States of India) के राज्यों में जमकर विरोध प्रदर्शन किए गए और केंद्र पर ये आरोप लगाए गए कि दक्षिण भारत (South India) के राज्यों पर जबरन हिंदी भाषा (Hindi Language) को थोपने की कोशिश इस नीति के जरिए की जा रही है। इसके बाद विवाद और विरोध बढ़ता देख इस नीति से हिंदी को अनिवार्य रूप से लागू करने की शर्त को नई शिक्षा नीति से हटा लिया गया।

 

आर. अश्विन के बयान से विवाद को फिर मिली हवा

लेकिन अब हिंदी बनाम दक्षिण भारत का ये मुद्दा फिर से चर्चा में है। दरअसल हाल ही में एक शिक्षण संस्थान के कार्यक्रम में भारतीय टीम के पूर्व अनुभवी ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन (Ravichandran Ashwin) ने एक बयान देकर इस बहस को फिर से हवा दे दी है। अश्विन (R. Ashwin) ने हिंदी भाषा को लेकर टिप्पणी की। अश्विन ने कहा कि हिंदी भारत की राष्ट्र भाषा नहीं है। अश्विन ने छात्रों से पूछा कि अगर कोई अंग्रेजी या तमिल नहीं बोलना जानता है, तो क्या कोई हिंदी में प्रश्न पूछने में रुचि रखता है ?

 

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आर. अश्विन ने उठाया भारत में भाषा का मुद्दा, हिंदी पर बोले- ये हमारी राष्ट्र भाषा नहीं

अश्विन (Ashwin on Hindi) ने इस दौरान भारत में भाषा का मामला उठाया। उन्होंने देखा कि हिंदी शब्द बोलने के बाद लोगों की कैसी प्रतिक्रिया थी। अश्विन ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि मुझे लगता है कि मुझे यह कहना चाहिए कि हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा नहीं है, यह आधिकारिक भाषा है।

 

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दही के पैकेट पर हिंदी में दही लिखने का दिया था आदेश

यही नहीं, करीब 2 साल पहले 2023 में देशभर में खाद्य सुरक्षा मानकों को तैयार करने वाला और खाद्य पदार्थों पर इनकी निगरानी करने वाले FSSAI ने एक आदेश जारी कर दक्षिण भारत में दही बनाने वाली सहकारी संस्थाओं को दही के पैकेट पर अंग्रेजी में Curd के साथ ही हिंदी में दही लिखने का भी आदेश जारी किया। आदेश का सीधा मकसद ये था कि अगर कोई व्यक्ति अंग्रेजी नहीं समझता है, तो भी उसे पढ़ने में दिक्कत न हो कि पैकेट के अंदर क्या सामग्री है। बात बहुत छोटी सी लगती है और आमजन की सुविधा के लिए ही लगती है। लेकिन इस छोटी सी बात ने दक्षिण भारत के राज्यों में एक नया विवाद छेड़ दिया। दरअसल FSSAI के इस आदेश को लेकर भी ये दावा किया गया कि दक्षिण भारत के लोगों पर जानबूझकर इस तरीके से हिंदी थोपने की कोशिश की जा रही है। दक्षिण भारत के राज्यों के लिए ये मुद्दा कितना महत्व रखता है, ये इसी से समझा जा सकता है कि तमिलनाडु (Tamil Nadu) के डिप्टी सीएम उदय स्टालिन (Udai Stalin) ने भी इसका कड़ा विरोध जताया।

 

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FSSAI को वापस लेना पड़ा था आदेश, साथ ही देनी पड़ी थी सफाई

वहीं इस पूरे विवाद को देखते हुए प्राधिकरण ने न सिर्फ अपने फैसले पर यू-टर्न लिया, बल्कि फैसले पर सफाई भी दी। प्राधिकरण की तरफ से कहा गया कि उन्होंने दही के पैकेट पर स्थानीय भाषाओं के नाम के साथ कर्ड (दही) लिखे जाने की सिफारिश की थी। बहरहाल हिंदी को लेकर दक्षिण भारतीय राज्यों के बीच छिड़ा विवाद कभी खत्म होगा भी या नहीं और अगर हां तो इसका अंत किस रूप में होगा, इसका इंतजार सभी को लंबे समय से है।

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