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किस चरण में सबसे अधिक पीड़ादायक होती है शनि की साढ़ेसाती

किस चरण में सबसे अधिक पीड़ादायक होती है शनि की साढ़ेसाती

शनि की साढ़े सत्ती  का प्रभाव 

 

ज्योतिष के अनुसार नवग्रहों में शनि सबसे क्रूर और धीमी गति से चलने वाला ग्रह है शनि करीब दाई वर्ष तक एक कुंडली में रहता है | इस समय कुम्भ राशि में शनि विध्यमान है और 29 मार्च 2025 को शनि देवगुरु ब्रहस्पति की राशि में प्रवेश करेंगे और फिर से कुम्भ राशि में आने के लिए 30 वर्ष का समय लेंगे| शनि जब किसी भी जातक की कुंडली या राशि में प्रवेश करते हैं तब उस समय को साढ़ेसाती या ढैया कहा जाता है| जिससे की जातक को बहुत सी शारीरिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है| शनि की साढ़ेसाती साढ़े सात साल तक रहती है और 3 चरणों से होकर गुजरती हैं अलग अलग राशियों पर इसका अलग अलग प्रभाव रहता है| |

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 कब प्रारम्भ होती है शनि की साढ़ेसातीऔर साढ़ेसाती के अलग-अलग चरण में क्या प्रभाव पड़ता है|


वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार,शनि साढ़ेसाती के तीन चरण होतें हैं| हर एक चरण का प्रभाव अलग-अलग होता है| शनि की साढ़ेसाती साढ़े साल तक रहता है और तीन चरणों के आधार पर विभाजित होती है | शनि हमारे कर्मो के कारक ग्रह है शनि को ज्योतिष की भाषा में न्यायधीश की संज्ञा दी गयी है इसलिए जब शनि की साढ़ेसाती और महादशा आती है तब शनि जातक को उसके कर्मानुसार फल देता है|


1 शनि की साढ़ेसाती में छोटे -छोटे कामों में भी रुकावट आती है|जातक की नौकरी,व्यापार यहाँ तक की रिश्तों पर भी शनि से संबंधित समस्याएं आती है|

2 साढ़ेसती के प्रभाव से पीड़ित जातक बहुत सी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करता है|

3 साढ़ेसाती का प्रभाव सिर्फ जातक की नौकरी या जातक के स्वास्थ्य पर नहीं अपितु इसका प्रभाव जातक के रिश्तों पर भी पड़ता है रिश्तों में बगैर वजह के
दूरियां आ जाती है छोटी छोटी बातों पर बड़े विवाद होते हैं|

4 शनि की साढ़ेसाती जातक की आर्थिक स्तिथि को भी कमजोर कर देती है| जातक का रखा हुआ पैसा भी समाप्त हो जाता है और व्यापार में भी हानि का सामना करना पड़ता है|

पहला चरण

साढ़ेसाती का प्रारम्भ किसी भी राशि में तब होता है जब शनि चंद्र राशि से बारहवें घर में प्रवेश करता है| जिसे शनि की साढ़ेसती का प्रथम चरण मान जाता है| वहीँ शनि बारहवें भाव में ढाई वर्ष तक रहता है| इन ढाई सालों में जातक को पैतृक सम्पत्ति की समस्या का सामना करना पड़ता है विशेषकर पिता के साथ जातक को आँखों से संबंधित समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है|

 

दूसरा चरण

शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण सबसे अधिक कष्टकारी माना गया है जब शनि बारहवें घर से दूसरे घर में आता है तब ये पहले से अधिक कष्टकारी बन जाता है जातक भारी कर्ज में डूब जाता है और धनसंबंधी समस्याओं का सामना करता है| बहुत बार जातक को इस समय में रिश्तों से संबंधित वाद- विवाद और रिश्तों के टूटने की समस्या और स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है|

 

तीसरा चरण

साढ़ेसाती का तीसरा चरण थोड़ा कम हानिकारक होता है| तब शनि चंद्र भाव से दूसरे भाव में प्रवेश करता है शनि की साढ़ेसाती का तीसरा चरण पहले दो चरणों से थोड़ा काम कष्टदायक होता है| इस चरण में जातक  वित्त संबंधी समस्या और छोटी मोटी अन्य समस्याओं का सामना करता है|

शनि जातक को उसके कर्मो के अनुसार फल देते हैं अगर किसी जातक को साढ़ेसाती में अधिक पीड़ा का अनुभव हो तो कुछ उपाय करने से साढेसत्ति की पीड़ा कम हो जाती है|

1 साढ़ेसाती या महादशा की पीड़ा से मुक्ति के लिए शनिवार शाम को काला कपड़ा, काला छाता,लोहे के कील,जूता,लोहे का सामान, सरसों का तेल दान करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है|

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2 अगर किसी व्यक्ति को शनि पीड़ा दे रहा है तो ऐसी स्तिथि में शनि को छाया का दान करना चाहिए एक कटोरी में सरसों का तेल लेकर उसमे अपना चेहरा
देख कर शनि देव पर अर्पित करने से शनि पीड़ा से मुक्ति मिलती है|

3 पीपल के पेड़ के नीचे शनिवार शाम सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनि पीड़ा से मुक्ति मिलती है|

4 शनिवार को गरीबों ,और असहाय व्यक्तियों की सेवा करने से भी शनि पीड़ा से मुक्ति मिलती है|

5 शनि के बीज मंत्र का जाप करें ॐ प्राम प्रिम परौं सः शनेश्चराय नमः|

 

 

 

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