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कुंडली में सूर्य का प्रभाव क्या फल देता है

कुंडली में सूर्य का प्रभाव क्या फल देता है

कुंडली में सूर्य का प्रभाव


वैदिक ज्योतिष के अनुसार नवग्रहों में सूर्य को राजा की संज्ञा दी गयी है| सूर्य ज्योतिष शास्त्र का केंद्र होने के साथ साथ ऊर्जा का बहुत बड़ा स्त्रोत है| सूर्य को तारों का जनक भी कहा गया है जहाँ सूर्य ज्योतिष में एक प्रमुख ग्रह है वहीँ खगोलीय दृष्टि से सूर्य एक तारा है| सूर्य अपनी रौशनी से संसार से अन्धकार को दूर करता है वही इसकी रौशनी से वनस्पति,जीव -जंतुओं का भी विकास भी होता है पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य देव महृषि कश्यप और माता अदिति की संतान है| अगर ज्योतिष की दृष्टि से देखे तो सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में आने के लिए एक माह का समय लेते हैं| यानी प्रत्येक राशि में सूर्य एक महा तक रहते हैं| सूर्य के राशि परिवर्तन को सूर्य संक्राति भी कहा जाता है|


ज्योतिष में सूर्य की स्तिथि क्या है?


1      सूर्य को पूर्व दिशा का स्वामी कहा गया है |


2      ज्योतिष में सूर्य को पिता का कारक ग्रह कहा गया है| ज्योतिष के अनुसार जिस जातक की कुंडली में सूर्य ग्रह कमजोर होता है ऐसी स्तिथि में जातक
        के पितृ सुख में कमी आती है ऐसे में जातक के पिता की मृत्यु जल्दी हो जाती है अथवा पिता से रिश्ते खराब होते हैं|


3     सूर्य के प्रिय धातु सोना और ताम्बा है|

4       लीडरशिप ,राजकाज ,प्रशासनिक पद का कार्य भी सूर्य करता है|


5        सूर्य की महादशा का समय 6 वर्ष कहता है|


6        कुंडली में सूर्य की स्तिथि जातक के पति ,पत्नी की जानकारी भी देता है|


7      कालपुरुष की कुंडली में सूर्य हृदय ,हड्डियों को दर्शाता है|


8      कुंडली में सूर्य मेष राशि में उच्च स्थिति का होता है और तुला राशि में नीच स्थिति में हो जाता है|


9         सूर्य सिंह राशि का स्वामी है|


10     कुंडली में अगर सूर्य शनि के साथ हो तो ऐसी स्तिथि में लड़ाई ,झगड़े,क्रोध,आपसी टकराव से रिश्तों में दूरियां पैदा करता है|


11      सूर्य का प्रमुख रत्न माणिक्य है|


12      मकर से मिथुन राशि में सूर्य उत्तरायण होता है|


13     वहीँ कर्क से धनु राशि में सूर्य दक्षिणायन होता है|



          कुंडली में सूर्य अगर कमजोर हो या पीड़ित हो क्या फल देता है|


1     कुंडली का कमजोर सूर्य आंखों से संबंधित और ह्रदय संबंधित समस्या देता है|


2    कुंडली में सूर्य और शनि की दृष्टि और युति से जातक को ब्लड प्रेशर और पिता से संबंधो में परेशानी का सामना करना पड़ता है|

 

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 कुंडली में सूर्य मजबूत स्तिथि में हो तब क्या फल देता है|


1    कुंडली में उच्च का सूर्य जातक के जीवन में शुभ परिणाम देता है जातक उच्च पद पर आसीन रहता है| सूर्य प्रशासन का ग्रह माना जाता है अगर कुंडली में
       सूर्य उच्च स्तिथि में है तो जातक प्रशासनिक क्षेत्र में उच्च पद पर रहता है, जातक सकरात्मक विचार रखता है,समाज में मान -सम्मान को प्राप्त करता है| और ऐसे              जातक में लीडरशिप के गुण भी होते हैं |


2     कुंडली में सूर्य की शुभ स्थिति जातक को शुभ परिणाम देता है मान ,सम्मान ,यश देता है साथ ही साथ जातक प्रशानिक सेवा में रहता है|

 

1        व्यक्तित्व

         सूर्य की राशि और कुंडली में सूर्य की स्तिथि से व्यक्ति को उसके गुणों और आत्मबोध में योगदान देने में मदद करती है|   

 

2           स्वास्थ्य

            सूर्य जीवन शक्ति और स्वास्थ्य को नियंत्रित रखता है| अगर कुंडली में सूर्य की स्तिथि मजबूत होगी तो जातक का स्वास्थ्य और ऊर्जा स्तर मजबूत रहेगा|

 

3            करियर

             सूर्य की स्तिथि करियर की दृष्टि से जातक को सफलता के शिखर तक ले जाती है जिसमे नेतृत्व [लीडरशिप] ,जनता का ध्यान ,सरकारी सेवा                                     की आवश्यकता होती है| 

 


4         स्तिथि और प्रसिद्धि

            स्तिथि के कारक के रूप में मजबूत सूर्य प्रसिद्धि ,मान-सम्मान, सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त कराता है|

 

5         पिता से संबंध

            ज्योतिष में सूर्य की तुलना पिता से की गयी है अगर किसी जातक की कुंडली में सूर्य उच्च स्थिति में है तो जातक के पिता से संबंध मजबूत होते हैं|

             पर वही अगर सूर्य  की स्तिथि कमजोर होगी तो पिता से संबंध कमजोर होंगे या कम उम्र में पिता की मृत्यु हो जायेगी|

 

         नक्षत्रो पर सूर्य का प्रभाव

           मेष राशि में कृतिका नक्षत्र के प्रथम चरण, वृषभ राशि में 2 ,3, 4 चरण,सिंह राशि में उतरा फाल्गुनी का प्रथम चरण,कन्या राशि में 2 ,3 ,4 चरण और धनु  राशि             में उत्तराषाढ़ा का प्रथम चरण और मकर राशि में उत्तराषाढ़ा के 2, 3 ,4 चरण में सूर्यदेव का आधिपत्य है इसका साफ़ अर्थ है जो भी जातक इन नक्षत्रो
            में पैदा होगा उसका स्वामी नक्षत्र सूर्य होगा| और उस जातक को सूर्य की महादशा का सामना करना होगा सूर्य जन्म कुंडली में जिस भी स्तिथि में होगा जातक उस              गुण को ग्रहण करेगा|
              

 

 

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