मौसम के बदलने पर खांसी और कफ से हो परेशान तो अपनाएं ये नुस्खें
- Renuka
- November 16, 2024
मौसम में बदलाव का सबसे ज्यादा असर हमारे श्वसन तंत्र पर पड़ता है, खासकर लंग्स पर। बदलते मौसम के साथ हवा में नमी और तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। खासकर सांस के जरिए ये इंफेक्शन लंग्स तक पहुंचते हैं, जिससे हमारी सेहत पर असर पड़ता है। उत्तर भारत में इस समय मौसम में बदलाव आ चुका है, और सुबह-शाम हल्की ठंडक महसूस हो रही है, जो कई लोगों को असहज बना देती है।
शरीर की इम्यूनिटी हो जाती है कमजोर
इस मौसम में शरीर की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है, और ऐसे में खांसी, जुकाम, बुखार, भारीपन और थकान जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। मौसम के इस बदलाव से बचाव के लिए कुछ खास कदम उठाए जा सकते हैं। सबसे पहले तो, गर्म कपड़े पहनकर खुद को ठंड से बचाना जरूरी है। इसके अलावा, ताजे और गर्म पदार्थों का सेवन, जैसे कि सूप या हर्बल चाय, शरीर को अंदर से गर्म रखते हैं। हाइजीन का ख्याल रखना भी बेहद अहम है, बार-बार हाथ धोने और चेहरे को साफ रखने से इंफेक्शन फैलने का खतरा कम होता है। अगर किसी को खांसी, जुकाम या बुखार के लक्षण नजर आएं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ताकि समय रहते इलाज किया जा सके। इस तरह से कुछ सावधानियां बरतकर हम बदलते मौसम में होने वाली समस्याओं से बच सकते हैं।
जुकाम के मुख्य कारण
इस मौसम में आर्द्रता के स्तर में बदलाव भी जुकाम के मुख्य कारण- राइनोवायरस है जो कि अनुकूल परिस्थितियाँ पैदा कर सकता है। जब वायु में नमी अधिक होती है, तो ये वायरस आसानी से फैल सकते हैं, जिससे जुकाम और फ्लू जैसी बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, वायु प्रदूषण भी इस मौसम में एक बड़ा खतरा बन सकता है, खासकर सर्दियों और गर्मियों में। धुंआ, धूल, और अन्य प्रदूषक हवा में मिलकर श्वसन तंत्र को कमजोर कर सकते हैं, और जिन लोगों को अस्थमा या अन्य फेफड़ों की बीमारियां हैं, उनके लिए यह स्थिति और भी जोखिमपूर्ण हो सकती है। इसलिए, ऐसे मौसम में विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। साथ ही धुंआ और प्रदूषण से बचने के लिए घर के अंदर रहना, मास्क पहनना, और ताजे वायु का सेवन करने से बचना जरूरी होता है। साथ ही, खांसी और जुकाम के लक्षण दिखने पर तुरंत इलाज कराना चाहिए ताकि बीमारी गंभीर न हो।
खांसी और जुकाम से राहत के नुस्खे
तुलसी(Tulsi)
आयुर्वेद में तुलसी को "प्रकृति की औषधियों की मां" और "जड़ी-बूटियों की रानी" कहा जाता है, क्योंकि इसके अद्भुत स्वास्थ्य लाभों के कारण यह एक महत्वपूर्ण औषधि मानी जाती है। तुलसी के पत्ते शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में मदद करते हैं, जिससे यह आम जुकाम और खांसी से लड़ने में सहायक होते हैं। तुलसी के सेवन से शरीर में एंटीबॉडीज का निर्माण बढ़ता है, जो संक्रमण से लड़ने में मदद करती है और किसी भी प्रकार के संक्रमण को शुरुआती चरण में ही रोकने में सक्षम होती है। इसके साथ ही, तुलसी में खांसी को कम करने के गुण भी होते हैं, जो चिपचिपे बलगम को बाहर निकालने में मदद करते हैं, जिससे सांस लेना सरल और आरामदायक हो जाता है। इस प्रकार, तुलसी एक प्राकृतिक उपाय है जो श्वसन तंत्र को साफ करने और खांसी से राहत देने में प्रभावी है।
शहद (Honey)
शहद, जो एंटीमाइक्रोबियल गुणों से भरपूर होता है, न केवल स्वाद में लाजवाब है, बल्कि यह गले की खराश और खांसी के इलाज में भी प्रभावी है। शहद की यह विशेषता है कि यह गले की सूजन को कम करने और खांसी को शांत करने में सहायक होता है। यह गाढ़े बलगम को पतला करने में मदद करता है और उसे कफ के माध्यम से बाहर निकालने में सहायक होता है, जिससे छाती की जकड़न और असुविधा में राहत मिलती है। शहद बलगम से जुड़ी खांसी को कम करता है और श्वसन मार्ग को साफ करने में मदद करता है। इसके प्राकृतिक गुणों के कारण यह खांसी और गले की समस्याओं को हल करने के लिए एक प्रभावी उपाय है।
मुलेठी (Liquorice)
मुलेठी, जिसे "स्वीट वूड" भी कहा जाता है, खांसी और गले की समस्याओं के इलाज में एक प्रभावी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है। मुलेठी का पाउडर गले में खराश, खांसी और अत्यधिक बलगम से निजात दिलाने में सहायक होता है। मुलेठी में प्राकृतिक बलगम निकालने वाले गुण पाए जाते हैं, जो गले में जमा हुए बलगम को पतला और ढीला करते हैं। इसके कारण, यह खांसी को कम करने और नाक-गले के जमाव को हलका करने में मदद करता है, जिससे रोगी को राहत मिलती है। मुलेठी के नियमित उपयोग से गले की सूजन और खांसी में भी आराम मिलता है।
पिपली (Pipli)
पिपली, जो जुकाम और खांसी के इलाज में एक प्रभावी जड़ी-बूटी मानी जाती है, विशेष रूप से बलगम और कफ से संबंधित समस्याओं में मददगार है। वैज्ञानिक शोध से यह साबित हुआ है कि पिपली न केवल आम जुकाम के कारण होने वाले सिरदर्द और नाक में जाम के दबाव से राहत देती है, बल्कि यह बलगम को ढीला करने में भी मदद करती है। पिपली के बलगम निकालने वाले गुणों के कारण, यह शरीर से कफ और अत्यधिक बलगम को बाहर निकालने में सहायक होती है, जिससे रोगी को सांस लेने में आसानी होती है। इसके प्रभावी उपयोग से जुकाम और खांसी की तकलीफों में कमी आ सकती है।
सौंठ (Sonth)
सूखी अदरक, जिसे सौंठ, सुक्कु या सूंठ के नाम से भी जाना जाता है, हर्बल कफ सिरप में प्रमुख सामग्री मानी जाती है। जब सौंठ को शहद के साथ मिलाकर सेवन किया जाता है, तो यह जुकाम और खांसी के लिए एक प्रभावी औषधि के रूप में कार्य करती है। सौंठ में विशेष प्रकार के अणु (मॉलिक्यूल) पाए जाते हैं, जिनमें शोथरोधी (एंटी-इंफ्लेमेटरी) गुण होते हैं, जो गले की खराश और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इस प्रकार, सौंठ एक प्राकृतिक उपाय है जो श्वसन तंत्र को आराम पहुंचाता है और खांसी व जुकाम के लक्षणों को कम करने में सहायक होता है।
गिलोय (Giloy)
गिलोय, जिसे हिंदी में अमृता या गुडुची के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक औषधि है। इसके पत्ते दिल के आकार के होते हैं, जो पान के पत्तों की तरह दिखते हैं। गिलोय खास तौर पर प्रदूषण, धुएं या पराग के कारण होने वाली एलर्जी, जैसे जुकाम और खांसी से राहत देने में सहायक है। यह गले की सूजन, विशेष रूप से टांसिलाइटिस (गला और टॉन्सिल्स की सूजन), के उपचार में भी कारगर साबित होती है। गिलोय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में बहुत प्रभावी है, जिससे यह संक्रमण से लडने की ताकत प्रदान करती है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी (जलनरोधी) गुण लगातार खांसी और गले में होने वाली खराश को कम करने में मदद करते हैं। इस प्रकार, गिलोय एक शक्तिशाली जड़ी-बूटी है जो शरीर को संक्रमण से लड़ने और स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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