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Holashtak 2025 : होलाष्टक के बाद भी जारी रहेगी मांगलिक कार्यों पर रोक, जानिए क्यों है इसका इतना महत्व ?

Holashtak 2025 : होलाष्टक के बाद भी जारी रहेगी मांगलिक कार्यों पर रोक, जानिए क्यों है इसका इतना महत्व ?

Holashtak 2025 : जब कभी भी रंगों के त्यौहार होली और इसके धार्मिक पक्ष की बात होती है, तो होलाष्टक (Holashtak 2025) का जिक्र भी जरूर होता है। हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक होलाष्टक का समय बेहद क्रूर और अशुभ माना जाता है, क्योंकि होलाष्टक में ग्रहों का स्वभाव सामान्य से काफी उग्र रहता है और सभी 9 ग्रह प्रतिकूल प्रभाव देते हैं। यही वजह है कि होलाष्टक (Holashtak 2025) के दौरान शुभ कार्य करने की मनाही होती है, सिर्फ भक्ति, तप और संयम के लिए ये समय अनुकूल माना गया है। इसके अलावा तांत्रिक दृष्टि से ये तरह-तरह की सिद्धियां प्राप्त करने का समय है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस बार होलाष्टक कब खत्म हो रहे हैं और कबसे मांगलिक कार्यक्रमों की शुरुआत की जा सकेगी।

 

कब खत्म होंगे होलाष्टक (Holashtak 2025) ?

बता दें होलिका दहन से ठीक 8 दिन पहले होलाष्टक (Holashtak 2025) की शुरुआत हो जाती है। इस तरह साल 2025 में 7 मार्च से होलाष्टक की शुरुआत हो गई थी। इस दिन फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि थी। वहीं इसका समापन फाल्गुन पूर्णिमा 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर होलिका दहन के दिन होगा। कहा जाता है कि होलाष्टक के दिनों में नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव अत्यधिक होता है। इसीलिए इन दिनों में किसी भी तरह के मांगलिक कार्यों के आयोजन नहीं किए जाते हैं।

 

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खरमास के दौरान भी नहीं किए जा सकेंगे मांगलिक कार्य (Holashtak 2025)

वैसे तो होलाष्टक (Holashtak 2025) 13 मार्च को समाप्त हो रहे हैं, लेकिन आपको यह जानना जरूरी है कि इसके बाद भी आप मांगलिक कार्यक्रमों का आयोजन नहीं करवा सकेंगे। दरअसल 13 मार्च को फाल्गुन माह की पूर्णिमा है। इस दिन के बाद फाल्गुन माह का कृष्ण पक्ष रहेगा। उसके बाद हिंदू कैलेंडर के अनुसार नए साल की शुरुआत होगी। इसलिए फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अवधि को खरमास कहा जाता है। इस अवधि के दौरान भी विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नए बिजनेस की शुरुआत करने जैसे सभी तरह के मांगलिक कार्यों पर रोक रहेगी। इसके अलावा वाहन, सोना आदि की खरीददारी भी खरमास के दौरान नहीं की जा सकेगी। बता दें 14 अप्रैल 2025 को खरमास समाप्त हो रहे हैं। ऐसे में इस दिन के बाद ही फिर से मांगलिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा सकेगा।

 

होलिका दहन के दिन करें भगवान विष्णु की पूजा

यहां आपके लिए यह भी जानना जरूरी है कि हिंदू पंचांग के अनुसार होलाष्टक (Holashtak 2025) और खरमास (Kharmaas) के बीच मात्र एक ही दिन शुभ कार्यों के लिए उत्तम रहेगा। ऐसे में फाल्गुन पूर्णिमा यानि होलिक दहन के दिन ‌व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करें। इसके साथ ही आप इस दिन भगवान सत्यनारायण (Lord Satyanarayan) की कथा का पाठ भी कर सकते हैं। इस दिन चांद को अर्घ्य जरूर दें। चांद की पूजा के बाद होलिका की पूजा करें और होलिका की अग्नि में नारियल, काले तिल, गेहूं आदि अर्पित कर अपने और अपने परिवार के लिए मंगल कामना करें।

 

Holashtak 2025 : होलाष्टक के बाद भी जारी रहेगी मांगलिक कार्यों पर रोक, जानिए क्यों है इसका इतना महत्व ?

होलाष्टक (Holashtak 2025) को क्यों माना जाता है अशुभ ?

हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार मान्यता है कि यही वो 8 दिन हैं, जब हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे और भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद को यातनाएं दी थीं, फिर भी प्रह्रलाद अपनी भक्ति के मार्ग से विचलित नहीं हुए थे। इस पर होलिका दहन के दिन हिरण्यकश्यप की बहन होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ गई थी। लेकिन भगवान विष्णु की अपार कृपा के चलते प्रहलाद को अग्नि छू भी नहीं पाई, लेकिन होलिका भस्म हो गई थी।

 

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