छठ पूजा 2025: डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का आज शुभ योग, यहां जानें सही समय
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Manjushree
- October 27, 2025
आज 27 अक्टूबर को छठ पर्व 2025 का दिन तीसरा दिन है। कार्तिक मास की षष्ठी तिथि यानी छठ के तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और अपने परिवार की खुशहाली की कामना की जाती है। छठ का महापर्व सूर्यदेव और छठी मैय्या को समर्पित किया जाता है। आज के दिन व्रती घाट पर अपने परिवार के सदस्यों संग किसी पवित्र नदी के किनारे आकर शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं और छठी मईया की पूजा करती है और संतान की लंबी आयु के लिए कामना करती है।
त्योहार छठ पर्व 2025 का प्रारम्भ
पंचांग के अनुसार, सूर्योपसना का सबसे बड़ा त्योहार छठ पर्व 2025 का पर्व का आरंभ हिंदू षष्ठी तिथि आज यानी 27 अक्तूबर को सुबह 06 बजकर 04 मिनट तक है। इस तिथि का समापन 28 अक्तूबर 2025 को सुबह 07 बजकर 59 मिनट पर होगा।
छठ पर्व 2025 अर्घ्य मुहूर्त
पहला अर्घ्य (संध्याकालीन अर्घ्य): 27 अक्टूबर, सोमवार, शाम 5:10 बजे से शाम 5:58 बजे तक (अस्ताचलगामी सूर्य को)
वहीं दूसरा अर्घ्य (प्रातःकालीन अर्घ्य): 28 अक्टूबर, मंगलवार, सुबह 5:33 बजे से सुबह 6:30 बजे तक (उदीयमान सूर्य को) दिया जायेगा।
अस्ताचलगामी सूर्य अर्घ्य का महत्व
महापर्व छठ हिंदू धर्म में एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें न केवल उदयाचल सूर्य की पूजा की जाती है बल्कि अस्ताचलगामी सूर्य को भी पूजा जाता है। छठ महापर्व में डूबते सूर्य को अर्घ्य देना कृतज्ञता और संतुलन का प्रतीक माना जाता है। यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने और जीवन के हर उतार-चढ़ाव को स्वीकार करने की भावना दर्शाता है। पौराणिक काल से ही सूर्य को आरोग्य के देवता माना गया है वैज्ञानिक दृष्टि से भी सूर्य की किरणों में कई रोगों को समाप्त करने की क्षमता पाई गई है।
मान्यताओं के अनुसार, यह अर्घ्य सूर्यदेव की पत्नी प्रत्यूषा को समर्पित है, जो कि सूर्य की अंतिम किरण होती है। इस दिन व्रती महिलाएं किसी पवित्र नदी या तालाब में खड़े होकर अस्त होते सूर्यदेव और छठी माता को जल और दूध अर्पित करते हुए उनको बांस के सूप में मौसमी फल, सब्जियां और ठेकुआ अर्पित करती हैं। छठ पर्व पर व्रती करीब 36 घंटों का निर्जला व्रत रखती हैं।
छठी मईया की आरती
जय छठी मैया ऊ जे केरवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मंडराए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए ॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
ऊ जे नारियर जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मंडराए ॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय ॥जय॥
अमरुदवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मंडराए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए ॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
शरीफवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मंडराए ॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय ॥जय॥
ऊ जे सेववा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मेड़राए।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए ॥जय॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।
सभे फलवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मंडराए ॥जय॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय ॥जय॥
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