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Bhopal Gas Tragedy: चार दशक बाद मिटा भोपाल का कलंक, 5 जिलों में हाई अलर्ट

Bhopal Gas Tragedy: चार दशक बाद मिटा भोपाल का कलंक, 5 जिलों में हाई अलर्ट

MP Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस त्रासदी को हुए 40 साल बीत चुके हैं, लेकिन इसके जख्म आज भी हरे हैं। 1984 में यूनियन कार्बाइड संयंत्र से हुए मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस के रिसाव ने हजारों लोगों की जान ली और लाखों को प्रभावित किया। अब, यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में जमा 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। चार दशक लंबे इंतजार के बाद गैस त्रासदी के जहरीले कचरे को अब नष्ट करने की तैयारी हो गई है। भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के गोदाम में जहरीले कचरे की पैकेजिंग जारी है। एक्सपर्ट टीम की निगरानी में 12 कंटेनर में कचरे की पेकेजिंग की जा रही है। एक कंटेनर में एवरेज 30 टन कचरा भरा जा रहा है।

 

क्या है इस कचरे का इतिहास?
2 दिसंबर 1984 की रात भोपाल गैस त्रासदी ने शहर को गैस चैम्बर में बदल दिया था। इसके बाद फैक्ट्री की 36 एकड़ की साइट पर जहरीले रसायनों का कचरा जमा होता रहा। इनमें कीटनाशक सेविन, MIC के अवशेष, दूषित मिट्टी और अन्य रासायनिक पदार्थ शामिल हैं।

 

भोपाल से पीथमपुर तक बनेगा ग्रीन कॉरिडोर
40 वाहनों का काफिला इस कचरे को लेकर फैक्ट्री से बाहर निकला। यह काफिला करीब एक किलोमीटर से ज्यादा लंबा था। इस काफिले में बारह ट्रक शामिल थे, जिन पर ये खतरनाक रासायनिक कचरा लदा हुआ था। फैक्ट्री से कंटेनर निकलने के बाद करोंद मंडी होते हुए करोंद चौराहा पहुंचेंगे। यहां से गांधीनगर से सीधे फंदा टोल नाका के आगे इंदौर बायपास से होते हुए पीथमपुर के लिए रवाना हो जाएंगे। देर रात तक ग्रीन कॉरिडोर में कचरे के कंटेंनर को रवाना किया जाएगा। यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के आसपास के इलाके को सील कर दिया गया है। कचरे की पेकेजिंग और एक्सपर्ट टीम को ही अंदर जाने की अनुमति है। फैक्ट्री के अंदर एंबुलेंस और डाक्टरों की टीम तैनात है। जहरीला कचरा भरने के कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए एंबुलेंस टीम तैनात है।

 

कचरे से भरे कंटेनरो पर होगा यूनिक नंबर
कचरा ले जाने वाले सभी कंटेनरों पर एक यूनिक नंबर रहेगा। इससे पुलिस और प्रशासन के अधिकारी इनकी पहचान आसानी से कर सकेंगे। इसके लिए जिलों की पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को अलर्ट किया गया है। कड़ी सुरक्षा के बीच कंटेनरों को भरने का काम जारी है। कारखाने के भीतर 100 पुलिसकर्मियों सहित 400 से अधिक जिला प्रशासन, नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समेत अन्य विभागों के अधिकारी-कर्मचारी मौजूद हैं।

 

हाईकोर्ट ने निर्देश के तहत हो रही प्रोसेस
भोपाल गैस त्रासदी राहत-पुनर्वास के संचालक स्वतंत्र कुमार सिंह ने चर्चा के दौरान बताया "गाइडलाइन को फॉलो करते हुए कचरे को भोपाल से पीथमपुर ले जाया जाएगा।" बता दें कि हाई कोर्ट के निर्देश के तहत यह पूरी प्रोसेस की जा रही है। 3 जनवरी को हाई कोर्ट में शपथ पत्र देना है। कचरे को भेजने की प्रक्रिया इससे पहले पूरी कर ली जाएगी। पीथमपुर में कचरा पहुंचाने के बाद इसे 9 महीने के अंदर जलाने को लेकर तैयारी की जाएगी।

 

कचरा पीथमपुर शिफ्ट किए जाने का हो रहा है विरोध
एक तरफ जहां लंबी लड़ाई के बाद भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीला कचरा कोर्ट के आदेश के बाद यहां से शिफ्ट किया जा रहा है, दूसरी तरफ पीथमपुर में इसको लेकर डर का माहौल है। पीथमपुर के कई स्थानीय संगठन इसका लगातार विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेते हुए कहा की सरकार पीतमपुर के लोगों की जान को खतरे में डाल रही है। उन्होंने कहा कि स्थानी लोगों के स्वास्थ्य पर इसका दुष्प्रभाव पड़ सकता है और इसकी वजह से जल स्तर भी प्रदूषित हो सकता है।

 

कचरा हटाने पर क्या बोले लोग?
भोपाल में गैस राहत की विषय में काम करने वाली रचना ढींगरा का भी कहना है कि कचरे को पीथमपुर भेज कर स्थानीय लोगों की जान को खतरे में डाला जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को दबाव डालकर इस जहरीले कचरे को भोपाल से अपने देश ले जाने के लिए मजबूर करना चाहिए। इसी बीच इंदौर के एक डॉक्टर के संगठन की ओर से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के इंदौर ब्रांच में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को पीथमपुर में शिफ्ट करने पर रोक लगाने की अपील की है।
बता दें कि सन् 1984 में 2-3 दिसंबर की रात को यूनियन कार्बाइड कीटनाशक फैक्ट्री से अत्यधिक जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट (Methyl Isocyanate) लीक हुई थी, जिससे 5 हजार 479 लोगों की मौत हो गई थी और 5 लाख से अधिक लोग सेहत संबंधी समस्याओं और विकलांगताओं से ग्रसित हो गए थे।

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