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Banke Bihariji 18 December Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन, 18 दिसंबर 2024 पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि

Banke Bihariji 18 December Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन, 18 दिसंबर 2024 पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि

Banke Bihariji 18 December Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन। हिन्दू पंचांग के अनुसार आज 18 दिसंबर को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी है। यह पर्व हर वर्ष पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर गणपति बप्पा की भक्ति भाव से पूजा की जा रही है। साथ ही उनके निमित्त चतुर्थी का व्रत रखा जा रहा है। धार्मिक मत है कि भगवान गणेश की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। ज्योतिषियों की मानें तो अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पर इंद्र योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से आय और सुख में वृद्धि होगी।

शुभ मुहूर्त

पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 18 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 06 मिनट से शुरू होगी। वहीं, 19 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 02 मिनट पर समाप्त होगी। अतः 18 दिसंबर को है। आज के दिन चंद्र दर्शन का समय शाम 08 बजकर 27 मिनट पर है।

 

आज का पंचांग

सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 08 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 28 मिनट पर
चंद्रोदय- शाम 08 बजकर 27 मिनट पर
चंद्रास्त- सुबह 09 बजकर 52 मिनट पर

 

शुभ समय (Today Shubh Muhurat)

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 19 मिनट से 06 बजकर 14 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 01 मिनट से 02 बजकर 42 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 25 मिनट से 05 बजकर 52 मिनट तक
निशिता मुहूर्त- रात 11 बजकर 51 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक

 

अशुभ समय

राहुकाल - दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से 01 बजकर 35 मिनट तक

गुलिक काल - 11 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 18 मिनट तक

दिशा शूल - उत्तर

 

ताराबल

अश्विनी, कृत्तिका, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती

 

चन्द्रबल

वृषभ, कर्क, कन्या, तुला, मकर, कुंभ

 

गणेश जी के मंत्र

1. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

2. ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥

3. ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

4. ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

5. ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

 

निधिवन में प्रकट हुए बांके बिहारी जी

संत हरिदास जी निधिवन में अपनी बांसुरी और स्वर माधुर्य से राधा-कृष्ण की लीलाओं का गान करते थे। कहा जाता है कि एक दिन जब वे भक्ति और प्रेम में डूबकर भजन गा रहे थे, तो राधा-कृष्ण उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं उनके सामने प्रकट हुए। संत हरिदास जी ने जब भगवान का यह दिव्य रूप देखा, तो उनसे प्रार्थना की कि वे एक रूप में प्रकट होकर हमेशा भक्तों के बीच रहें। उनकी प्रार्थना पर भगवान राधा-कृष्ण ने एक दिव्य मूर्ति का रूप धारण किया। यह मूर्ति बांके बिहारी जी के नाम से प्रसिद्ध हुई।

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