Dark Mode
  • day 00 month 0000
Parliament Winter Session : लोकसभा में पेश हुआ वन नेशन वन इलेक्शन से जुड़ा बिल, वोट डिवीजन के बाद JPC को भेजा

Parliament Winter Session : लोकसभा में पेश हुआ वन नेशन वन इलेक्शन से जुड़ा बिल, वोट डिवीजन के बाद JPC को भेजा

Parliament Winter Session : वन नेशन, वन इलेक्शन (One Nation One Election Bill) से संबंधित 129वां संविधान संशोधन विधेयक आज लोकसभा (Lok Sabha) में पेश कर दिया गया। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (Arjun Ram Meghwal) ने यह बिल पेश करने का प्रस्ताव रखा। इसके बाद स्पीकर ओम बिड़ला (Speaker Om Birla) ने सभी फ्लोर लीडर्स से बिल पर अपनी राय रखने के लिए कहा। बिल के प्रस्ताव पर विपक्षी कांग्रेस से लेकर समाजवादी पार्टी, शिवसेना (UBT), तृणमूल कांग्रेस और AIMIM के सदस्यों ने इसे संविधान (Indian Constitution) पर आघात बताते हुए इसका विरोध किया। कांग्रेस के गौरव गोगोई, डीएमके के टीआर बालू, एनसीपी (SP) की सुप्रिया सुले ने बिल को या तो वापस लेने, या फिर जेपीसी (JPC) को भेजने की मांग की। ऐसे में यह बिल लोकसभा में वोट डिवीजन के जरिए पेश करने के बाद JPC को भेज दिया गया।

 

लोकसभा में इलेक्ट्रॉनिक और पर्ची के जरिए हुई वोटिंग, समर्थन में पड़े 269 वोट

लोकसभा में यह बिल पेश किए जाने के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग के बाद पर्ची से मतदान हुआ और तब जाकर यह बिल लोकसभा में पेश हो सका। इस बिल को लेकर विपक्ष की ओर से उठाए गए सवालों को काउंटर करते हुए कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि यह बिल संविधान का उल्लंघन नहीं करता, बल्कि संविधान सम्मत है। उन्होंने कहा कि कुछ सदस्यों ने बिल के इंट्रोडक्शन पर आपत्ति की है। एक विषय आया कि आर्टिकल 368 का ये उल्लंघन करता है। कानून मंत्री ने कहा कि ये आर्टिकल संविधान में संशोधन (Constitution Amendment) की प्रक्रिया बताता है और संसद को शक्ति देता है।

 

सदन को विधानमंडलों के संबंध में चुनाव के प्रावधान करने का अधिकार- कानून मंत्री

उन्होंने कहा कि एक विषय अनुच्छेद 327 का आया। मेघवाल ने कहा कि सदन को विधानमंडलों के संबंध में चुनाव के प्रावधान करने का अधिकार है। इसमें कहा गया है कि संविधान के प्रावधान के तहत विधानमंडल के किसी भी चुनाव के संबंध में प्रावधान कर सकती है। उन्होंने कहा कि सभी आवश्यक मामले इसमें शामिल हैं। अनुच्छेद 83 के तहत सदनों की अवधि और राज्यों के विधानमंडल के चुनाव की अवधि को पुनर्निधारित किया जा सकता है।

 

कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल बोले- बिल से संसद-विधानसभा की ताकत नहीं होगी कम

संविधान के 7वें अनुच्छेद के प्रावधान का उल्लेख करते हुए कानून मंत्री ने कहा कि ये केंद्र को शक्ति प्रदान करता है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के केशवानंद भारती केस (Keshwanand Bharti Case) में फेडरल स्ट्रक्चर पर बात को भी कोट किया और कहा कि इस बिल में इस पर कुछ भी आघात नहीं है। कानून मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने केशवानंद भारती के साथ-साथ और सब्जेक्ट भी जोड़े हैं, लेकिन इससे न तो संसद और न ही विधानसभा की शक्ति में कोई कमी आ रही है।

 

गौरव गोगोई बोले- राष्ट्रपति सिर्फ मंत्रिपरिषद से लेते हैं सलाह

वहीं इससे पहले बिल पर कांग्रेस के फ्लोर लीडर के रूप में अपनी बात रखते हुए गौरव गोगोई ने कहा कि संविधान के अनुसार राष्ट्रपति सिर्फ मंत्रिपरिषद से ही सलाह लेते हैं। वहीं चुनाव आयोग चुनावों का प्रबंधन करने का काम करता है। लेकिन इस बिल के जरिए सरकार पहली बार राष्ट्रपति (President of India) को चुनाव आयोग (Election Commission of India) से सलाह लेने का प्रावधान करने जा रही है। वहीं इस बिल के माध्यम से जिस तरह से चुनाव आयोग की शक्तियां बढ़ाई जाएंगी, उन्हें भी गौरव गोगोई ने असंवैधानिक बताते हुए बिल को जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी को भेजने की मांग की।

बता दें बिल पर सदन में हुई चर्चा के बाद इसे जेपीसी को भेज दिया गया है।

Comment / Reply From

Vote / Poll

क्या राजस्थान मे बेरोजगारी का मुद्दा खत्म हो चुका है ..

View Results
Yes
11%
No
89%

Talk to us?