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कर्ज में डूबा अमेरिका, 37 ट्रिलियन डॉलर का संकट, भारत भी लपेटे में

कर्ज में डूबा अमेरिका, 37 ट्रिलियन डॉलर का संकट, भारत भी लपेटे में

दुनिया की सबसे ताकतवर अर्थव्यवस्था आज कर्ज के दलदल में बुरी तरह फंसी हुई है। 20 जून तक अमेरिका पर कुल कर्ज 37 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंच चुका है, यानी जितनी रफ्तार से अमेरिका की पूरी इकोनॉमी एक साल में बढ़ती है, उतना कर्ज अकेले सरकार के सिर है। हर साल करीब 1 ट्रिलियन डॉलर सिर्फ ब्याज चुकाने में जा रहा है, यानी टैक्स से होने वाली कुल कमाई का चौथाई हिस्सा लोन भरने में खर्च हो रहा है। इसका मतलब है कि सोशल सिक्योरिटी, हेल्थकेयर, डिफेंस और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे अहम सेक्टर्स के लिए पैसे की भारी कमी हो सकती है। कांग्रेस के बजट ऑफिस का कहना है कि अगर सुधार नहीं हुए तो 2055 तक अमेरिका का कर्ज उसकी GDP के 156% तक पहुंच जाएगा। इससे निवेश कम होगा, नौकरियां जाएंगी और वेतन की बढ़त रुक सकती है।

 

अगला खतरा डॉलर की वैल्यू में गिरावट है, जिससे पूरी ग्लोबल इकोनॉमी हिल सकती है। ब्याज दरों के बढ़ने से उधार लेना और भी महंगा हो गया है और अगर निवेशकों का भरोसा टूटा तो अमेरिका को भारी आर्थिक झटका लग सकता है। फिलहाल अमेरिका की इकोनॉमी धीमी रफ्तार से बढ़ रही है—GDP ग्रोथ 1.4-1.6% के बीच है, महंगाई बढ़ी हुई है और बेरोजगारी का खतरा भी बना हुआ है। एलन मस्क समेत कई दिग्गजों ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अमेरिका अगर अपनी नीतियों में बदलाव नहीं करता, तो आने वाली पीढ़ियों को नहीं, बल्कि आज की दुनिया को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। अब सवाल ये है कि भारत पर क्या असर पड़ेगा? तो जान लीजिए, भारत ने अमेरिका को करीब 20 लाख करोड़ रुपये का कर्ज ट्रेजरी बॉन्ड्स के जरिए दे रखा है और अमेरिका अगर लड़खड़ाता है, तो भारतीय अर्थव्यवस्था को भी तगड़ा झटका लग सकता है। कुल मिलाकर, अमेरिका के कर्ज का तूफान सिर्फ उसकी नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की नींव को हिला सकता है!

 

 

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