Trending News : पहले की 37 रुपए की चोरी, फिर लौटाए 70 हजार रुपए, वजह जानकर रह जाएंगे दंग
- Neha Nirala
- October 30, 2024
Trending News : हम सभी को जीवन में अलग-अलग चीजों की, खास तौर पर पैसों की जरूरत पड़ती रहती है। ऐसे में अगर जरूरत छोटी होती है तो हम अपने किसी जानकार या मित्र से और जरूरत बड़ी हो तो बैंक से पैसे उधार (Money Borrow) ले लेते हैं और इसे समय पर चुकाते भी हैं। वहीं कई बार हमारे पैसे चोरी (Stealing Money) हो जाते हैं, जिनका वापस मिल पाना लगभग नामुमकिन होता है। ऐसे में हम चोरी हुए पैसों को भूल जाते हैं। वहीं दुनिया में ऐसे भी लोग होते हैं जो कई बार उधार लेकर पैसा लौटाने से मना कर देते हैं या फिर आपके पैसे चुरा लेते हैं और फिर कभी नहीं लौटाते। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताएंगे, जिसने न सिर्फ चोरी किए हुए पैसे का अमाउंट याद रखा, बल्कि करीब 5 दशक बाद उस पैसे को ब्याज के साथ उसके मालिक को लौटाया भी।
5 दशक बाद अचानक फिर से जागा ज़मीर
जानकारी के मुताबिक ये मामला भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका (Sri Lanka) का है। यहां रंजीत नाम के एक व्यक्ति ने करीब 54 साल पहले गरीबी के दिनों में एक घर से 37 रुपए चुकाए। लेकिन अब जब करीब 5 दशक बाद जब उनका जमीर फिर से जागा, तो वे ये चुराई हुई राशि ब्याज समेत उसके मालिक को लौटाने पहुंच गए।
तकिए के नीचे रखे थे पैसे, गरीबी के चलते की चोरी
बताया जा रहा है कि 1970 में रंजीत काफी गरीब थे। वो श्रीलंका के नुवारा एरिया के चाय के बागान के पास रहा करते थे और मजदूरी करते थे। एक दिन बागान में काम करने वाले कपल ने उन्हें अपने घर का सामान उठवाने के लिए बुलाया क्योंकि वे अपने नए घर में शिफ्ट हो रहे थे। यहां से सामान निकालते वक्त उन्हें तकिए के नीचे 37 रुपए मिले थे। हालांकि आज के वक्त के हिसाब से यह रकम बेहद छोटी है, लेकिन 70 के दशक में किसी गरीब के लिए 37 रुपए बहुत बड़ी रकम थी। लिहाजा रंजीत ने 37 रुपए चोरी की नीयत से उठाकर अपनी जेब में रख लिए।
बाइबिल के एक वर्स को पढ़कर किया पैसे चुकाने का फैसला
कुछ देर बाद मकान मालिक मसरुफ सगुई को याद आया कि उसने तकिए के नीचे 37 रुपए रखे हैं और उसने रंजीत से इस बारे में पूछताछ की, लेकिन रंजीत ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया। रंजीत के माता-पिता भी उस समय चाय के बागानों में काम करते थे और उनका परिवार काफी बड़ा था। इसलिए इनकम पूरी न पड़ने की वजह से वो स्कूल की पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाए थे। तब 17 साल की उम्र में रंजीत ने तमिलनाडु आने का फैसला किया। 1977 में उनकी जिंदगी में बदलाव आने लगे। भारत आकर उन्होंने एक छोटी सी दुकान खोली, लेकिन दुकान चल नहीं पाई। ऐसे में वे एक रेस्टोरेंट में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करने लगे। इसके बाद रंजीत ने खाना बनाना सीखा और खुद की एक फूड कंपनी खोली। धीरे-धीरे ये कंपनी बढ़ती गई और आज इसमें करीब 125 लोग काम करते हैं। ऐसे में एक दिन बाइबल (Bible) पढ़ते वक्त उन्होंने एक श्लोक या वर्स पढ़ा जिसमें लिखा था कि दुष्ट कभी किसी का पैसा नहीं लौटाता और धर्मी इंसान सभी के साथ हिसाब क्लियर रखता है। बस यही बात रंजीत को अखर गई और उन्होंने 50 साल पहले चुराए पैसों को सूद समेत लौटाने का फैसला किया।
उत्तराधिकारियों को चुकाए पूरे पैसे
ऐसे में उन्होंने अपने दोस्तों की मदद से उस दंपति के उत्तराधिकारियों को खोजना शुरू किया क्योंकि अब तक वे मकान मालिक जीवित नहीं थे। उन दंपति के 6 बच्चे थे, 3 बेटे और 3 बेटियां। इनमें से एक बेटे की मौत हो चुकी थी, जबकि एक पलानिधि कोलंबो में थे, जबकि दूसरा बेटा कृष्णा नुवारा एलिया में रह रहा था। रंजीत ने उन दोनों से संपर्क किया और उनसे कहा कि वे उनके माता-पिता से लिया गया कर्ज वापस करना चाहते हैं। इस कर्ज को लौटाने के लिए रंजीत इसी साल 21 अगस्त को श्रीलंका गए थे और एक रेस्तरां में उनसे मुलाकात हुई थी। यहां उन्होंने 1970 में घटी घटना के बारे में बताया और हिसाब-किताब कर 70 हजार रुपए की रकम मकान मालिक के वारिसों को लौटा दी।
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