
ट्रंप का ऐलान : भारत, कनाडा, मेक्सिको और चीन पर लगेगा टैरिफ
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Shweta
- March 5, 2025
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान के दौरान बार-बार यह संकेत दिया था कि अगर वे फिर से सत्ता में आते हैं तो अमेरिका की व्यापार नीतियों में बड़ा बदलाव करेंगे। अब उनके नेतृत्व में अमेरिका ने चीन, कनाडा और मेक्सिको सहित कई देशों पर भारी टैरिफ (आयात शुल्क) लगा दिया है, जिससे एक नई आर्थिक जंग की शुरुआत हो गई है। यह कदम न केवल अमेरिका बल्कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर डालेगा और महंगाई बढ़ने की आशंका को और पुख्ता करेगा।
क्या है ट्रंप का टैरिफ और किन देशों पर असर?

ट्रंप प्रशासन ने 2025 में नए टैरिफ लागू करने का फैसला किया है, जो मुख्य रूप से चीन, कनाडा और मेक्सिको से आयातित वस्तुओं पर केंद्रित है। इन टैरिफ का उद्देश्य अमेरिकी उत्पादों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना और घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना है।
1.चीन: अमेरिका ने चीन से आयातित इलेक्ट्रॉनिक्स, स्टील, टेक्सटाइल, और सेमीकंडक्टर पर 25% तक का टैरिफ लगाया है। इससे चीन के निर्यात पर असर
पड़ेगा और दोनों देशों के बीच पहले से जारी ट्रेड वॉर और तेज हो सकती है।
2.कनाडा: लकड़ी, डेयरी उत्पाद और एल्यूमिनियम पर भारी टैरिफ लगाए गए हैं, जिससे कनाडा-अमेरिका व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ सकता है।
3.मेक्सिको: ऑटोमोबाइल, कृषि उत्पाद और मशीनरी पर आयात शुल्क बढ़ा दिए गए हैं, जिससे मेक्सिको की अर्थव्यवस्था पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।
4.भारत: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2 अप्रैल से भारत पर जैसा को तैसा टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि भारत हमसे 100% से ज्यादा टैरिफ वसूलता है, हम भी अगले महीने से ऐसा ही करने जा रहे हैं।
वैश्विक बाजार पर असर
अमेरिका द्वारा उठाए गए इस कदम से वैश्विक बाजार अस्थिर हो सकता है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह टैरिफ न केवल अमेरिका के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए महंगाई बढ़ाने वाला साबित होगा। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि जब आयातित वस्तुओं पर टैरिफ लगाया जाता है, तो उनकी लागत बढ़ जाती है और इसका बोझ आम उपभोक्ताओं को उठाना पड़ता है।
1. महंगाई दर में इजाफा: अमेरिका में महंगे आयात के कारण कंपनियां अपने उत्पादों की कीमतें बढ़ाएंगी, जिससे आम जनता को अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी।
2. वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित: चीन, कनाडा और मेक्सिको से कच्चे माल और तैयार उत्पादों की आपूर्ति बाधित होगी, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होगी।
3. नए ट्रेड वॉर की संभावना: चीन और अन्य देश भी जवाबी टैरिफ लगा सकते हैं, जिससे वैश्विक व्यापार संघर्ष और बढ़ सकता है।
भारत पर प्रभाव

भारत के लिए यह टैरिफ दोनों तरह से असर डाल सकता है सकारात्मक भी और नकारात्मक भी ।
1. नए निर्यात के अवसर: यदि चीन से अमेरिका का आयात महंगा होता है, तो भारत के पास अमेरिकी बाजार में अपने उत्पादों को बढ़ावा देने का मौका हो सकता है।
2. तेल और अन्य वस्तुओं की कीमतों पर असर: यदि वैश्विक बाजार में अस्थिरता आती है, तो इसका असर भारत में भी पेट्रोल-डीजल और अन्य वस्तुओं की कीमतों पर पड़ सकता है।
3. आईटी और फार्मा सेक्टर को फायदा: अमेरिका चीन से टेक्नोलॉजी और फार्मा उत्पादों पर निर्भर है, ऐसे में भारत के आईटी और फार्मा सेक्टर को फायदा हो सकता है।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम
हालांकि ट्रंप का यह कदम अमेरिकी उत्पादकों के लिए लाभदायक हो सकता है, लेकिन इसका लंबी अवधि में नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिल सकता है।
1. अमेरिकी कंपनियों की लागत बढ़ेगी: चीन और अन्य देशों से आयात महंगा होने पर अमेरिकी कंपनियों को अपने उत्पाद महंगे करने पड़ सकते हैं, जिससे उनकी बिक्री पर असर पड़ेगा।
2. मुद्रास्फीति बढ़ने का खतरा: टैरिफ लागू होने से उत्पादों की लागत बढ़ेगी और इससे मुद्रास्फीति दर में वृद्धि होगी।
3. रोजगार पर असर: कई अमेरिकी कंपनियां जो इन देशों से आयात पर निर्भर हैं, उन्हें लागत में बढ़ोतरी के कारण कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ सकती है।
क्या हो सकता है आगे?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह टैरिफ लंबे समय तक लागू रहता है, तो अमेरिका और प्रभावित देश आपसी व्यापार समझौतों में बदलाव कर सकते हैं। इसके अलावा, चीन, कनाडा और मेक्सिको जैसे देश जवाबी टैरिफ लगाकर अमेरिका पर दबाव बना सकते हैं।संभावना यह भी है कि अन्य देश अमेरिका के इस कदम का कड़ा विरोध करें और विश्व व्यापार संगठन (WTO) में इसकी शिकायत करें। अगर अमेरिका अपने फैसले पर अडिग रहता है, तो वैश्विक व्यापार संरचना में भारी बदलाव हो सकता है।ट्रंप द्वारा लागू किए गए नए टैरिफ न केवल अमेरिका बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते हैं। जहां एक तरफ अमेरिका अपने उद्योगों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है, वहीं दूसरी ओर इस कदम से महंगाई और वैश्विक व्यापार संघर्ष बढ़ सकता है। भारत के लिए यह अवसर और चुनौती दोनों ला सकता है। अब देखना यह होगा कि प्रभावित देश इस पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं और आने वाले समय में विश्व व्यापार का परिदृश्य कैसा होता है।
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