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वक्फ एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट बड़ा फैसला, वक्फ करने की पांच साल की लिमिट पर रोक

वक्फ एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट बड़ा फैसला, वक्फ करने की पांच साल की लिमिट पर रोक

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज 15 सितंबर को वक्फ से जुड़े मामले को लेकर अपना फैसला सुना दिया है। जिसमें अंतरिम फैसले में वक्फ बिल के प्रावधानों पर रोक लगाने से साफ तौर पर इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि हमारे पास पूरे कानून पर रोक लगाने का अधिकार नहीं है।


वक्फ एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए वक्फ कानून की धारा 3 और धारा 4 पर रोक लगाते हुए वक्फ के लिए संपत्ति दान देने के लिए पांच साल तक इस्लाम का पालन करने वाले प्रावधान समेत कुछ प्रावधानों पर पर रोक लगा दी है। जिसमें कहा गया था कि केवल पिछले पांच साल से इस्लाम धर्म का पालन करने वाले ही वक्फ बना सकते हैं।

 

सुप्रीम कोर्ट लेटेस्ट जजमेंट 2025 में मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई (CJI BR Gavai) और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि वक्फ कानून के कुछ सेक्शन को लेकर अधिक विवाद है। कोर्ट ने कहा हमारे पास पूरे कानून पर रोक लगाने का अधिकार नहीं। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने धारा 3(आर), 2(सी), 3(सी) और 23 पर रोक लगाने का आदेश पारित किया है।


वक्फ एक्ट सुप्रीम कोर्ट फैसला 2025 में धारा 3(आर) में यह शर्त कि किसी व्यक्ति को वक़्फ़ बनाने के लिए कम से कम पाँच वर्षों तक इस्लाम का अनुयायी होना चाहिए। अदालत ने कहा कि जब तक नियम नहीं बनते, यह शर्त मनमानी हो सकती है और स्थगित रहेगी। धारा 2(सी) में जब तक नामित अधिकारी की रिपोर्ट दाखिल नहीं होती, संपत्ति को वक्फ संपत्ति न माना जाए. कोर्ट ने इस प्रावधान को स्थगित कर दिया है। वहीं धारा 3(सी) में कलेक्टर को संपत्ति अधिकार तय करने का अधिकार देना शक्तियों के पृथक्करण का उल्लंघन है. अंतिम निर्णय तक संपत्ति अधिकार प्रभावित नहीं होंगे और वक्फ को कब्ज़े से वंचित नहीं किया जाएगा

 

सुप्रीम कोर्ट लेटेस्ट जजमेंट 2025 सुनाते हुए CJI गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कहा कि राज्य वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषदों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या तीन से अधिक नहीं हो सकती। यानी वक्फ बोर्ड के 11 सदस्यों में से बहुमत मुस्लिम समुदाय से होना चाहिए। कोर्ट ने ये भी कहा कि जहां तक संभव हो, बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी मुस्लिम ही होना चाहिए। इस तरह से अदालत ने कुछ मामलों में मुसलमानों को राहत दी तो कुछ मामलों में सरकार को दी है।

 

पहले वक्फ विधयेक में वक्फ जमीनों को लेकर जो पुराना कानून था, वह कहता था कि अगर कोई जमीन लंबे समय से वक्फ द्वारा ही इस्तेमाल की जा रही है तो उसे वक्फ का माना जा सकता है। अब जब नया कानून आया है, इसमें इस शब्द को ही हटा दिया गया है।

 

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