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हिंदी-मराठी भाषा विवाद पर सांसद निशिकांत दुबे ने कहा, भाषा को लेकर आप गरीबों को पीटते..

हिंदी-मराठी भाषा विवाद पर सांसद निशिकांत दुबे ने कहा, भाषा को लेकर आप गरीबों को पीटते..

हिंदी-मराठी भाषा विवाद पर चल रही बहस के बीच भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने बयान पर अभी भी महाराष्ट्र के राजनीति में हलचल मची हुई है। अपने पूर्व बयान पर बीजेपी मंत्री निशिकांत दुबे ने कहा कि उनके शब्दों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। लेकिन वह अपने दिए गए बयान पर अभी भी अडिग हैं। उन्होंने ने कहा कि महाराष्ट्र(Marashtra) का देश बढ़ा योगदान है। जो गरीब आदमी है, जो महाराष्ट्र में कमा रहा है और उसका भी महाराष्ट्र के अर्थव्यवस्था में योगदान है। 

 

निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) ने एक मीडिया रिपोर्ट में कहा,"मैंने एक बात कही थी और उसे तोड़ दिया गया है। मैंने यह कहा था कि इस देश की अर्थव्यवस्था में महाराष्ट्र का बड़ा योगदान है, लेकिन उसमें केवल मराठा समाज का ही नहीं, पूरे देश का हिस्सा है। मुंबई में एलआईसी और एसबीआई जैसे संस्थानों का मुख्यालय है, लेकिन टैक्स पूरे देश से इकट्ठा होता है।"

 

उन्होंने आगे कहा कि "मैं सिक्किम में खड़ा हूं, यहाँ के लोग भी एसबीआई में पैसा जमा करते हैं, लेकिन उसका टैक्स महाराष्ट्र के खाते में जाता है। इससे ठाकरे परिवार या मराठाओं का क्या लेना-देना?" मराठी भाषा के साथ देश के सभी भाषा का सम्मान करना चाहिए। सभी को अपनी भाषा प्रिय लगती है।

 

इसके बाद निशिकांत दुबे ने तीखा हमला बोलते हुए कहा, "भाषा को लेकर आप गरीबों को पीटते हैं। लेकिन मुकेश अंबानी भी महाराष्ट्र में रहते हैं, मराठी बहुत कम बोलते हैं। अगर हिम्मत है, तो उनके पास जाइए। माहिम में मुस्लिम आबादी ज़्यादा है, हिम्मत है तो वहाँ जाइए। एसबीआई चेयरमैन मराठी नहीं बोलते, उन्हें मारने की कोशिश करो।" एलआईसी का चैयरमैन नार्थ ईस्ट का है उसको भी धमका कर देखो।

 

बीजेपी नेता निशिकांत दुबे आगे कहते है कि 'जो गरीब आदमी है, जो महाराष्ट्र में कमा रहा है और उसका भी महाराष्ट्र के अर्थव्यवस्था में योगदान है। टाटा जैसी कंपनी ने भी बिहार में सबसे पहले इंडस्ट्री लगाया। ठाकरे बंधु को अगर ऐसे ही राजस्थान, उड़ीसा, बंगाल, तमिलनाडु, गुजरात पर मराठी भाषा थोपकर राजनीति करना चाहते हैं तो ऐसे राजनीति नहीं होगी। अगर आप इन राज्यों में जाओगे तो वो आपको पटक-पटक कर मारेंगे और मैं ये फिर से कह रहा हूँ।


हाल ही में महाराष्ट्र में हिंदी बनाम मराठी भाषा को लेकर विवाद शुरू हुआ था, जहां गैर-मराठी बोलने वाले लोगों के साथ कथित मारपीट की घटनाएं सामने आई थीं। मराठी बनाम हिंदी विवाद पर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने मनसे नेता ठाकरे बधु को लेकर हमला बोला था और कहा था “आप लोग हमारे पैसे से जी रहे हैं। आपके पास खुद के कौन से उद्योग हैं? अगर आप इतने साहसी हैं और हिंदी बोलने वालों को पीटते हैं, तो आपको उर्दू, तमिल और तेलुगु बोलने वालों को भी पीटना चाहिए।” उन्होंने एक और तीखा तंज कसते हुए कहा “अगर राज ठाकरे में हिम्मत है तो वे माहिम जाएं और माहिम दरगाह के सामने किसी भी हिंदी या उर्दू बोलने वाले को पीटकर दिखाएं।”

 

वहीं उद्धव ठाकरे (Uddhav Thakre) ने निशिकांत दुबे पर पलटवार करते हुए कहा है कि कुछ लोग लकड़बग्घे की तरह राज्य में शांति और सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने बीजेपी पर 'फूट डालो और राज करो' की नीति पर चलने, राजनीतिक लाभ हासिल करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उद्धव ने कहा कि राजनीति की यह शैली अब अपनी प्रासंगिकता खो चुकी है। मुंबई में हमारी रैली की सफलता से बीजेपी बेचैन है।

 

महाराष्ट्र में हाल ही में कथित तौर पर मनसे कार्यकर्ताओं द्वारा गैर-मराठी भाषियों पर हमला करने की घटनाओं पर केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने आज कहा कि गैर मराठी लोगों पर अत्याचार करना सही नहीं है, हमारी पार्टी कड़ा विरोध करती है। 'थप्पड़ का थप्पड़ से जवाब देना पड़ेगा, मनसे 'गुंडागर्दी' बंद होनी चाहिए।" रामदास अठावले कहते हैं, "मराठी का विरोध करना सही नहीं है, लेकिन, टाटा, बिड़ला, अडानी और अंबानी जैसे लोग, जो बाहर से महाराष्ट्र आए, उन्होंने भी मुंबई को आर्थिक राजधानी बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। लगभग 80% गैर-मराठी मराठी बोलते हैं। अगर 20% नहीं बोलते, तो उन्हें पीटना ठीक नहीं है। मेरी पार्टी ने भी इसका विरोध किया है। राज ठाकरे को अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को निर्देश देना चाहिए कि इस तरह की हरकतें ठीक नहीं है।"

 

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