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मोदी का संघ (RSS) मुख्यालय दौरा: 2029 के चुनावों के लिए नई रणनीतिक साझेदारी

मोदी का संघ (RSS) मुख्यालय दौरा: 2029 के चुनावों के लिए नई रणनीतिक साझेदारी

नरेंद्र मोदी का RSS मुख्यालय का पहला दौरा, 2029 के चुनावों के लिए नई रणनीति ओर 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2029 के लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी (BJP) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के बीच रिश्तों को और मजबूत करते हुए एक साझा रणनीति तैयार की है। यह रणनीति संघ और बीजेपी (BJP) के राजनीतिक गठबंधन को और गहरा करेगी।

 

पीएम मोदी का ऐतिहासिक दौरा (PM Modi's historic visit)

हिंदू नववर्ष और चैत्र नवरात्रि के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Preseident of India) का नागपुर में RSS मुख्यालय का पहला दौरा हुआ। सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने नागपुर (nagpur) में RSS मुख्यालय संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर के स्मारक स्मृति मंदिर पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की। इससे पहले जुलाई 2013 में वह लोकसभा चुनाव के सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नागपुर आए थे। पीएम मोदी संघ (RSS) के कामों की जमकर तारीफ करते हुए माधव नेत्रालय की नई बिल्डिंग की आधारशिला रखी।
पीएम मोदी ने इस दौरान यह भी कहा कि RSS आज भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना को लगातार ऊर्जावान बना रहा है। पीएम ने यह भी कहा कि स्वयंसेवक के लिए सेवा ही जीवन का उद्देश्य है और हम "देव से देश, राम से राष्ट्र" के मंत्र के साथ चल रहे हैं। पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि राष्ट्रीय चेतना के लिए जो विचार 100 साल पहले संघ के रूप में बोया गया, वो आज महान वट वृक्ष के रूप में दुनिया के सामने हैं।

 

पीएम मोदी और RSS का पुराना रिश्ता (Old relationship between PM Modi and RSS)

 

मोदी का संघ (RSS) मुख्यालय दौरा: 2029 के चुनावों के लिए नई रणनीतिक साझेदारी

प्रधानमंत्री मोदी का RSS से एक गहरा और पुराना रिश्ता है, जो 1972 में शुरू हुआ था। उस समय नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने RSS में शामिल होकर प्रचारक की भूमिका अदा की और संगठन के माध्यम से ही बीजेपी (BJP) में शामिल हुए थे। इसके बाद पीएम मोदी गुजरात में संगठन की जिम्मेदारी उठाई और 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने। उनके लिए RSS सिर्फ एक संगठन नहीं, बल्कि उनकी राजनीति का अहम हिस्सा रहा है।

 

RSS और बीजेपी के बीच गहरे रिश्ते (Deep relationship between RSS and BJP)

मोदी का संघ (RSS) मुख्यालय दौरा: 2029 के चुनावों के लिए नई रणनीतिक साझेदारी

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में यह साफ किया कि बीजेपी और RSS के बीच कोई दरार नहीं है, बल्कि दोनों के बीच एक गहरा राजनीतिक गठबंधन है। उनका यह बयान यह दर्शाता है कि RSS का प्रभाव अब बीजेपी से कहीं ज्यादा गहरा और व्यापक हो चुका है। मोदी (PM) ने यह भी कहा कि संघ के विचारों को 100 साल पहले बोया गया था, जो आज एक महान वट वृक्ष के रूप में दुनिया के सामने हैं।

 

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विपक्ष ने उठाए सवाल (Opposition raised questions)

प्रधानमंत्री मोदी के नागपुर दौरे पर विपक्ष ने निशाना साधा है। समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि पीएम मोदी (PM modi) का RSS के साथ जुड़ाव अब सार्वजनिक हो गया है। संजय राउत (Leader Shiv Sena) ने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री को अचानक RSS मुख्यालय जाने की जरूरत क्यों पड़ी और क्या यह बीजेपी और RSS के रिश्तों में किसी रणनीतिक बदलाव को दर्शाता है?

आम आदमी पार्टी (APP) के सांसद संजय सिंह ने भी RSS के इतिहास पर सवाल उठाए और कहा कि 100 वर्षों में RSS का कोई प्रमुख दलित, पिछड़ा या आदिवासी क्यों नहीं बना? उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्यों RSS ने आज तक किसी महिला को प्रमुख नहीं बनाया?

 

नागपुर से दिल्ली तक संदेश (Message from Nagpur to Delhi)

मोदी का संघ (RSS) मुख्यालय दौरा: 2029 के चुनावों के लिए नई रणनीतिक साझेदारी

प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) का नागपुर दौरा सिर्फ एक राजनीतिक यात्रा नहीं, बल्कि यह भारतीय राजनीति में संघ और बीजेपी के गठबंधन के भविष्य के बारे में भी संकेत दे रहा है। पीएम मोदी ने दीक्षा भूमि पर महात्मा बुद्ध की पूजा की और संघ के दरवाजे पर पहुंचकर राजनीति के नए आयाम की ओर इशारा किया। पीएम मोदी और RSS के इस गठबंधन को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, खासकर 2029 के चुनाव को लेकर।

 

यहां से निकलता संदेश दिल्ली तक गूंज रहा है कि संघ (RSS) और मोदी (PM Modi) की साझेदारी भारतीय राजनीति की धारा को बदल सकती है। क्या यह भविष्य में एक नई राजनीतिक तस्वीर की ओर इशारा कर रहा है? इस सवाल का उत्तर आने वाले समय में ही मिल सकेगा, लेकिन अब सभी की निगाहें 2029 के चुनावों और संघ-बीजेपी के गठबंधन (alliance) पर टिकी हैं।

 

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