
पंजाब में किसान संगठन का AAP विधायकों और मंत्रियों के घरों का घेराव
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Manjushree
- April 1, 2025
पंजाब में किसान संगठन का राज्य सरकार और पुलिस के खिलाफ विरोध तेज।
आज से किसान संगठन ने आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायकों और मंत्रियों के घरों का घेराव करने का ऐलान किया है।
खनौरी और शंभू बॉर्डर (Khanauri and Shambhu border) पर पंजाब पुलिस की कार्रवाई और किसान नेताओं की गिरफ्तारी के बाद करीब 1 साल से चल रहा उनका आंदोलन 19 मार्च को समाप्त हो गया था।
बता दें उनका यह विरोध प्रदर्शन पंजाब पुलिस (Punjab Police) द्वारा 19 मार्च को शंभू और खनौरी बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ की गई कार्रवाई को लेकर है।
गौरतलब है कि किसान संगठन (farmers' organizations) राज्य सरकार के खिलाफ गुस्से में हैं। और उनका आरोप है कि पंजाब पुलिस ने किसानों को जबरन खदेड़ने के साथ ही उनके तंबू उखाड़ दिए थे, यही नहीं उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था। किसानों का दावा है कि यह कार्रवाई पूरी तरह से अवैध थी और उन्हें धोखा दिया गया।
किसानों का आरोप और गुस्सा (Farmers' allegations and anger)

किसान संगठनों का कहना है कि राज्य सरकार और पुलिस ने उनकी स्थिति को समझे बिना और बिना किसी वैध कारण के शंभू और खनौरी बॉर्डर से उन्हें हटा दिया। किसानों का आरोप है कि यह कदम उनके अधिकारों का उल्लंघन था और राज्य सरकार ने उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की। इस कार्रवाई के बाद किसान संगठन और अधिक गुस्से में आ गई हैं और अब वे राज्य सरकार के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे हैं।
AAP विधायकों और मंत्रियों के घरों का घेराव (House of AAP MLAs and ministers surrounded)
किसान संगठनों (farmers' organizations) ने सुनिश्चित किया है कि उनका मुख्य उद्देश्य AAP के विधायकों और मंत्रियों पर दबाव बनाना है ताकि वे अपनी सरकार की कार्रवाई पर पुन सोचें। उन्होंने ऐलान किया है कि वे 17 जिलों में विरोध प्रदर्शन करेंगे, जो बाद में अन्य जिलों में भी उनका प्रदर्शन हो सकता है। किसानों का कहना है कि वे शांतिपूर्वक प्रदर्शन करेंगे और अपनी आवाज उठाएंगे, लेकिन अगर उनकी मांगों को अनसुना किया गया, तो उनका विरोध जारी रहेगा।
जगजीत सिंह डल्लेवाल का अनशन (Jagjit Singh Dallewal's hunger strike)
जैसा कि सुप्रीम कोर्ट को पंजाब सरकार द्वारा संज्ञान में बताया गया था कि 28 मार्च को हरियाणा के निकट शंभू और खनौरी सीमाओं से प्रदर्शनकारी किसानों को हटा दिया है. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल, जो पिछले साल 26 नवंबर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर थे, उन्होंने सभी गिरफ्तार किसान नेताओं की रिहाई के बाद 28 मार्च की सुबह एक गिलास पानी पिया था. इसके बाद पंजाब के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह द्वारा सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि डल्लेवाल ने अपना आमरण अनशन तोड़ दिया है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान का बयान (Statement of C M Bhagwant Mann)

इधर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (CM of punjab) ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि वह किसानों के अधिकारों का समर्थन करते हैं और उनके साथ 4 मई को केंद्र सरकार के साथ होने वाली वार्ता में स्वयं भी सम्मलित होंगे। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा था कि शंभू और खनौरी बॉर्डर को खाली करना जरूरी था क्योंकि इससे राज्य को आर्थिक नुकसान हो रहा था और बॉर्डर पर आवागमन बाधित हो रहा था।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, 'मैं शंभू और खनौरी बॉर्डर (Khanauri and Shambhu border) पर किसान संगठनों के विरोध प्रदर्शन का पूरी तरह से समर्थन करता हूं. अपने अधिकारों के लिए लड़ना हर किसी का लोकतांत्रिक अधिकार है. मैं व्यक्तिगत रूप से 4 मई को केंद्र के साथ बैठक में किसानों को ले जाऊंगा। हम उनके साथ प्यार से पेश आए हैं. अब तक उन पर कोई लाठी या पानी की बौछार का इस्तेमाल नहीं किया गया है.' मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि किसानों का विरोध प्रदर्शन केंद्र सरकार के खिलाफ है. लेकिन बॉर्डर पर आवागमन बाधित होने से राज्य को आर्थिक नुकसान भी हो रहा था, इसको देखते हुए शंभू और खनौरी बॉर्डर खाली कराया गया.
किसानों का राज्य सरकार की चुनौती (Farmers' challenge to the state government)
किसान संगठनों (farmers' organizations) की तरफ से यह नया विरोध राज्य सरकार और पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है। किसानों की शक्ति और उनके संगठन की ताकत को देखते हुए, यह विरोध पंजाब सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बन गई है। यदि राज्य सरकार और पुलिस के खिलाफ यह आंदोलन और बढ़ता है, तो उसे संतुलन बनाए रखने में कठिनाई हो सकती है।
फिलहाल, किसान संगठन यह सुनिश्चित करने के लिए तैयार हैं कि उनकी आवाज राज्य सरकार (state government) तक पहुंचे और उनकी समस्याओं का समाधान निकाला जाए।
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