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ट्रूडो की जगह Mark Carney बने कनाडा के नए PM

ट्रूडो की जगह Mark Carney बने कनाडा के नए PM

कनाडा की राजनीति में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ है, जहां पूर्व केंद्रीय बैंकर मार्क कार्नी ने लिबरल पार्टी के नेतृत्व की दौड़ में 86% वोटों से जीत हासिल की है, जिससे वे देश के नए प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं।  यह परिवर्तन न केवल कनाडा के लिए, बल्कि भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार की संभावनाएं बढ़ी हैं।

 

मार्क कार्नी

 

ट्रूडो की जगह Mark Carney बने कनाडा के नए PM

 

मार्क कार्नी का जन्म 16 मार्च 1965 को फोर्ट स्मिथ, नॉर्थवेस्ट टेरिटरीज, कनाडा में हुआ था, और उनका पालन-पोषण एडमंटन, अल्बर्टा में हुआ। उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक किया और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में मास्टर और डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की। कार्नी ने गोल्डमैन सैक्स में अपने करियर की शुरुआत की, जहां उन्होंने लंदन, टोक्यो, न्यूयॉर्क और टोरंटो में 13 वर्षों तक काम किया। बाद में, वे बैंक ऑफ कनाडा के गवर्नर बने और 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान कनाडा की अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद, वे बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर बने, इस पद को संभालने वाले पहले गैर-ब्रिटिश व्यक्ति।

 

 

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डोनाल्ड ट्रंप के आलोचक

मार्क कार्नी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों की आलोचना की है, विशेष रूप से ट्रंप द्वारा कनाडाई वस्तुओं पर 25% टैक्स लगाने के फैसले के बाद। कार्नी ने कहा है कि जब तक अमेरिका कनाडा का सम्मान नहीं करेगा, तब तक उनकी सरकार अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ जारी रखेगी। उन्होंने अपने पहले भाषण में स्पष्ट किया कि अमेरिका कनाडा और उसके संसाधनों पर कब्जा नहीं कर सकता, और कनाडा अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

 

भारत-कनाडा संबंधों में संभावित सुधार

 

ट्रूडो की जगह Mark Carney बने कनाडा के नए PM

 

जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल के दौरान भारत और कनाडा के संबंध तनावपूर्ण रहे, विशेष रूप से खालिस्तानी समर्थकों के मुद्दे पर। हालांकि, मार्क कार्नी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले ही भारत के साथ संबंधों को पुनर्निर्मित करने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा है कि कनाडा समान विचारधारा वाले देशों के साथ अपने व्यापारिक संबंधों में विविधता लाना चाहता है, और भारत के साथ संबंधों को पुनः मजबूत करने के अवसर मौजूद हैं। कार्नी के नेतृत्व में, कनाडा की विदेश नीति और व्यापार पर अधिक ध्यान केंद्रित होने की संभावना है, जिससे भारत-कनाडा के मौजूदा तनावपूर्ण संबंधों में सुधार की उम्मीद है।

 

भारत के लिए खुशखबरी क्यों?

मार्क कार्नी का प्रधानमंत्री बनना भारत के लिए कई कारणों से शुभ संकेत है:

1. व्यापारिक संबंधों में सुधार: कार्नी ने भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने की इच्छा व्यक्त की है, जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ सकता है।


2. खालिस्तानी मुद्दे पर सख्ती: कार्नी की नेतृत्व शैली और आर्थिक फोकस के कारण, यह संभावना है कि वे कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों के प्रभाव को कम करने के लिए कदम उठाएंगे, जिससे भारत-कनाडा संबंधों में सुधार होगा।


3. आर्थिक विशेषज्ञता: कार्नी की आर्थिक विशेषज्ञता और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में उनके अनुभव से भारत-कनाडा के बीच आर्थिक साझेदारी को नई दिशा मिल सकती है।


कुल मिलाकर, मार्क कार्नी का कनाडा के प्रधानमंत्री पद पर आसीन होना भारत के लिए सकारात्मक संकेत है। उनकी नेतृत्व क्षमता, आर्थिक समझ और भारत के साथ संबंध सुधारने की प्रतिबद्धता से दोनों देशों के बीच सहयोग के नए मार्ग खुल सकते हैं।

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