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ट्रंप प्रशासन के H-1B वीजा के बावजूद भारतीय टैलेंट का दबदबा, अमेरिकी कंपनियों के दो नए हिंदुस्तानी CEO

ट्रंप प्रशासन के H-1B वीजा के बावजूद भारतीय टैलेंट का दबदबा, अमेरिकी कंपनियों के दो नए हिंदुस्तानी CEO

डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के नेतृत्व वाला ट्रंप प्रशासन (Trump Administration) एच-1बी वीजा (H-1B visa) नियमों को कड़ा कर रहा है, जबकि अमेरिका राजनीति (US Politics) में एच-1बी वीजा (H-1B visa) को लेकर तीखी बहस जारी है। वहीं डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने H-1B वीजा की फीस (H-1B visa fees) बढ़ा दी है, जिससे भारतीय टैलेंट के लिए अमेरिका में काम करना थोड़ा मुश्किल हो गया है। इसके अलावा अमेरिका की बड़ी कंपनियां अपने यहां भारतीयों को प्रमुख पदों पर रख रही हैं। इस कड़ी में दो बड़े नाम यानी श्रीनिवास गोपालन (Srinivas Gopalan) और राहुल गोयल (Rahul Goyal) ने महत्वपूर्ण पदों पर पदोन्नति पाकर ट्रंप प्रशासन (Trump Administration) को एक संदेश दिया है कि परफॉर्मेंस के मामले में अमेरिकी कंपनियां किसी भी गैर जरूरी दबाव को स्वीकार नहीं करेंगी।


एच-1बी वीजा (H-1B visa) पर बढ़ती सख्ती के बावजूद अमेरिका में भारतीयों का दबदबा कम नहीं हुआ है। डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा H-1B वीजा की फीस (H-1B visa fees) बढ़ाए जाने के बावजूद, ट्रंप प्रशासन के कड़े नियमों के बीच भी भारतीय टैलेंट अमेरिका की बड़ी कंपनियों में अपनी जगह बना रहे हैं। इस मामले में श्रीनिवास गोपालन (Srinivas Gopalan) का नाम सबसे आगे आता है।


श्रीनिवास गोपालन- टी-मोबाइल के नए CEO


बता दें कि 55 साल के श्रीनिवास गोपालन (Srinivas Gopalan), जो आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व छात्र हैं, फिलहाल अमेरिका की टेलीकॉम कंपनी टी-मोबाइल में मुख्य परिचालन अधिकारी (COO) हैं। वहीं हाल ही उन्हें 1 नवंबर से टी-मोबाइल का नया CEO नियुक्त किया गया है। इसी के साथ श्रीनिवास गोपालन (Srinivas Gopalan) की इस प्रमोशन को इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि यह ट्रंप प्रशासन के एच-1बी वीजा (H-1B visa) नियमों की सख्ती के बीच आया है। डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के दौर में बढ़ाई गई H-1B वीजा की फीस (H-1B visa fees) के बावजूद श्रीनिवास गोपालन (Srinivas Gopalan) ने अपने करियर में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। जानकारी के अनुसार श्रीनिवास गोपालन ने अपने करियर की शुरुआत हिंदुस्तान यूनिलीवर में मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में की थी। इसके बाद उन्होंने भारती एयरटेल, वोडाफोन, कैपिटल वन और डॉयचे टेलीकॉम जैसी बड़ी कंपनियों में काम किया। टी-मोबाइल में उन्होंने टेक्नोलॉजी, कन्ज्यूमर और बिजनेस डिवीजन संभाले और 5G, AI समेत डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की भी देखरेख की। ये सभी उपलब्धियां डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा लागू किए गए H-1B वीजा की फीस (H-1B visa fees) बढ़ोतरी और कड़े नियमों के बावजूद आई हैं।


राहुल गोयल- मोल्सन कूर्स के नए CEO


वहीं डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के ट्रंप प्रशासन की एच-1बी वीजा (H-1B visa) नीति के बीच अब राहुल गोयल (Rahul Goyal) को भी बड़ी जिम्मेदारी मिली है। शिकागो बेस्ड बेवरेज कंपनी मोल्सन कूर्स ने 49 वर्षीय राहुल गोयल को 1 अक्टूबर से अपना नया प्रेसिडेंट और CEO बनाया है। बता दें कि राहुल गोयल (Rahul Goyal) मूल रूप से भारत के मैसूर के रहने वाले हैं। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद बिजनेस के लिए अमेरिका चले गए। राहुल गोयल ने अमेरिका, ब्रिटेन और भारत में कई कंपनियों के लिए काम किया है। डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के समय में H-1B वीजा की फीस (H-1B visa fees) बढ़ाई गई, लेकिन इसने राहुल गोयल (Rahul Goyal) जैसे प्रतिभाओं को अमेरिका में सफल होने से नहीं रोका ।


अमेरिका राजनीति और एच-1बी वीजा

बता दें कि हाल ही के दिनों में अमेरिका राजनीति (US politics) में एच-1बी वीजा (H-1B visa) को लेकर लगातार बहस होती रही है। डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के ट्रंप प्रशासन (Trump Administration) ने एच-1बी वीजा नियमों को कड़ा करके H-1B वीजा की फीस (H-1B visa fees) में इजाफा किया है। इसका उद्देश्य अमेरिकी श्रमिकों को प्राथमिकता देना बताया गया, लेकिन इसका प्रभाव भारतीय टैलेंट पर भी पड़ा है। फिर भी, श्रीनिवास गोपालन (Srinivas Gopalan) और राहुल गोयल (Rahul Goyal) जैसे भारतीय मूल के नेता अमेरिका की बड़ी कंपनियों में ऊंचे पदों पर पहुंच रहे हैं, जो यह दिखाता है कि परफॉर्मेंस और कौशल को दबाया नहीं जा सकता ।

 

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