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उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू बना एक यादगार कदम

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू बना एक यादगार कदम

उत्तराखंड सरकार ने राज्य में समान नागरिक संहिता यानी (Uniform Civil Code, UCC) लागू करने का ऐलान किया है, जो देशभर में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। 27 जनवरी को UCC लागू करने की तारीख पहले ही तय कर ली गयी थी। पुष्कर सिंह धामी ने पोर्टल लांच करते हुए कहा की यह आज का दिन सिर्फ उत्तराखंड के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक है। यह कदम राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।

 

आखिर क्या है समान नागरिक संहिता 

 

समान नागरिक संहिता का उद्देश्य देश में सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करना है, चाहे उनका धर्म, जाति या लिंग कुछ भी हो। प्रेजेंट में, भारत में शादी, तलाक, संपत्ति और गोद लेने जैसे व्यक्तिगत कानून अलग-अलग धर्मों के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं। समान नागरिक संहिता इन विविधताओं को खत्म कर एक समान कानूनी ढांचा तैयार करता है। और यह कानून भारत के नागरिको पर धर्म और लिंग रुझान के बावजूद लागू होते है। गोवा में एक समान पारिवारिक कानून है, इस प्रकार यह एकमात्र भारतीय राज्य है, जहां समान नागरिक संहिता है और 1954 का विशेष विवाह अधिनियम किसी भी नागरिक को किसी विशेष धार्मिक व्यक्तिगत कानून के दायरे से बाहर शादी करने की अनुमति देता है।

 

उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बोले 


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे राज्य में सामाजिक समानता और न्याय की दिशा में बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत लिया गया है, जिसमें राज्य को समान नागरिक संहिता लागू करने का प्रावधान है। धामी सरकार ने इस निर्णय को लेकर व्यापक जनसंवाद किया और एक विशेषज्ञ समिति बनाई, जिसने एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की।

 

कब बनी यह समिति 


मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना देसाई की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई। इस समिति ने अलग अलग वर्गों, समुदायों और विशेषज्ञों से चर्चा कर सिफारिशें दीं।सरकार ने विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधियों और संगठनों से व्यापक संवाद किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्णय में सभी की भागीदारी हो।समिति की सिफारिशों के आधार पर सरकार ने समान नागरिक संहिता की युक्ति को तैयार किया।

 

उत्तराखंड में UCC लागू के बाद का माहौल

 

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने के फैसले का स्वागत और विरोध दोनों देखने को मिला है।
कई लोगों का मानना है कि यह कदम महिलाओं को सशक्त बनाएगा और समाज मेंजेंडर इक्वलिटी लाएगा। यह विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच एकता और न्याय का मार्ग विस्तृत करेगा। यह निर्णय सभी को समान अधिकार और अवसर देने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है,और कुछ लोगों ने इसे उनकी धार्मिक स्वतंत्रता में दखल देना बताया और इसका विरोध करा । उनका मानना है कि यह उनकी परंपराओं और संस्कृति पर सीधा प्रभाव डाल सकता है।

 

उत्तराखंड में UCC लागू से क्या क्या बदलेगा


आइये अब जानिए समान नागरिक संहिता लागु होने से उत्तराखंड क्या क्या बदलेगा समान नागरिक संहिता महिलाओं को तलाक, संपत्ति और गोद लेने जैसे मुद्दों में समान अधिकार प्रदान करेगी।यह सभी धर्मों के लोगों के लिए समान कानून लागू करेगा, जिससे सामाजिक भेदभाव कम होगा।और कानूनी प्रक्रियाओं में सुधार भी देखने मिलेगा एकल कानून होने से कानूनी प्रक्रियाएं सरल और तेज हो जाएंगी।

 

उत्तराखंड में UCC लागू करना एक साहसिक कदम है, लेकिन इसे लागू करने में कई चुनौतियां हैं जैसे अलग-अलग समुदायों की परंपराओं का सम्मान बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होगी।
सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि यह कानून सभी वर्गों तक समान रूप से पहुंचे।

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