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जगदीप धनखड़ का सांसद से उपराष्ट्रपति तक का राजनीतिक सफर कैसा था ?

जगदीप धनखड़ का सांसद से उपराष्ट्रपति तक का राजनीतिक सफर कैसा था ?

देश के उपराष्‍ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्‍तीफे के फैसले ने सबको हैरान कर दिया है। इस्तीफा पत्र में उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया। पक्ष और विपक्ष दोनों ही उनके राजनीतिक सफर को याद कर रहे हैं और उनकी तारीफ कर रहे हैं। धनकड़ जी ने 11 अगस्त 2022 को उपराष्ट्रपति की शपथ ली थी, और उनका कार्यकाल अगस्त 2027 तक था।

 

उपराष्‍ट्रपति जगदीप धनखड़ जी का एक किसान परिवार से निकलकर भारत के 14वें उपराष्ट्रपति बनने तक का उनका सफर प्रेरणादायक और दिलचस्प रहा है। जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनूं जिले के किठाना गाँव में हुआ। वह एक साधारण किसान परिवार से आते हैं। लेकिन शिक्षा के प्रति उनकी लगन ने उन्हें ऊँचाइयों तक पहुँचाया। उन्होंने गांव के सरकारी प्राथमिक स्कूल से प्राप्त की थी। साइंस में स्नातक और फिर राजस्थान विश्वविद्यालय से कानून (LLB) की पढ़ाई पूरी की। फिर वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में रहे।

 

जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने अपनी राजनीति की शुरुआत जनता दल पार्टी से की थी। 1989 में झुंझुनू से 9वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए और 1990 में संसदीय कार्य राज्य मंत्री बने। 1989 से 1991 तक वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में उन्हें केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया था। बाद में कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और अजमेर के किशनगढ से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर 1993 में चुनाव लड़ा और विधायक बने। 1993 में, वो अजमेर जिले के किशनगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से राजस्थान विधानसभा के लिए चुने गए। 2003 में उन्होंने भाजपा में शामिल होने का फैसला लिया।


तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 30 जुलाई 2019 को जगदीप धनखड़ को पश्चिम बंगाल का 28वां राज्यपाल नियुक्त किया था। 18 जुलाई 2022 तक सेवा दी। जिसके बाद से वे उपराष्ट्रपति पद के लिए चुने जाने तक उस पद पर बने रहे।


वे ओबीसी समुदाय, विशेषकर राजस्थान के जाट समुदाय को ओबीसी आरक्षण दिलाने के मुद्दे को लेकर हमेशा एक्टिव रहे। वे चार दशकों से भी ज्यादा समय से सार्वजनिक जीवन में रहे हैं।

 

जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए लिखा, "यह मेरे लिए सम्मान की बात रही कि मैंने भारत की अभूतपूर्व प्रगति और आर्थिक विकास के इस परिवर्तनकारी दौर में योगदान दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा है , मैंने अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है।"

 

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