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विदेशी आक्रांता और क्रूरतम शासक औरंगजेब का इतिहास

विदेशी आक्रांता और क्रूरतम शासक औरंगजेब का इतिहास

 

14 फरवरी को छावा मूवी के रिलीज होने के बाद महाराष्ट्र के नागपुर में औरंगजेब की कब्र को हटाने का विरोध जोरों से चल रहा है। मूवी में औरंगजेब की क्रूरता की सच्चाई दिखाई गई। इतिहासकारों के अनुसार, शिवाजी के पुत्र संभाजी महाराज को 40 दिनों तक कैद में रखकर उनके पार्थिव शरीर के टुकड़े कर पुणे के भीमा नदी में फेंकवा दिया। औरंगजेब की कब्र को हटाने में कई हिंदूवादी संगठन एवं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी समर्थन कर चुके हैं। नागपुर में यह विरोध शिवाजी के जन्मदिन 17 मार्च को हिंसक रूप धारण कर लिया है। हिंदू-मुस्लिम में विवाद बढ़ता चला जा रहा है। आइए, थोड़ा इतिहास के पन्नों को पलटते हैं ।

 

कौन था औरंगजेब ?

विवादों और षड्यंत्रों के बीच एक जीवित दास्तान की तरह औरंगजेब की शख्सियत ने इतिहास को आकार दिया। उसका जन्म 3 नवंबर 1618 को दाहोद, गुजरात में हुआ था। उसका असली नाम मुहिउद्दीन मोहम्मद था। वह शाहजहाँ और मुमताज महल की छठी संतान और तीसरा बेटा था। वह अकबर के बाद भारत पर सबसे अधिक समय तक शासन करने वाला छठा मुगल शासक था। औरंगजेब ने भारत पर लगभग आधी सदी तक शासन किया। उसका शासन 1658 से लेकर 1707 तक चला। हालांकि, मराठों की वजह से वह पूरे भारत पर शासन करने में सफल नहीं हो सका।

26 फरवरी 1628 को जब शाहजहाँ को मुगल सम्राट घोषित किया गया, तब औरंगजेब अपने माता-पिता के साथ दाहोद (गुजरात) से आगरा (उत्तर प्रदेश) किले में वापस लौट आया। यहीं पर उसने अरबी और फारसी की औपचारिक शिक्षा प्राप्त की। औरंगजेब की मृत्यु 3 मार्च 1707 में 88 वर्ष की आयु में हुई। उसके बाद उसके बेटे आजम शाह और बेटी जीनत-उन-निसा ने उसे महाराष्ट्र के औरंगाबाद (संभाजी नगर) जिले में स्थित खुल्दाबाद में दफनाया, क्योंकि औरंगजेब की इच्छा थी कि उसे उसी स्थान पर दफनाया जाए जहाँ उसकी मृत्यु हुई थी।

 

 

विदेशी आक्रांता और क्रूरतम शासक औरंगजेब का इतिहास

औरंगजेब की क्रूरता और सत्ता का पतन 

1657 में जब औरंगजेब के पिता शाहजहाँ बीमार हुए, तो उनके बेटों को उसका अंत निकट लग रहा था। ऐसे में दारा शिकोह, शाह शुजा और औरंगजेब के बीच में सत्ता को पाने का संघर्ष आरंभ हुआ। 1658 में औरंगजेब ने शाहजहाँ को आगरा किले में बंदी बना लिया और स्वयं को शासक घोषित किया। औरंगजेब की क्रूरता ने अपने परिवार के लोगों को भी नहीं छोड़ा।

इतिहासकारों के अनुसार, औरंगजेब ने अपने ही भाई दारा शिकोह का सिर कटवाकर उसके धड़ को दिल्ली की सड़कों पर घुमवाया था और कटा हुआ सिर अपने ही पिता शाहजहाँ को एक तश्तरी में सजाकर गिफ्ट करवाया था। औरंगजेब ने दक्षिण में बीजापुर और गोलकुंडा को पराजित कर दिया था, पर छत्रपती शिवाजी महाराज की मराठा सेना ने उसके नाक में दम कर दिया। शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद भी मराठे औरंगजेब को युद्ध के लिए ललकारते रहे।

औरंगजेब के अंतिम समय में दक्षिण में मराठों का जोर बहुत बढ़ गया था। उन्हें दबाने में शाही सेना को सफलता नहीं मिल रही थी। इसलिए सन 1683 में औरंगजेब स्वयं सेना लेकर दक्षिण गया। औरंगजेब ने 49 वर्षों तक हिंदुस्तान में राज किया। शिवाजी के पुत्र संभाजी के शरीर के कई टुकड़े करके पुणे के पास भीमा नदी में फेंकवा दिया था। संभाजी की पत्नी और 6 वर्ष के पुत्र शाहू जी महाराज को बंदी बनवा दिया। और जब शाहू जी महाराज 25 साल के हो गए, तो उन्हें रिहा कर दिया।

औरंगजेब के शासनकाल के अंतिम वर्षों में, मराठों ने मुगल साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह कर दिया, जिससे साम्राज्य की शक्ति कमजोर होने लगी। औरंगजेब के शासनकाल के अंत में, मुगल साम्राज्य पतन की ओर बढ़ गया, जिसकी मुख्य वजहें थीं - मराठा विद्रोह, धार्मिक नीतियों से उत्पन्न असंतोष, औरंगजेब की कठोर दक्कन नीति, और कमजोर उत्तराधिकारियों की कमी। औरंगजेब की धार्मिक नीतियां, जैसे कि जजिया कर लगाना और मंदिरों को तोड़ना, ने हिंदुओं में असंतोष पैदा किया, जिससे औरंगजेब के साम्राज्य के भीतर और बाहर विरोध बढ़ गया।

 

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