
ट्रंप के 100% टैरिफ खतरे पर चीन का पलटवार: "हम युद्ध में शामिल नहीं होते
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Chhavi
- September 14, 2025
अमेरिका और चीन आमने-सामने
अमेरिका और चीन के बीच तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में चीन पर 50 से लेकर ट्रंप 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी है। उन्होंने कहा कि जब तक चीन रूस से तेल खरीदना बंद नहीं करेगा, तब तक यह कदम जारी रहेगा। इस बयान से नया अमेरिका चीन टैरिफ विवाद खड़ा हो गया है। ट्रंप का आरोप है कि चीन रूस की "युद्ध मशीन" को ताकत दे रहा है, इसलिए उस पर आर्थिक दबाव ज़रूरी है। उन्होंने यहां तक कहा कि नाटो देश भी रूस से तेल खरीदकर गलती कर रहे हैं और उनकी यह नीति रूस को और मजबूत बना रही है। यह फैसला सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं है बल्कि इसे सीधा US China trade war की ओर बढ़ता कदम माना जा रहा है। अमेरिका का कहना है कि प्रतिबंध और टैरिफ रूस को कमजोर करेंगे, जबकि चीन का मानना है कि यह कदम दुनिया में अस्थिरता को और बढ़ाएगा। ऐसे में यह टकराव दोनों देशों को नए आर्थिक संघर्ष में खड़ा कर सकता है।
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि चीन का पलटवार साफ है कि बीजिंग न युद्ध करता है और न उसमें शामिल होता है। उनका कहना है कि चीन हमेशा शांति वार्ता और राजनीतिक समाधान को बढ़ावा देता है। वांग यी ने स्लोवेनिया में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है और प्रतिबंध हालात को और जटिल बना देते हैं। चीन ने अमेरिका को संदेश दिया है कि टकराव की राह अपनाने के बजाय बातचीत और कूटनीति पर जोर दिया जाना चाहिए।
चीन-यूरोप रिश्ते और बढ़ता वैश्विक संकट
वांग यी ने यूरोप को भी संदेश दिया कि चीन और यूरोप को दोस्ती और सहयोग की राह अपनानी चाहिए, न कि प्रतिस्पर्धा और टकराव की। उन्होंने कहा कि मौजूदा अंतरराष्ट्रीय हालात कई तरह के संघर्ष और अस्थिरता से घिरे हुए हैं, इसलिए शांति और सहयोग ही समाधान है। उन्होंने जोर दिया कि चीन का रिकॉर्ड शांति और सुरक्षा के मामलों में सबसे बेहतर है। उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका चीन टैरिफ विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है और US China trade war की आशंका गहरी हो रही है।
ट्रंप की ओर से लगाया गया ट्रंप 100% टैरिफ सिर्फ आर्थिक दबाव नहीं बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी है। उन्होंने भारत समेत कई देशों पर भी इस तरह के कदम उठाए हैं। हालांकि चीन का कहना है कि यह सब केवल दबाव बनाने की रणनीति है और दुनिया को एक नए संकट की ओर ले जा रहा है। बीजिंग का मानना है कि अगर अमेरिका टकराव की राह छोड़कर बातचीत का रास्ता चुने तो इससे न सिर्फ रूस-यूक्रेन संघर्ष कम हो सकता है बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी स्थिरता मिलेगी। ऐसे में चीन का पलटवार न सिर्फ ट्रंप की नीति का जवाब है बल्कि यह संकेत भी है कि एशिया और यूरोप को मिलकर शांति और संवाद को बढ़ावा देना होगा। फिलहाल दुनिया की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या अमेरिका अपनी आक्रामक नीति पर कायम रहेगा या फिर हालात को संभालने के लिए कोई नरम रुख अपनाएगा।
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