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Banke Bihariji 12 February Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन, माघ माह की पूर्णिमा तिथि

Banke Bihariji 12 February Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन, माघ माह की पूर्णिमा तिथि

Banke Bihariji 12 February Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन। माघ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि आज यानी 12 फरवरी को है। इस तिथि पर माघ पूर्णिमा (Magh Purnima 2025) का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना और पवित्र नदी में स्नान और दान करने का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि पवित्र नदी में स्नान करने से सभी पापों से छुटकारा मिलता है। माघ पूर्णिमा पर कई शुभ योग बन रहे हैं।

 

आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 12 February 2025)

सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 02 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 09 मिनट पर
चंद्रोदय- शाम 05 बजकर 59 मिनट पर
चंद्रास्त- कोई नहीं
वार - बुधवार
ऋतु - शिशिर

 

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शुभ समय (Today Shubh Muhurat)

ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 05 बजकर 19 मिनट से 06 बजकर 10 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 07 मिनट से शाम 06 बजकर 32 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं
अमृत काल - शाम 05 बजकर 55 मिनट से रात 07 बजकर 35 मिनट तक

 

अशुभ समय

राहुकाल - दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से 01 बजकर 59 मिनट तक
गुलिक काल -सुबह 11 बजकर 12 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक
दिशा शूल - उत्तर

 

नक्षत्र के लिए उत्तम ताराबल -अश्विनी, भरणी, रोहिणी, आर्द्रा, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद, रेवती

 

राशि के लिए उत्तम चन्द्रबलम - वृषभ, कर्क, कन्या, तुला, मकर, कुम्भ

 

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भगवान विष्णु के मंत्र

  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
  • ॐ नमो नारायणाय
  • ॐ विष्णवे नमः
  • ॐ हूं विष्णवे नमः
  • ॐ अं वासुदेवाय नमः
  • ॐ आं संकर्षणाय नमः
  • ॐ अं प्रद्युम्नाय नमः
  • ॐ अ: अनिरुद्धाय नमः

 

निधिवन में प्रकट हुए बांके बिहारी जी

संत हरिदास जी निधिवन में अपनी बांसुरी और स्वर माधुर्य से राधा-कृष्ण की लीलाओं का गान करते थे। कहा जाता है कि एक दिन जब वे भक्ति और प्रेम में डूबकर भजन गा रहे थे, तो राधा-कृष्ण उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं उनके सामने प्रकट हुए। संत हरिदास जी ने जब भगवान का यह दिव्य रूप देखा, तो उनसे प्रार्थना की कि वे एक रूप में प्रकट होकर हमेशा भक्तों के बीच रहें। उनकी प्रार्थना पर भगवान राधा-कृष्ण ने एक दिव्य मूर्ति का रूप धारण किया। यह मूर्ति बांके बिहारी जी के नाम से प्रसिद्ध हुई।

 

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