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Banke Bihariji 08 January Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन, पौष माह के शुक्ल पक्ष की नवमी और दशमी तिथि

Banke Bihariji 08 January Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन, पौष माह के शुक्ल पक्ष की नवमी और दशमी तिथि

Banke Bihariji 08 January Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन। हिन्दू पंचांग के अनुसार आज यानी बुधवार 08 जनवरी को पौष माह के शुक्ल पक्ष की नवमी और दशमी तिथि है। बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इसलिए सुबह से मंदिरों में भगवान गणेश की पूजा की जा रही है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रत रखा जा रहा है। इस व्रत को करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। पौष माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर सिद्ध एवं साध्य योग का संयोग बन रहा है। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आएगी।

 

आज का पंचांग (Panchang 08 January 2025)

सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 15 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 41 मिनट पर
चंद्रोदय- दोपहर 12 बजकर 41 मिनट पर
चंद्रास्त- देर रात 02 बजकर 30 मिनट पर

 

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शुभ समय

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 26 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 12 मिनट से 02 बजकर 54 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 38 मिनट से 06 बजकर 05 मिनट तक

 

अशुभ समय

राहुकाल - दोपहर 12 बजकर 38 मिनट से 01 बजकर 46 मिनट तक
गुलिक काल - सुबह 11 बजकर 10 मिनट से 12 बजकर 28 मिनट तक
दिशा शूल - उत्तर

 

ताराबल

अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, मृगशिरा, पुनर्वसु, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती

 

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चन्द्रबल

मेष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, कुंभ

 

इन मंत्रों का करें जप

1. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

 

2. गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

 

3. ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥

 

4. दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥

 

5. ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥

 

निधिवन में प्रकट हुए बांके बिहारी जी

संत हरिदास जी निधिवन में अपनी बांसुरी और स्वर माधुर्य से राधा-कृष्ण की लीलाओं का गान करते थे। कहा जाता है कि एक दिन जब वे भक्ति और प्रेम में डूबकर भजन गा रहे थे, तो राधा-कृष्ण उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं उनके सामने प्रकट हुए। संत हरिदास जी ने जब भगवान का यह दिव्य रूप देखा, तो उनसे प्रार्थना की कि वे एक रूप में प्रकट होकर हमेशा भक्तों के बीच रहें। उनकी प्रार्थना पर भगवान राधा-कृष्ण ने एक दिव्य मूर्ति का रूप धारण किया। यह मूर्ति बांके बिहारी जी के नाम से प्रसिद्ध हुई।

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