
अमित शाह बोले- अंग्रेज़ी पर शर्म आएगी, राहुल ने कहा- यही तो ताकत है!
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Chhavi
- June 20, 2025
भाषा को लेकर देश की राजनीती में नया मोड़ आ गया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के हालिया बयान पर कांग्रेस संसद राहुल गाँधी ने तीखा पलटवार किया है। दरअसल, अमित शाह ने एक कार्यक्रम में कहा था की आने वाले समय में अंग्रेजी बोलने वाले खुद शर्मिंदा महसूस करेंगे क्योंकि हमारी भारतीय भाषा ही असली पहचान है। अब इसी बयान को लेकर राहुल गाँधी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म x पर सरकार को घेरते हुए बड़ा बयान दे दिया है। राहुल गाँधी ने कहा "अंग्रेजी कोई जंजीर नहीं, बल्कि जंजीर तोड़ने का औजार है। ये शर्म नहीं शक्ति है। उन्होंने ने RSS और BJP पर आरोप लगाया की वे नहीं चाहते की गरीब बच्चा अंग्रेजी सीखे, क्योंकि उन्हें दर है की वही बच्चा बड़े होकर उनसे सवाल जवाब पूछेगा और उनके बराबरी की बात करेगा और आगे बढ़ेगा।
अंग्रेज़ी बाँध नहीं, पुल है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 20, 2025
अंग्रेज़ी शर्म नहीं, शक्ति है।
अंग्रेज़ी ज़ंजीर नहीं - ज़ंजीरें तोड़ने का औज़ार है।
BJP-RSS नहीं चाहते कि भारत का ग़रीब बच्चा अंग्रेज़ी सीखे - क्योंकि वो नहीं चाहते कि आप सवाल पूछें, आगे बढ़ें, बराबरी करें।
आज की दुनिया में, अंग्रेज़ी उतनी ही ज़रूरी… pic.twitter.com/VUjinqD91s
राहुल गांधी ने अपने पोस्ट के साथ एक वीडियो भी शेयर किया जिसमें वह कहते हैं कि अगर कोई अंग्रेजी सीख जाए, तो वह दुनिया के किसी भी कोने में काम कर सकता है। उन्होंने कहा, “जो लोग अंग्रेजी के खिलाफ हैं, वे नहीं चाहते कि आपको करोड़ों की नौकरी मिले। वे चाहते हैं कि दरवाजा आपके लिए बंद रहे।”उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत की हर भाषा में आत्मा और संस्कृति है, और उन्हें संजोना जरूरी है, लेकिन साथ ही हर बच्चे को अंग्रेजी भी सिखाना जरूरी है, क्योंकि यही भाषा रोजगार दिलाएगी और आत्मविश्वास बढ़ाएगी। उधर, गृहमंत्री अमित शाह ने अपने बयान में कहा था कि जल्द ऐसा वक्त आएगा जब अंग्रेजी बोलने वाले खुद शर्मिंदा होंगे। उन्होंने कहा कि किसी विदेशी भाषा में आप अपनी संस्कृति, धर्म और इतिहास नहीं समझ सकते। हमारी भारतीय भाषाएं हमारी असली पहचान हैं और 2047 तक भारत के विश्वगुरु बनने में इन भाषाओं की बड़ी भूमिका होगी। ये बयान उन्होंने पूर्व IAS अधिकारी आशुतोष अग्निहोत्री की किताब के विमोचन कार्यक्रम के दौरान दिए। अब इस मुद्दे पर सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों तक बहस तेज हो गई है। एक तरफ ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ के दौर में ग्लोबल स्किल्स की मांग है, वहीं दूसरी तरफ भाषाई अस्मिता की आवाज भी बुलंद हो रही है।
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