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Supreme Court : नागरिकता कानून पर बड़ा फैसला, धारा 6A को बताया संवैधानिक रूप से सही

Supreme Court : नागरिकता कानून पर बड़ा फैसला, धारा 6A को बताया संवैधानिक रूप से सही

Supreme Court : देश में लागू नागरिकता संशोधन एक्ट 2019 की धारा 6ए को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने बड़ा फैसला दिया है। 5 जजों की संवैधानिक पीठ (Constitutional Bench) ने यह महत्वपूर्ण फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने असम समझौते (Assam Accord 1985) को आगे बढ़ाने के लिए 1985 में किए संशोधन के माध्यम से नागरिकता अधिनियम की धारा 6A की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखने का फैसला सुनाया है। इसके साथ ही बांग्लादेशी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता (Indian Citizenship) मिलने को लेकर असमंजस खत्म हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के मुताबिक 1 जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 तक ईस्ट पाकिस्तान जो कि अब बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है, से असम आए लोगों की नागरिकता बरकरार रहेगी। जबकि उसके बाद भारत आए लोगों को अवैध नागरिक माना जाएगा।

 

जस्टिस पारदीवाला ने फैसले से जताई असहमति

जानकारी के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud), जस्टिस सूर्यकांत, एमएम सुंदरेश और मनोज मिश्रा ने बहुमत से फैसला सुनाया है, जबकि जस्टिस जेबी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) ने फैसले से अपनी असहमति जताई। दरअसल धारा 6A (Section 6A) को 1985 में असम समझौते में शामिल किया गया था। इसका उद्देश्य बांग्लादेश से अवैध रूप से आए उन अप्रवासियों को भी नागरिकता देना था, जो 1 जनवरी, 1966 के भारत-चीन युद्ध (India-China War 1966) और 25 मार्च, 1971 के भारत-पाक युद्ध (India-Pakistan War 1971) के बीच असम में आकर बस गए थे।

 

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सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने 4:1 के बहुमत से दिया फैसला

CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि बहुमत का फैसला है कि नागरिकता कानून की धारा 6A संवैधानिक रूप से सही है। वहीं जस्टिस पारदीवाला ने कानून में संशोधन को गलत ठहराया। जानकारी के अनुसार बहुमत ने संशोधन को सही कहा है। ऐसे में 1 जनवरी 1966 से 24 मार्च 1971 तक बांग्लादेश से असम आए लोगों की नागरिकता को खतरा नहीं होगा। बता दें 1985 के असम अकॉर्ड और नागरिकता कानून की धारा 6A को सुप्रीम कोर्ट ने 4:1 के बहुमत से सही बताया।

 

याचिकाकर्ता ने धारा 6ए को बताया था असंवैधानिक

गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 की धारा 6ए को लेकर एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी। इसमें याचिकाकर्ता की ओर से धारा 6ए को असंवैधानिक बताते हुए कहा गया था कि यह संविधान के अनुच्छेद 6 और 7 की तुलना में नागरिकता के लिए अलग-अलग तारीख तय करता है। इस पर सुप्रीम कोर्ट के जजों ने कहा कि हर नागरिक को अनिवार्य रूप से भारत के कानून और संविधान को मानना होगा और उनका पालन करना होगा। कोर्ट ने कहा कि नागरिकता देने से पहले निष्ठा की शपथ का स्पष्ट अभाव कानून का उल्लंघन नहीं हो सकता है। कोर्ट ने आगे कहा कि हम हस्तक्षेप करना नहीं चाहते हैं। S6A स्थायी रूप से संचालित नहीं होता है।

 

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सलमान खुर्शीद ने भी दी प्रतिक्रिया

वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस अहम फैसले पर वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने एक बयान में कहा कि 6ए ने असम के समझौते को प्रतिबिंबित करने के लिए जो कुछ भी किया, उसे इस अदालत के बहुमत ने बरकरार रखा है। इसलिए नागरिकता कानून की धारा 6ए के तहत असम समझौते के आधार पर जो भी अधिकार मान्यता प्राप्त थे, उन अधिकारों को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है।

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