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मैरिटल रेप मामले की आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, सरकार कर रही इसका विरोध

मैरिटल रेप मामले की आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, सरकार कर रही इसका विरोध

Marital Rape Case:  सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आज से मैरिटल रेप मामले (marital rape case) में सुनवाई करेगा। जिसमें वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा और जिसका सरकार विरोध भी कर चुकी है। और कहा कि- ऐसा कानून वैवाहिक संबंधों (marital relations) पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

 

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज
सुप्रीम कोर्ट गुरुवार (17 अक्टूबर) को इस प्रश्न पर सुनवाई शुरू करेगा जिसमें कि क्या किसी व्यक्ति को अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करने पर कानूनी सुरक्षा (legal protection) मिलनी चाहिए । यह जानकारी चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) , जस्टिस जेबी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) और जस्टिस मनोज मिश्रा (justice Manoj Mishra) की पीठ ने बुधवार को दी है ।

 

वैवाहिक बलात्कार मामलों पहले होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में वैवाहिक बलात्कार के मामलों (Marital rape cases) की सुनवाई सबसे पहले की जाएगी । वहीं कुछ वादियों की ओर से सीनियर एडवोकेट करुणा नंदी (Senior Advocate Karuna Nandi) ने दिन के अंत में पीठ के सामने इन याचिकाओं का उल्लेख किया था। क्योंकि दिन में इनका उल्लेख नहीं किया जा सका था। वहीं चीफ जस्टिस ने कहा कि -हम वैवाहिक बलात्कार के मामले की सुनवाई सबसे पहले करेंगे और कल से इसे शुरू करेंगे।

 

केंद्र को जारी किया था नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने 16 जनवरी 2023 को आईपीसी (Indian Penal Code) के उस प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा था। जो पत्नी के वयस्क होने की स्थिति में पति को जबरन यौन संबंध (sexual intercourse) बनाने पर कानूनी संरक्षण देता है। वहीं अदालत ने 17 मई को इस मुद्दे पर बीएनएस के प्रावधान को चुनौती देने वाली एक अन्य याचिका पर भी केंद्र को नोटिस जारी किया था। केंद्र का कहना है कि- इस मामले के कानूनी और सामाजिक निहितार्थ (legal and social implications) हैं।

 

याचिकाकर्ताओं का क्या है कहना?
याचिकाकर्ताओं (petitioners) का कहना है कि -शादी का मतलब यह नहीं है कि पति को अपनी पत्नी के साथ जबरदस्ती यौन संबंध बनाने का अधिकार मिल जाता है। वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार (Central Government) का कहना है कि- ऐसा कानून लाने से पति-पत्नी के रिश्ते में खटास आ जाएगी और यह कानून का दुरुपयोग भी हो सकता है। वहीं अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) इस मामले में क्या फैसला सुनाता है।

 

 

 

 

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