
Chitra Navratra 2025 : 30 मार्च से नवरात्रि , जानें कितने दिन मनाया जायेगा
-
Renuka
- March 12, 2025
Chitra Navratra 2025 : नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण उत्सव है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार हिंदू नववर्ष के पहले दिन चैत्र नवरात्रि आरंभ होती है। इसे शक्ति की पूजा और आध्यात्मिक साधना के लिए सर्वोत्तम समय माना जाता है। नवरात्रि का पर्व साल में चार बार मनाया जाता है। दो नवरात्रि गुप्त तरीके से और दो प्रत्यक्ष तरीके से मनाया जाता है। जिनमें चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। सनातन धर्म में चैत्र नवरात्रि का बहुत ही खास महत्व है। चैत्र नवरात्रि देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का पर्व है, जो हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होता है।
चैत्र माह का धार्मिक महत्व
नारद पुराण के अनुसार, चैत्र महीने में ब्रह्मा जी ने सृष्टि रचना की शुरुआत की थी। पौराणिक कथा के अनुसार, इस माह में भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ था। यह भी कथा है कि जब महिषासुर, जो रम्भासुर का पुत्र था, अत्यंत शक्तिशाली हो गया और उसने ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त कर लिया कि उसकी मृत्यु केवल एक स्त्री के हाथों ही हो सकती है। इस कारण, उसने तीनों लोकों पर अत्याचार शुरू कर दिया। देवताओं की प्रार्थना पर माता दुर्गा ने अपने नौ रूप प्रकट किए।

चैत्र नवरात्रि 2025 का प्रारम्भ और समापन तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 मार्च को शाम 04 बजकर 27 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं, तिथि का समापन 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट होगा। इस प्रकार चैत्र नवरात्र 30 मार्च से शुरू होंगे और अगले महीने यानी 07 अप्रैल को पर्व का समापन होगा। इस दिन प्रतिपदा तिथि पर (30 मार्च को) कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 13 मिनट से लेकर 10 बजकर 22 मिनट तक है।
घट स्थापना के नियम
चैत्र नवरात्रि में भक्त कलश स्थापना कर मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्र के पहले दिन शुभ मुहूर्त में पूरे विधि-विधान के साथ कलश की स्थापना करने से पूरे परिवार पर देवी मां का आशीर्वाद बना रहता है, जिससे सुख-समृद्धि और आरोग्य का वरदान मिलता है।
घट स्थापना के लिए हमेशा सोने, चांदी, तांबे या फिर मिट्टी से बने कलश का उपयोग करना चाहिए। इन्हें शुभ माना जाता है। लेकिन कभी भूल से भी लोहे या स्टील से बने कलश का उपयोग न करें, वरना इससे शुभ फल नहीं मिलता।

चैत्र नवरात्रि का महत्व
चैत्र नवरात्रि का पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है और आखिरी दिन राम नवमी के साथ समाप्त होता है। यह पर्व एक ओर धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का है, वहीं यह किसानों के लिए भी फसल की शुरुआत का प्रतीक होता है। नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं में शांति, शक्ति, और समृद्धि लाने का कार्य करते हैं।

चैत्र नवरात्रि के पहले दिन को महाराष्ट्र में लोग गुड़ी पड़वा का पर्व मनाते हैं। चैत्र नवरात्रि मां दुर्गा को समर्पित होती है। शक्ति की अवतार मां दुर्गा को कई रूपों में पूजा जाता है। मां दुर्गा को सनातन धर्म में शक्ति और भक्ति का प्रतीक कहा गया है। मान्यता है कि देवी दुर्गा की आराधना के ये नौ दिन आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। साधक नौ दिनों तक मां की पूजा करते हैं और सिद्धि और मोक्ष की प्रार्थना करते हैं। अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं आसानी से पूरी कर देती हैं। इसके साथ ही व्रत रखने से हमारे शरीर की शुद्धि होती है और मन में विचार भी अच्छे आते हैं। नौ दिनों के अंतिम दिन छोटी कन्याओं को देवी के रूप में पूजा जाता है और उन्हें भोजन और उपहार दिए जाते हैं। यह भक्तों की श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है।
ऐसी ही और रोचक जानकारियों के लिए The India Moves पर विजिट करें...
महत्वपूर्ण खबर
Categories
- देश (2140)
- अपराध (149)
- मनोरंजन (349)
- शहर और राज्य (339)
- दुनिया (880)
- खेल (386)
- धर्म - कर्म (651)
- व्यवसाय (183)
- राजनीति (568)
- हेल्थ (189)
- महिला जगत (56)
- राजस्थान (502)
- हरियाणा (62)
- मध्य प्रदेश (59)
- उत्तर प्रदेश (230)
- दिल्ली (263)
- महाराष्ट्र (176)
- बिहार (197)
- टेक्नोलॉजी (191)
- न्यूज़ (82)
- मौसम (110)
- शिक्षा (116)
- नुस्खे (84)
- राशिफल (382)
- वीडियो (1052)
- पंजाब (37)
- ट्रैवल (19)
- अन्य (57)
- जम्मू कश्मीर (85)
- उत्तराखंड (13)
- तेलंगाना (1)
- छत्तीसगढ (7)
- गुजरात (8)
- हिमाचल प्रदेश (1)
- पश्चिम बंगाल (9)
- असम (1)
- केरल (1)
- झारखंड (2)
- ओडिशा (0)
- त्योहार (19)
Vote / Poll
क्या राजस्थान मे बेरोजगारी का मुद्दा खत्म हो चुका है ..