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मिट्टी के करवे से चंद्रमा को क्यों दिया जाता है अर्घ्य

मिट्टी के करवे से चंद्रमा को क्यों दिया जाता है अर्घ्य

जयपुर : सुहाग संस्कृति परंपरा और अखंड सौभाग्य का प्रतीक पवित्र त्यौहार करवा चौथ, कहा जाता है कि करवा चौथ पर मिट्टी के करवे से महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं। आखिर क्या मान्यता है मिट्टी के करवे की और करवा चौथ पर महिलाएं मिट्टी के करवे से ही क्यों अर्घ्य देती है। इसके पीछे एक बड़ी मान्यता है।


मिट्टी के करवे से है सीता माता का संबंध
मिट्टी का करवा पंचतत्व का प्रतीक होता है। करवे को मिट्टी और पानी से मिलकर बनाया जाता है। करवे को भूमि और जल का प्रतीक माना जाता है। करवे को आकर देने के लिए धूप और हवा में रखकर सुखाया जाता है। जिसे कुम्हार जाति बड़ी लगन और मेहनत से तैयार करता है। कुम्हार जाती का पौराणिक काल से इतिहास रहा है। वही धार्मिक मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ पर मिट्टी के करवे का प्रयोग करना शुभ माना गया है। जिसका संबंध सीता माता से है। कहा जाता है कि जब माता सीता और माता द्रौपदी ने करवा चौथ का व्रत रखा तब उन्होंने चंद्रदेव को अर्घ्य चढ़ाने के लिए मिट्टी के कारवे का ही इस्तेमाल किया था। मिट्टी के करवे से अर्घ्य चढ़ाने की परम्परा इस लिए भी है। क्योंकि मिट्टी को शुद्ध माना जाता है। और यह पांच तत्वों मिट्टी, आकाश, जल, वायु, अग्नि का प्रतीक है। और इन्हीं पांच तत्वों से मानव शरीर बनता है। और चंद्रमा को मिट्टी के करवे से अर्घ्य चढ़ाने से दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। और पति-पत्नी के बीच संबंधो में मधुरता और प्रेम बना रहता है।


मिट्टी की जगह ले रहे धातु के करवे
आधुनिकता के युग में मिट्टी के करवे की जगह धातु से बने करवे ने ले ली, पहले मिट्टी के करवे का प्रयोग किया जाता था जो पंचतत्व को समन्वित करता था। और करवा चौथ पर मिट्टी के करवे से पानी पिलाकर पति-पत्नी अपने रिश्ते में परमात्मा को साक्षी बनाते थे। लेकिन आज हम हमारी परम्परा संस्कृती को भूलते जा रहे है ।

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