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हरियाणा विधानसभा चुनाव में इन सियासी परिवारों के उम्मीदवारों को लेकर भी रही चर्चा

हरियाणा विधानसभा चुनाव में इन सियासी परिवारों के उम्मीदवारों को लेकर भी रही चर्चा

Haryana Elections : हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों ने इस बार जहां सभी को चौंका दिया, वहीं इस बार उन परिवारों की भी चर्चा रही जिनका एक जमाने से हरियाणा की सियासत में सिक्का चल रहा है। इनमें कुछ परिवार जहां अपनी साख बचाने में कामयाब रहे, वहीं कई परिवारों से उतारे गए उम्मीदवारों को अपनी जमानत बचाने के भी लाले पड़ गए और वे चुनाव में चौथे, पांचवें या इससे भी निचले पायदान पर जाकर सिमट गए।

 

हरियाणा के चर्चित सियासी परिवारों में दिलचस्प रहा मुकाबला

राज्य की सियासत में पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल का परिवार सबसे बड़ा सियासी परिवार है। इस चुनाव में देवीलाल के कुनबे के आधा दर्जन से ज्यादा सदस्य चुनावी मैदान में थे, लेकिन इनमें से केवल 2 चेहरों को ही जीत का स्वाद चखने का मौका मिला। इसी तरह हरियाणा के चाणक्य कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के परिवार के 2 सदस्य इस बार मैदान में थे। इनमें से एक को जीत मिली, तो एक को हार का सामना करना पड़ा। एक और पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के गढ़ में पारिवारिक लड़ाई में उनकी पोती को जीत मिली, तो पोता चुनाव हार गया। इसके अलावा हुड्डा परिवार, सुरजेवाला परिवार, जिंदल परिवार, बिरेंद्र राव परिवार के वंशज अपनी सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रहे।

 

ताऊ देवीलाल के परिवार के सदस्यों ने 5 सीटों पर लड़ा चुनाव, कहीं मिली जीत, कहीं मिली हार

देश के पूर्व उप-प्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल के परिवार के 8 सदस्य 5 अलग-अलग सीटों पर चुनावी मैदान में उतरे थे। इन सीटों में डबवाली, उचाना कलां, ऐलनाबाद, रानिया और फतेहबाद सीटें शामिल हैं। इनमें से केवल डबवाली और रानिया में ही परिवार के सदस्यों को जीत मिली और दोनों प्रत्याशियों ने अपने ही परिवार के सदस्यों को हराकर ये जीत हासिल की।

 

सिरसा जिले की डबवाली सीट पर भी मुकाबला देवीलाल के कुनबे के 3 सदस्यों में हुआ। इनके अलावा यहां कांग्रेस से अमित सिहाग, इनेलो से आदित्य देवीलाल और जजपा से दिग्विजय चौटाला प्रत्याशी थे। इनमें से इनेलो के आदित्य देवीलाल चुनाव जीते। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार अमित सिहाग को हराया। खास बात यह है कि अमित सिहाग भी देवीलाल के कुनबे से आते हैं। अन्य सियासी परिवारों में जजपा के टिकट पर दिग्विजय चौटाला तीसरे स्थान पर खिसक गए, वे ओम प्रकाश चौटाला के पोते हैं।

सिरसा जिले की एक अन्य सीट रानियां पर भी चुनावी जंग भी देवीलाल परिवार में हुई। रनिया से देवीलाल के पड़पोते और पार्टी के वरिष्ठ नेता अभय सिंह चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला को जीत मिली है। इनेलो उम्मीदवार अर्जुन ने कांग्रेस के सर्व मित्र को 4 हजार 191 वोटों से हराया। वहीं निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरे देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला तीसरे पायदान पर रहे। यानी रानियां में दादा-पोता आमने-सामने रहे।

 

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ऐलनाबाद सीट पर पहली बार हारे अभय चौटाला
हरियाणा में विधानसभा चुनाव में ऐलनाबाद प्रदेश की कुछ खास सीटों में शुमार रही। 4 बार के विधायक और देवीलाल के पोते इनेलो के अभय सिंह चौटाला इस सीट पर पहली बार चुनाव हार गए। अभय अपने चिर प्रतिद्वंद्वी पूर्व विधायक भरत सिंह बेनीवाल से 15,000 मत से हार गए।

 

दुष्यंत चौटाला खुद चुनाव हारे, पार्टी का भी नहीं खुला खाता
उचाना कलां सीट पर देवीलाल की चौथी पीढ़ी मैदान में थी। पिछले चुनाव में किंगमेकर बने दुष्यंत चौटाला उचाना कलां सीट से चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन उन्हें चंद्रशेखर आजाद की पार्टी से गठबंधन के बावजूद करारी हार झेलनी पड़ी। पिछली सरकार में डिप्टी सीएम और किंग मेकर की भूमिका में रहे दुष्यंत चौटाला इस बार अपनी सीट भी नहीं बचा पाए और उनकी पार्टी खाता भी नहीं खोल पाई।

 

भिवानी सीट पर पूर्व सीएम बंसीलाल के पोता-पोती में रहा मुकाबला
हरियाणा की राजनीति में बात करते ही तीन 'लाल' का जिक्र जरूर आता है। इन्हीं में से एक बंसीलाल परिवार की सियासी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए 2 प्रत्याशी इस विधानसभा चुनाव में उतरे थे। भिवानी जिले की तोशाम सीट पर हरियाणा के पूर्व सीएम बंसीलाल की पोते-पोती के बीच लड़ाई रही। तोशाम में चचेरे भाई-बहन अनिरुद्ध और श्रुति चौधरी आमने-सामने रहे। श्रुति ने भाई अनिरुद्ध को 14257 वोट से हरा दिया।

 

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हिसार प्रदेश की हाई प्रोफाइल सीटों में से एक रही। यहां से देश की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल ने चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। उन्होंने कांग्रेस के रामनिवास राड़ा को 18 हजार 941 वोटों से हरा दिया। स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा के उम्मीदवार डॉ. कमल गुप्ता तीसरे स्थान पर चले गए। बता दें सावित्री जिंदल ने चुनाव से ठीक पहले भाजपा की सदस्यता ली थी और हिसार से पार्टी टिकट की दावेदार थीं। हालांकि पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। ऐसे में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। बता दें हिसार सीट पर जिंदल परिवार का प्रभाव रहा है। 1991 से 2024 तक यहां से जिंदल परिवार 6 बार मैदान में आया और 5 जीता था। खुद सावित्री जिंदल पूर्व में 2 बार यहां चुनाव जीत चुकी हैं। हालांकि 2014 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन 10 साल बाद सावित्री जिंदल एक बार फिर से हरियाणा की विधानसभा में नजर आएंगी।

 

भूपेंद्र हुड्डा परिवार की साख बचाने में रहे कामयाब
हरियाणा विधानसभा चुनाव में गढ़ी सांपला किलोई विधानसभा सीट भी खास रही। रोहतक जिले की इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा एक बार फिर मैदान में रहे। वहीं जिला परिषद की चेयरपर्सन मंजू हुड्डा भाजपा की प्रत्याशी थीं। नतीजों में भूपेंद्र सिंह हुड्डा मंजू से काफी आगे हैं। ऐसे में भूपेंद्र हुड्डा अपने परिवार की साख बचाने में कामयाब रहे।

 

पिता नहीं जीते, लेकिन आदित्य सुरजेवाला के सिर बंधा जीत का सेहरा
कैथल विधानसभा सीट कांग्रेस प्रत्याशी आदित्य सुरजेवाला को लेकर खासा चर्चाओं में रही। वहीं अब उनके चुनाव जीतने के बाद भी लगातार चर्चाओं में है। दरअसल उनके पिता रणदीप सिंह सुरजेवाला यहां से पूर्व में कई बार चुनाव लड़ चुके हैं, इसके बाद भी वे यहां कभी भी जीत हासिल नहीं कर सके। ऐसे में कांग्रेस उन्हें बार-बार राज्यसभा में भेजती रही है। लेकिन आदित्य सुरजेवाला ने अपने परिवार की सियासत को आगे बढ़ाने का काम किया है।

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