
नवरात्रि का सातवां दिन माँ कालरात्रि की पूजा से पाएं साहस, शक्ति और भयमुक्त जीवन
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Anjali
- September 30, 2025
नवरात्रि का सातवां दिन- माँ कालरात्रि
नवरात्रि 2025 का सातवां दिन माँ दुर्गा के सातवें स्वरूप माँ कालरात्रि को समर्पित है। यह स्वरूप क्रूर और रौद्र दिखाई देता है, लेकिन भक्तों के लिए माँ कालरात्रि असीम कृपा और सुरक्षा की देवी हैं। उनका नाम सुनते ही भय उत्पन्न होता है, लेकिन वे अपने भक्तों के सभी भय, शत्रु और बाधाओं का नाश कर देती हैं।
माँ कालरात्रि का स्वरूप
- रंग: गहरा श्याम
- बाल बिखरे हुए, गले में माला
- तीन नेत्र, जिनसे अग्नि की ज्वाला निकलती है
- चार भुजाएँ: एक वरद मुद्रा, एक अभय मुद्रा, अन्य दो में तलवार और लोहे का कांटा
- वाहन: गधा (गर्दभ)
माँ कालरात्रि का यह रूप शक्ति, साहस और भयंकरता का प्रतीक है।
नवरात्रि में माँ कालरात्रि की पूजा का महत्व
सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा करने से:
- जीवन से सभी भय और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है
- अचानक होने वाली दुर्घटनाओं और संकटों से सुरक्षा मिलती है
- साधक को साहस, शक्ति और सफलता प्राप्त होती है
- आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति होती है
- घर-परिवार में शांति और सुख-समृद्धि बनी रहती है
माँ कालरात्रि की पूजा विधि
पूजा सामग्री:
- काली या नीली चुनरी
- लाल फूल, दीपक और धूप
- कपूर, गुड़ और मिठाई
- सिंदूर, हल्दी और चावल
पूजा प्रक्रिया:
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल पर माँ कालरात्रि की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- दीपक और धूप जलाकर पूजा आरंभ करें।
- लाल फूल और गुड़ का भोग अर्पित करें।
- मंत्र का जाप करें: “ॐ देवी कालरात्र्यै नमः” (11 बार)
- अंत में आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें।
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माँ कालरात्रि की कथा
शुंभ, निशुंभ और रक्तबीज नामक दैत्यों ने तीनों लोकों में आतंक फैलाया। सभी देवताओं ने भगवान शिव से मदद मांगी। देवी पार्वती ने शक्तिशाली रूप धारण कर माँ कालरात्रि बनकर दैत्यों का संहार किया। रक्तबीज के वरदान के कारण, हर बूँद से नए दैत्य उत्पन्न होते थे। लेकिन माँ कालरात्रि ने अपनी अद्भुत शक्ति से उसे हराया और सभी असुरों का नाश किया। इस कारण माँ कालरात्रि को भय, अज्ञानता और बुराई का नाश करने वाली देवी माना जाता है।
माँ कालरात्रि मंत्र
- चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन आप इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं:
- ॐ कालरात्र्यै नमः
- जय त्वं देवि चामुण्डे, जय भूतार्ति हारिणि
- या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता
माँ कालरात्रि का शुभ रंग और भोग
- माँ कालरात्रि का शुभ रंग: नीला और काला – शक्ति, साहस और रहस्य के प्रतीक
- माँ कालरात्रि का भोग: गुड़, गुड़ से बनी मिठाई, गुड़ की खीर, हलवा या चिक्की
माँ कालरात्रि का महत्व
- सभी प्रकार की बाधाएँ और भय दूर होते हैं
- भक्त को निर्भयता, साहस और सफलता प्राप्त होती है
- घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है
- सातवें दिन पूजा करने से ब्रह्मांडीय ऊर्जा का लाभ मिलता है और सभी असुरी शक्तियाँ दूर भागती हैं
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