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नवरात्रि का छठा दिन: माँ कात्यायनी की पूजा से मिलेगी शक्ति और सफलता

नवरात्रि का छठा दिन: माँ कात्यायनी की पूजा से मिलेगी शक्ति और सफलता

नवरात्रि का छठा दिन – माँ कात्यायनी

 

नवरात्रि 2025 का छठा दिन माँ दुर्गा के छठे स्वरूप माँ कात्यायनी की उपासना को समर्पित है। माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और दिव्य है। इन्हें ब्रजभूमि की अधिष्ठात्री देवी भी कहा जाता है, क्योंकि गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण को पाने के लिए माँ कात्यायनी की आराधना की थी। पौराणिक मान्यता के अनुसार, महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी ने उनके घर पुत्री रूप में जन्म लिया और कात्यायनी नाम से प्रसिद्ध हुईं।

 

माँ कात्यायनी का स्वरूप और विशेषताएँ

 

  • इनका वर्ण स्वर्ण के समान चमकीला है।
  • माँ कात्यायनी चार भुजाओं वाली हैं।
  • एक हाथ में तलवार, दूसरे में कमल, तीसरा हाथ अभय मुद्रा में और चौथा वरद मुद्रा में है।
  • उनका वाहन सिंह है, जो साहस और पराक्रम का प्रतीक है।
  • इस स्वरूप में देवी अत्यंत अद्भुत और तेजस्वी दिखाई देती हैं।

 

नवरात्रि में माँ कात्यायनी की पूजा क्यों की जाती है?

 

छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा करने से:

  • जीवन की सभी बाधाएँ और शत्रु नष्ट होते हैं।
  • विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं।
  • साधक को आत्मबल और निर्भयता प्राप्त होती है।
  • माँ के आशीर्वाद से धन, संपत्ति और सफलता मिलती है।
  • साधक को आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 

माँ कात्यायनी की पूजा विधि

 

पूजा सामग्री:

  • माँ कात्यायनी की मूर्ति या तस्वीर
  • हरे या लाल फूल
  • रोली, चावल और हल्दी
  • दीपक और घी
  • शहद, दूध और मिठाई

 

पूजा प्रक्रिया:

  • प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल पर माँ कात्यायनी की प्रतिमा स्थापित करें।
  • दीपक और अगरबत्ती जलाकर पूजा आरंभ करें।
  • माँ को हरे या लाल फूल अर्पित करें।
  • शहद, खीर, फल और मिठाई का भोग लगाएँ।
  • मंत्र का जाप करें: “ॐ देवी कात्यायन्यै नमः” (11 बार)
  • अंत में आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें।

 

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माँ कात्यायनी की कथा (Maa Katyayani Katha)

 

पौराणिक कथा के अनुसार, महर्षि कात्यायन ने देवी की कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर देवी ने उनके घर जन्म लिया और कात्यायनी कहलाईं। कुछ समय बाद महिषासुर का अत्याचार बढ़ने लगा। उसे यह वरदान प्राप्त था कि कोई पुरुष उसे मार नहीं सकता। तब भगवान विष्णु, महादेव और ब्रह्मा के तेज से उत्पन्न देवी ने महिषासुर का वध किया। इस रूप में देवी महिषासुर मर्दिनी के नाम से विख्यात हुईं। इसी कारण माँ कात्यायनी को युद्ध और विजय की देवी माना जाता है।

 

माँ कात्यायनी मंत्र (Maa Katyayani Mantra)

 

  • ॐ ह्रीं नमः
  • ॐ देवी कात्यायन्यै नमः
  • या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
  • कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः॥

 

माँ कात्यायनी का शुभ रंग और भोग

 

  • माँ कात्यायनी का शुभ रंग: हरा रंग – इसे पहनना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह प्रकृति, समृद्धि और शांति का प्रतीक है।
  • माँ कात्यायनी का भोग: शहद, शहद से बनी खीर या हलवा, गुड़, दूध, फल और मिठाइयाँ चढ़ाना विशेष फलदायी माना जाता है।

 

माँ कात्यायनी का महत्व

 

  • माँ की पूजा से सभी प्रकार की परेशानियाँ दूर होती हैं।
  • विवाह योग्य कन्याओं के लिए माँ कात्यायनी की उपासना अत्यंत शुभ मानी जाती है।
  • उनके आशीर्वाद से जीवन में साहस, शक्ति और विजय प्राप्त होती है।
  • घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

 

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