
खाना पचेगा या सड़ेगा: जठराग्नि का विज्ञान और आपकी सेहत का राज
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Manjushree
- June 11, 2025
भोजन शरीर को ऊर्जा देगा या ज़हर, यह तय करता है पाचन तंत्र
अक्सर हम यह सोचते हैं कि क्या खाएं और कितना खाएं, लेकिन सबसे जरूरी सवाल यह होना चाहिए कि जो खा रहे हैं, वह ठीक से पच रहा है या नहीं। आयुर्वेद इस सवाल का जवाब देता है। यदि भोजन जठराग्नि से पच गया तो वही शक्ति बनेगा, और यदि वह सड़ गया तो शरीर में ज़हर बन जाएगा।
आमाशय: भोजन का पहला पड़ाव
पेट में एक छोटा सा स्थान होता है। भोजन करने के बाद वह सबसे पहले पेट में एक थैलीनुमा अंग आमाशय (संस्कृत में जठर) में जाता है। यहां मौजूद अग्नि, जिसे जठराग्नि (gastric fire) कहा जाता है, भोजन को पचाने का काम करती है। जैसे ही हम पहला कौर मुंह में डालते हैं, यह अग्नि स्वतः सक्रिय हो जाती है।
जठराग्नि ठंडी हुई, तो भोजन नहीं पचेगा
जठराग्नि आमाशय में प्रदीप्त होने वाली आग है। जैसे ही हम खाना खाना खाते हैं, जठराग्नि प्रदीप्त हो जाती है। अगर खाना खाते ही ठंडा पानी पी लिया जाए, तो यह जठराग्नि तुरंत बुझ जाती है। इससे पाचन रुक जाता है और भोजन सड़ने लगता है। सड़ा हुआ भोजन शरीर में यूरिक एसिड, खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) और अन्य विषैले तत्वों का निर्माण करता है। यही एलिमेंट्स शरीर में बीपी, घुटनों का दर्द, कमर दर्द, और हार्ट अटैक जैसी बीमारियों की वजह बनते हैं। ये सभी बीमारियां तब आती हैं जब खाना पचता नहीं है, बल्कि सड़ता है।
पचा हुआ खाना बनाता है स्वास्थ्य, सड़ा हुआ खाना बनाता है रोग
खाना पेट में जाने पर पेट में दो ही क्रियाएं होती हैं, एक क्रिया है जिसको हम कहते हैं पचना, और दूसरी है, सड़ना। आयुर्वेद के हिसाब से आग जलेगी तो खाना पचेगा, खाना पचेगा तो उससे रस बनेगा। खाना पचने पर किसी भी प्रकार का कोई भी जहर नहीं बनता है। आयुर्वेद कहता है कि यदि भोजन ठीक से पचता है तो उससे बनता है- रस, रक्त, मांस, मज्जा, हड्डी, वीर्य, अस्थि, मल, मूत्र और मेद। लेकिन यदि वही खाना सड़ जाए, तो शरीर में विष बनने लगता है और यही रक्त को प्रदूषित कर नाड़ियों को ब्लॉक करता है। इसी से हार्ट अटैक होता है।
भोजन के तुरंत बाद पानी पीना क्यों ज़हर है?
खाना अच्छे से पचे इसके लिए वाग्भट्ट (Vagbhata) के आयुर्वेदिक सूत्र में कहा गया है -"भोजनान्ते विषं वारी" – अर्थात, भोजन के तुरंत बाद पानी पीना विष के समान है। खाना पचने के लिए लगभग 1 घंटा 48 मिनट का समय लगता है। इसके बाद पानी पीना फायदेमंद होता है। इसलिए खाने के तुरंत बाद पानी कभी नहीं पीना चाहिए। जब हम खाना खाते हैं तो जठराग्नि द्वारा सब एक दूसरे में मिक्स होता है और फिर खाना पेस्ट में बदलता है। पेस्ट में बदलने की क्रिया होने तक एक घंटा 48 मिनट का समय लगता है। उसके बाद जठराग्नि कम हो जाती है। बुझती तो नहीं, लेकिन बहुत धीमी हो जाती है। पेस्ट बनने के बाद शरीर में रस बनने की प्रक्रिया शुरू होती है, तब हमारे शरीर को पानी की जरूरत होती है।
स्वस्थ पाचन के लिए क्या करें? (Ayurvedic digestion tips in Hindi)
- खाना धीरे-धीरे और ध्यान से खाएं।
- भोजन के तुरंत बाद पानी न पिएं।
- अत्यधिक ठंडा पानी पीने से बचें।
- आवश्यकता हो तो भोजन से पहले थोड़ा गुनगुना पानी लें।
- भोजन के कम से कम 1.5 घंटे बाद ही पानी पीएं।
हमारा स्वास्थ्य इस पर निर्भर नहीं करता कि हमने क्या खाया, बल्कि इस पर निर्भर करता है कि खाना पचा या सड़ा। इसलिए खाने से अधिक जरूरी है खाना पचाना।
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